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प्रसिद्ध उर्दू कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार - प्रसिद्ध कवि उस्ताद जौक

मुगल साम्राज्य के आखिरी बादशाह शाह जफर के उस्ताद रहे प्रसिद्ध कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार है. दिल्ली के नबी करीम इलाके में स्थित उस्ताद जौक के मकबरे की देख-रेख नहीं हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मकबरा हमेश बंद रहता था. साफ-सफाई न होने के कारण चारों तरफ गंदी फैली हुई है.

Urdu poet Ustad Ibrahim Zauq
उस्ताद जौक का मकबरा
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Published : Nov 22, 2020, 6:46 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के नबी करीम में स्थित प्रसिद्ध कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार है. हालांकि, उस्ताद जौक के मकबरे की चहारदिवार को पुरातत्व के माध्यम से संरक्षित किया गया है. मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मकबरा हमेश बंद रहता था. साफ-सफाई न होने के कारण चारों तरफ गंदी फैली हुई है.

प्रसिद्ध उर्दू कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार

शेख मोहम्मद इब्राहिम जोक, जिन्हें उस्ताद जौक के नाम से जाता है, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के उस्ताद थे. जौक आसान भाषा में कविताएं सुनाते थे, जिसके कारण अशिक्षित लोग भी उनकी कविताएं पसंद करते थे. दीवान के कवि के रूप में उनका जीवन विलासिता में बीता, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी मजार वर्षों तक अंधेरे में खो गई.

उर्दू के प्रमुख कवि उस्ताद जौक ने अपना अधिकांश जीवन एक शानदार महल में बिताया, लेकिन कौन जानता था कि एक कवि का मजार, जो जीवनभर विलासिता में रहा, उसकी मृत्यु के बाद मूत्रालय में बदल जाएगा.

जी हां, प्रसिद्ध कवि उस्ताद ज़ौक का मकबरा 2002 से पहले मूत्रालय हुआ करता था, लेकिन बाद में उर्दू प्रेमियों के संघर्ष के कारण, उस्ताद जौक के मकबरे में बने मूत्रालय को बंद कर दिया गया.

नई दिल्ली: दिल्ली के नबी करीम में स्थित प्रसिद्ध कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार है. हालांकि, उस्ताद जौक के मकबरे की चहारदिवार को पुरातत्व के माध्यम से संरक्षित किया गया है. मगर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मकबरा हमेश बंद रहता था. साफ-सफाई न होने के कारण चारों तरफ गंदी फैली हुई है.

प्रसिद्ध उर्दू कवि उस्ताद जौक का मकबरा बदहाली का शिकार

शेख मोहम्मद इब्राहिम जोक, जिन्हें उस्ताद जौक के नाम से जाता है, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के उस्ताद थे. जौक आसान भाषा में कविताएं सुनाते थे, जिसके कारण अशिक्षित लोग भी उनकी कविताएं पसंद करते थे. दीवान के कवि के रूप में उनका जीवन विलासिता में बीता, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद उनकी मजार वर्षों तक अंधेरे में खो गई.

उर्दू के प्रमुख कवि उस्ताद जौक ने अपना अधिकांश जीवन एक शानदार महल में बिताया, लेकिन कौन जानता था कि एक कवि का मजार, जो जीवनभर विलासिता में रहा, उसकी मृत्यु के बाद मूत्रालय में बदल जाएगा.

जी हां, प्रसिद्ध कवि उस्ताद ज़ौक का मकबरा 2002 से पहले मूत्रालय हुआ करता था, लेकिन बाद में उर्दू प्रेमियों के संघर्ष के कारण, उस्ताद जौक के मकबरे में बने मूत्रालय को बंद कर दिया गया.

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