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PMAY-U योजना के क्रियान्वयन में आड़े आ रही जमीन की कमी - केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) को लागू करने में जमीन की उपलब्धता बड़ी चुनौती है (Prime Minister Awas Yojana Urban). ऐसे में कई राज्यों को सलाह दी गई है कि वह मार्केट रेट पर जमीन खरीदकर या पट्टे पर जमीन लेकर योजना को पूरा करें . ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Prime Minister Awas Yojana Urban
प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी
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Published : Nov 21, 2022, 5:18 PM IST

नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों के शहरी क्षेत्रों में भूमि की कमी ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) को लागू करने में बड़ी चुनौती पेश की है. स्थिति से अवगत होने के कारण केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने राज्यों से खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर पात्र लाभार्थियों को जमीन उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा है.

एमओएचयूए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'उन्हें (राज्यों को) सलाह दी गई है कि वे योग्य लाभार्थियों को खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर या जिस तरह से आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे कुछ राज्य जमीन के पट्टे उपलब्ध करा रहे हैं, उस पर विचार करें.' अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्य शहरी क्षेत्रों में इस तरह के भूमि संकट का सामना कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, 'चूंकि शहरी क्षेत्रों में भूमि एक दुर्लभ संसाधन है, इसलिए कुछ राज्यों को पार्टनरशिप में किफायती आवास (एएचपी) वर्टिकल के तहत कुछ परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में मुश्किल हो रही है. पार्टनरशिप में किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए 20.63 लाख घरों को मंजूरी दी गई है.'
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एएचपी के तहत स्वीकृत ऐसी परियोजनाओं के लिए किफायती आवास के लिए भूमि चिन्हित करने या वैकल्पिक साइट प्रदान करने के लिए अपने मास्टर प्लान को तैयार करने और संशोधित करने की सलाह पहले ही दी जा चुकी है.

94 लाख घरों की रखी जा चुकी है नींव : 2015 में शुरू की गई योजना (पीएमएवाई-यू) में 2022 तक सभी के लिए आवास उपलब्ध कराने का विजन था. शुरुआत में 1.15 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें से लगभग 94 लाख घरों की नींव रखी जा चुकी है. लगभग 55 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है. हालांकि योजना शुरू होने के सात साल बीत जाने के बाद भी जितने आवासों का लक्ष्य रखा गया था उनमें से 50 फीसदी का निर्माण ही पूरा हो पाया है.

वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 21.59 लाख आवास स्वीकृत भी किए जा चुके हैं. कोविड-19 महामारी के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ लाभार्थियों पर भी दबाव पड़ा, जिससे योजना की प्रगति प्रभावित हुई. हितधारकों के वित्तीय बोझ को कम करने और योजना के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इसे पूरा करने की समयसीमा मार्च, 2024 तक बढ़ाई गई है.

विडंबना यह है कि मंत्रालय की रिपोर्टों में कहा गया है कि पीएमएवाई (यू) के तहत निर्मित कई घर रहने योग्य स्थिति में नहीं हैं. उनमें खिड़कियां और दरवाजे गायब हैं और असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है.

एमओएचयूए के अधिकारी ने कहा कि 'पीएमएवाई-यू एक मांग संचालित योजना है. शहरी क्षेत्रों में आवास की आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने परियोजना प्रस्ताव तैयार किए हैं. इसके लिए राज्य स्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की उचित स्वीकृति भी ली गई है.'

पढ़ें- PMAY-U योजना के लिए त्रिपुरा को देश में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए मिला सम्मान

नई दिल्ली: विभिन्न राज्यों के शहरी क्षेत्रों में भूमि की कमी ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) को लागू करने में बड़ी चुनौती पेश की है. स्थिति से अवगत होने के कारण केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने राज्यों से खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर पात्र लाभार्थियों को जमीन उपलब्ध कराने पर विचार करने को कहा है.

एमओएचयूए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'उन्हें (राज्यों को) सलाह दी गई है कि वे योग्य लाभार्थियों को खुले बाजार के माध्यम से जमीन खरीदकर या जिस तरह से आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे कुछ राज्य जमीन के पट्टे उपलब्ध करा रहे हैं, उस पर विचार करें.' अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्य शहरी क्षेत्रों में इस तरह के भूमि संकट का सामना कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, 'चूंकि शहरी क्षेत्रों में भूमि एक दुर्लभ संसाधन है, इसलिए कुछ राज्यों को पार्टनरशिप में किफायती आवास (एएचपी) वर्टिकल के तहत कुछ परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में मुश्किल हो रही है. पार्टनरशिप में किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए 20.63 लाख घरों को मंजूरी दी गई है.'
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एएचपी के तहत स्वीकृत ऐसी परियोजनाओं के लिए किफायती आवास के लिए भूमि चिन्हित करने या वैकल्पिक साइट प्रदान करने के लिए अपने मास्टर प्लान को तैयार करने और संशोधित करने की सलाह पहले ही दी जा चुकी है.

94 लाख घरों की रखी जा चुकी है नींव : 2015 में शुरू की गई योजना (पीएमएवाई-यू) में 2022 तक सभी के लिए आवास उपलब्ध कराने का विजन था. शुरुआत में 1.15 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें से लगभग 94 लाख घरों की नींव रखी जा चुकी है. लगभग 55 लाख घरों का निर्माण पूरा हो चुका है. हालांकि योजना शुरू होने के सात साल बीत जाने के बाद भी जितने आवासों का लक्ष्य रखा गया था उनमें से 50 फीसदी का निर्माण ही पूरा हो पाया है.

वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 21.59 लाख आवास स्वीकृत भी किए जा चुके हैं. कोविड-19 महामारी के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति के साथ-साथ लाभार्थियों पर भी दबाव पड़ा, जिससे योजना की प्रगति प्रभावित हुई. हितधारकों के वित्तीय बोझ को कम करने और योजना के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इसे पूरा करने की समयसीमा मार्च, 2024 तक बढ़ाई गई है.

विडंबना यह है कि मंत्रालय की रिपोर्टों में कहा गया है कि पीएमएवाई (यू) के तहत निर्मित कई घर रहने योग्य स्थिति में नहीं हैं. उनमें खिड़कियां और दरवाजे गायब हैं और असामाजिक तत्वों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है.

एमओएचयूए के अधिकारी ने कहा कि 'पीएमएवाई-यू एक मांग संचालित योजना है. शहरी क्षेत्रों में आवास की आवश्यकताओं और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने परियोजना प्रस्ताव तैयार किए हैं. इसके लिए राज्य स्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति (सीएसएमसी) की उचित स्वीकृति भी ली गई है.'

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