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मोदी के देश के नाम संबोधन को शिवसेना ने बताया- सिर्फ लीपापोती! - dainik saamana

सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में कोरोना की शृंखला तोड़ने के लिए सख्त लॉकडाउन का ही पर्याय बचा है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 'लॉकडाउन टालें' जैसी सलाह दी है. राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है.

shivsena criticizes pm modi address
शिवसेना ने पीएम मोदी के देश के संबोधन को सिर्फ लीपापोती बताया
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Published : Apr 22, 2021, 11:07 AM IST

मुंबई: महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने मुखपत्र सामना में एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में छपे लेख में शिवसेना ने कुंभ मेले और पश्चिम बंगाल को लेकर निशाना साधा है. शिवसेना ने केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए लिखा कि हरिद्वार के कुंभ मेला और पश्चिम बंगाल के राजनैतिक मेले से ही देश को सिर्फ कोरोना मिला. शासकों को पहले खुद पर पाबंदी लगानी होती है. ऐसा कहकर शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह पर कड़ी टिप्पण्णी की.

मुखपत्र सामना में आज के संपादकीय में शिवसेना ने पीएम मोदी के देश के संबोधन को सिर्फ लीपापोती बताया. शिवसेना ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने जो बातें कहीं वह महाराष्ट्र के एक सीनियर मंत्री ने उनसे एक दिन पहले ही कह दी थी, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री के संबोधन में कुछ भी ठोस नहीं है, ऐसा कहा है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल में चुनावी रॅलिया कर रहे हैं. इन रैलियो में शामिल होने के लिए देशभर से लोगों को प. बंगाल बुलाया जा रहा है. यही लोग अपने-अपने राज्य में लौट कर कोरोना का संक्रमन बढ़ा रहे हैं, ऐसा भी आरोप शिवसेना ने लगाया है.

सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में कोरोना की शृंखला तोड़ने के लिए सख्त लॉकडाउन का ही पर्याय बचा है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 'लॉकडाउन टालें' जैसी सलाह दी है. राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है. बीते 24 घंटों में ही 64 हजार मरीज सिर्फ महाराष्ट्र में मिले. मृत्यु का प्रमाण बढ़ा है इसलिए कम-से-कम 15 दिनों का पूर्ण लॉकडाउन लगाओ, ऐसी मांग राज्य के कई मंत्रियों ने की है.

राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस पर योग्य निर्णय लेंगे ही, परंतु लॉकडाउन टालो ऐसी सलाह हमारे प्रधानमंत्री किस आधार पर दे रहे हैं? महाराष्ट्र में दसवीं की परीक्षा रद्द करनी पड़ी है. केंद्र सरकार ने भी बीते सप्ताह 'सीबीएसई' की परीक्षा रद्द कर दी है. गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक की स्थिति नियंत्रण के बाहर हो गई है. कोरोना का संक्रमण खत्म हो इसके लिए गुजरात सरकार दो सप्ताह का लॉकडाउन लगाए, ऐसी सिफारिश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राज्य शाखा ने की है.

महाराष्ट्र जैसे राज्य में कड़ी पाबंदियां लगाने के बावजूद कोरोना नियंत्रण में नहीं आ रहा है. अत्यावश्यक सेवा के नाम पर जनता सड़कों पर घूमती है इसलिए लॉकडाउन ही आवश्यक सेवा बन गई है. ऐसी गंभीर परिस्थिति का सामना वैसे करें, इस बारे में प्रधानमंत्री जनता को दिलासा देंगे, ऐसा लगता था. दिल्ली में राहुल गांधी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. कल ही नियुक्त किए गए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी कोरोना से बेजार हो गए हैं. जहां हाथ लगाएं और जहां उंगली दिखाएं वहां सिर्फ कोरोना ही है. ऐसी अवस्था चिंताजनक हैं.

बीते दो दिनों में शेयर बाजार कोरोना के कारण गिर रहा है ये सही है, परंतु देश की अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए धराशायी हो गई है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण प्रधानमंत्री मोदी का पुर्तगाल का दौरा रद्द कर दिया गया ये सही है, परंतु उन्होंने पश्चिम बंगाल की भीड़ वाली चुनावी सभाओं को समय रहते ही खत्म कर दिया होता तो कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकता था. पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए भाजपा ने देशभर से लाखों लोगों को एकत्रित किया।. वे कोरोना का संक्रमण लेकर अपने-अपने राज्यों में लौटे. उनमें से कई लोग कोरोना से बेजार हैं

हरिद्वार के कुंभ मेला और पश्चिम बंगाल के राजनीतिक मेले से देश को सिर्फ कोरोना ही मिला. शासकों को पहले खुद पर पाबंदी लगानी होती है. अन्य देशों के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति ऐसी पाबंदियां खुद पर लगाते हैं. इससे उन्हें जनता को प्रवचन देने का नैतिक अधिकार मिला है. नार्वे के प्रधानमंत्री ने उनके जन्मदिन पर दस लोगों को अनुमति होने के बावजूद तेरह लोगों को बुलाया तो वहां की पुलिस ने अपने ही प्रधानमंत्री को कड़ी सजा दी. यह हमारे देश में सिर्फ आम लोगों के मामले में हो सकता है.

वैसे पश्चिम बंगाल में देखा जा चुका है. देश की परिस्थिति कोरोना के कारण बिगड़ गई है ये प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया, परंतु किया क्या जाए, ये नहीं बताया. कोरोना का मुकाबला करना इक्का-दुक्का लोगों का काम नहीं है. सभी के एकजुट होकर प्रयास करने से कोरोना संक्रमण की शृंखला को तोड़ने में मदद मिलेगी, ऐसा महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने कहा है. प्रधानमंत्री ने कल के भाषण में उससे अलग क्या कहा? संकट बड़ा है, एकजुट होकर उसे नाकाम करना है, ऐसा मोदी ने कहा. अब यह 'एकजुट' कौन? इस एकजुट की संकल्पना में विरोधी विचारवाले किसी को भी स्थान नहीं है.

प्रधानमंत्री ने छोटे बच्चों की सराहना की. छोटी-मोटी समितियां स्थापित करके युवकों ने लोगों से कोरोना के नियमों का पालन करवाया, परंतु पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की राजनैतिक सभाओं को छोड़कर वहां उन समितियों का प्रयोग काम नहीं आया। देश में ऑक्सीजन की कमी है और इस पर केंद्र सरकार औपचारिक जवाब ही देती है. देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीज ऑक्सीजन के अभाव में तड़पकर प्राण त्याग रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को इस बारे में फटकार लगाई है.

पढ़ें: ठाकरे सरकार की 'फजीहत' पर बौखलाई शिवसेना, केंद्र पर फोड़ा ठीकरा

प्रधानमंत्री अथवा उनके सहयोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयास करना चाहिए. आज उसी की सर्वाधिक आवश्यकता है. उसके अलावा सभी लोग हवा में भाषण की कार्बन डाईऑक्साइड छोड़कर जहर फैला रहे हैं. भाषण कम व कार्य पर जोर देने का यह वक्त है. प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार कोरोना संकट बड़ा है. कोरोना मानो तूफान ही है, परंतु तूफान से बचाव कैसे किया जाए इसका उपाय उन्होंने नहीं बताया. लोगों ने अपने रिश्तेदारों को गंवाया है. इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने दुख व्यक्त किया, परंतु इसके आगे 'बलि' बढ़ेगी नहीं, इस बारे में आप क्या कर रहे हो? महाराष्ट्र क्या, पूरा राष्ट्र क्या, कोरोना की स्थिति नाजुक है. प्रधानमंत्री के भाषण से ऊर्जा मिलेगी ऐसा लगा था, परंतु 'संकट बड़ा है, आप अपना खुद देख लो, सतर्क रहो'. यही उनके भाषण का सार है. लीपापोती से क्या होगा!

मुंबई: महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार ने अपने मुखपत्र सामना में एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में छपे लेख में शिवसेना ने कुंभ मेले और पश्चिम बंगाल को लेकर निशाना साधा है. शिवसेना ने केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए लिखा कि हरिद्वार के कुंभ मेला और पश्चिम बंगाल के राजनैतिक मेले से ही देश को सिर्फ कोरोना मिला. शासकों को पहले खुद पर पाबंदी लगानी होती है. ऐसा कहकर शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह पर कड़ी टिप्पण्णी की.

मुखपत्र सामना में आज के संपादकीय में शिवसेना ने पीएम मोदी के देश के संबोधन को सिर्फ लीपापोती बताया. शिवसेना ने लिखा कि प्रधानमंत्री ने जो बातें कहीं वह महाराष्ट्र के एक सीनियर मंत्री ने उनसे एक दिन पहले ही कह दी थी, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री के संबोधन में कुछ भी ठोस नहीं है, ऐसा कहा है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल में चुनावी रॅलिया कर रहे हैं. इन रैलियो में शामिल होने के लिए देशभर से लोगों को प. बंगाल बुलाया जा रहा है. यही लोग अपने-अपने राज्य में लौट कर कोरोना का संक्रमन बढ़ा रहे हैं, ऐसा भी आरोप शिवसेना ने लगाया है.

सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में कोरोना की शृंखला तोड़ने के लिए सख्त लॉकडाउन का ही पर्याय बचा है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 'लॉकडाउन टालें' जैसी सलाह दी है. राज्य में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है. बीते 24 घंटों में ही 64 हजार मरीज सिर्फ महाराष्ट्र में मिले. मृत्यु का प्रमाण बढ़ा है इसलिए कम-से-कम 15 दिनों का पूर्ण लॉकडाउन लगाओ, ऐसी मांग राज्य के कई मंत्रियों ने की है.

राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस पर योग्य निर्णय लेंगे ही, परंतु लॉकडाउन टालो ऐसी सलाह हमारे प्रधानमंत्री किस आधार पर दे रहे हैं? महाराष्ट्र में दसवीं की परीक्षा रद्द करनी पड़ी है. केंद्र सरकार ने भी बीते सप्ताह 'सीबीएसई' की परीक्षा रद्द कर दी है. गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक की स्थिति नियंत्रण के बाहर हो गई है. कोरोना का संक्रमण खत्म हो इसके लिए गुजरात सरकार दो सप्ताह का लॉकडाउन लगाए, ऐसी सिफारिश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की राज्य शाखा ने की है.

महाराष्ट्र जैसे राज्य में कड़ी पाबंदियां लगाने के बावजूद कोरोना नियंत्रण में नहीं आ रहा है. अत्यावश्यक सेवा के नाम पर जनता सड़कों पर घूमती है इसलिए लॉकडाउन ही आवश्यक सेवा बन गई है. ऐसी गंभीर परिस्थिति का सामना वैसे करें, इस बारे में प्रधानमंत्री जनता को दिलासा देंगे, ऐसा लगता था. दिल्ली में राहुल गांधी कोरोना से संक्रमित हो गए हैं. कल ही नियुक्त किए गए मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा भी कोरोना से बेजार हो गए हैं. जहां हाथ लगाएं और जहां उंगली दिखाएं वहां सिर्फ कोरोना ही है. ऐसी अवस्था चिंताजनक हैं.

बीते दो दिनों में शेयर बाजार कोरोना के कारण गिर रहा है ये सही है, परंतु देश की अर्थव्यवस्था भविष्य के लिए धराशायी हो गई है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण प्रधानमंत्री मोदी का पुर्तगाल का दौरा रद्द कर दिया गया ये सही है, परंतु उन्होंने पश्चिम बंगाल की भीड़ वाली चुनावी सभाओं को समय रहते ही खत्म कर दिया होता तो कोरोना के संक्रमण को रोका जा सकता था. पश्चिम बंगाल में प्रचार के लिए भाजपा ने देशभर से लाखों लोगों को एकत्रित किया।. वे कोरोना का संक्रमण लेकर अपने-अपने राज्यों में लौटे. उनमें से कई लोग कोरोना से बेजार हैं

हरिद्वार के कुंभ मेला और पश्चिम बंगाल के राजनीतिक मेले से देश को सिर्फ कोरोना ही मिला. शासकों को पहले खुद पर पाबंदी लगानी होती है. अन्य देशों के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति ऐसी पाबंदियां खुद पर लगाते हैं. इससे उन्हें जनता को प्रवचन देने का नैतिक अधिकार मिला है. नार्वे के प्रधानमंत्री ने उनके जन्मदिन पर दस लोगों को अनुमति होने के बावजूद तेरह लोगों को बुलाया तो वहां की पुलिस ने अपने ही प्रधानमंत्री को कड़ी सजा दी. यह हमारे देश में सिर्फ आम लोगों के मामले में हो सकता है.

वैसे पश्चिम बंगाल में देखा जा चुका है. देश की परिस्थिति कोरोना के कारण बिगड़ गई है ये प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया, परंतु किया क्या जाए, ये नहीं बताया. कोरोना का मुकाबला करना इक्का-दुक्का लोगों का काम नहीं है. सभी के एकजुट होकर प्रयास करने से कोरोना संक्रमण की शृंखला को तोड़ने में मदद मिलेगी, ऐसा महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने कहा है. प्रधानमंत्री ने कल के भाषण में उससे अलग क्या कहा? संकट बड़ा है, एकजुट होकर उसे नाकाम करना है, ऐसा मोदी ने कहा. अब यह 'एकजुट' कौन? इस एकजुट की संकल्पना में विरोधी विचारवाले किसी को भी स्थान नहीं है.

प्रधानमंत्री ने छोटे बच्चों की सराहना की. छोटी-मोटी समितियां स्थापित करके युवकों ने लोगों से कोरोना के नियमों का पालन करवाया, परंतु पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की राजनैतिक सभाओं को छोड़कर वहां उन समितियों का प्रयोग काम नहीं आया। देश में ऑक्सीजन की कमी है और इस पर केंद्र सरकार औपचारिक जवाब ही देती है. देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीज ऑक्सीजन के अभाव में तड़पकर प्राण त्याग रहे हैं. दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को इस बारे में फटकार लगाई है.

पढ़ें: ठाकरे सरकार की 'फजीहत' पर बौखलाई शिवसेना, केंद्र पर फोड़ा ठीकरा

प्रधानमंत्री अथवा उनके सहयोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयास करना चाहिए. आज उसी की सर्वाधिक आवश्यकता है. उसके अलावा सभी लोग हवा में भाषण की कार्बन डाईऑक्साइड छोड़कर जहर फैला रहे हैं. भाषण कम व कार्य पर जोर देने का यह वक्त है. प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार कोरोना संकट बड़ा है. कोरोना मानो तूफान ही है, परंतु तूफान से बचाव कैसे किया जाए इसका उपाय उन्होंने नहीं बताया. लोगों ने अपने रिश्तेदारों को गंवाया है. इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने दुख व्यक्त किया, परंतु इसके आगे 'बलि' बढ़ेगी नहीं, इस बारे में आप क्या कर रहे हो? महाराष्ट्र क्या, पूरा राष्ट्र क्या, कोरोना की स्थिति नाजुक है. प्रधानमंत्री के भाषण से ऊर्जा मिलेगी ऐसा लगा था, परंतु 'संकट बड़ा है, आप अपना खुद देख लो, सतर्क रहो'. यही उनके भाषण का सार है. लीपापोती से क्या होगा!

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