नई दिल्ली: विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कर्याध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar International President of Vishwa Hindu Parishad) ने कहा कि ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलना ऐतिहासिक घटना है. जिससे यह साबित हुआ वहां मंदिर है. हालांकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन हिन्दू पक्ष के दावे माने तो मस्जिद के वजू घर में ही आठ फीट के शिवलिंग मिले हैं. पूरा सर्वे वीडियो कैमरा में भी रिकॉर्ड हुआ है. अब इससे आगे की सुनवाई कोर्ट करेगी और बिना कोर्ट के आदेश के कोई भी वीडियो सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. लेकिन हिन्दू पक्ष अभी से इस सर्वे के दावे पर उत्सव मनाना शुरु कर चुका है.
पूरे मामले पर ईटीवी भारत ने विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कर्याध्यक्ष आलोक कुमार से विशेष बातचीत की है. जिन्होंने इसे एक ऐतिहासिक घटना बताई है. अलोक कुमार ने कहा कि सर्वे के दौरान एक कमरे में मंदिर मिलने से यह साबित हो गया वह मंदिर है. जब सर्वे चल रहा था तब मौके पर दोनों पक्षों के वकील मौजूद थे. इसलिये यह साबित हो जाता है कि वहां मंदिर है और 1947 में भी था. अब इसे देश के सभी लोगों को स्वीकार करना चाहिए.
हालांकि पूरे मामले में अंतिम निर्णय कोर्ट का होगा लेकिन बहरहाल जिस हिस्से में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, उसे न्यायालय ने संरक्षित कर सील कर दिया है. अब प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वहां कोई छेड़छाड़ न हो. विहिप कर्याध्यक्ष ने आगे कहा कि चूंकि मामला अभी कोर्ट में है इसलिये इस पर ज्यादा टिप्पणी करना सही नहीं होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जून महीने में विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में वह इस विषय को संतो के सामने जरूर रखेंगे.
मुस्लिम पक्ष की बात करें तो असदुद्दीन ओवैसी सरीखे नेताओं का कहना है कि धार्मिक स्थल पर सर्वे कराना या छेड़छाड़ करना 1991 ऐक्ट की अवमानना है. 1991 ऐक्ट के मुताबिक अयोध्या के अलावा देश के सभी धार्मिक स्थलों की मौजूदा स्थिति को बरकरार रखना है. हालांकि इस पर आलोक कुमार ने कहा कि उस स्थान पर 1947 के बाद भी मंदिर था और इस बात को सभी जानते हैं. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि 1991 ऐक्ट का उल्लंघन हो रहा है. सभी पक्षों को कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए.
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