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शाह के कटाक्ष पर शिवसेना ने फड़णवीस के शपथ ग्रहण की दिलायी याद

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने शाह पर निशाना साधा है. शिवसेना ने सवाल उठाया कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा नेता फड़णवीस का मुख्यमंत्री के रूप में तड़के शपथ ग्रहण भी क्या खुलेपन का उदाहरण था.

शिवसेना
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Published : Feb 9, 2021, 10:05 PM IST

मुंबई : बंद दरवाजे के पीछे वादा नहीं करने के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान के दो दिन बाद शिवसेना ने मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा, वह भी हर काम खुलेआम करती है और चोरी-छिपे कुछ नहीं करती.

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में पूछा गया कि क्या 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस का मुख्यमंत्री के रूप में तड़के शपथ ग्रहण भी खुलेपन का उदाहरण था, जिसकी शाह बात करते हैं.

रविवार को शाह ने कहा था कि उन्होंने ऐसा कोई वादा नहीं किया था कि यदि शिवसेना-भाजपा गठबंधन 2019 का विधानसभा चुनाव जीतता है तो भाजपा मुख्यमंत्री का पद साझा करेगी (जिसका उद्धव ठाकरे की पार्टी ने दावा किया था). दोनों ही दल बाद में इस मुद्दे पर अलग हो गये थे.

कोंकण क्षेत्र के कंकावली में एक कार्यक्रम में शाह ने कहा था, मैं जो कुछ करता हूं, खुलेआम करता हूं.

'सामना' में लिखा गया है, शिवसेना जो कुछ करती है, खुलेआम करती है. यदि ऐसी बात नहीं होती तो उसने कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार नहीं बनायी होती.

शिवसेना ने कहा कि भाजपा नेता महाराष्ट्र में सत्ता हाथ से जाने की विफलता को लेकर 'कुंठा' के चलते ऐसा बयान दे रहे हैं.

उसने सवाल किया कि 2019 में राजभवन में तड़के फड़णवीस का मुख्यमंत्री एवं राकांपा के अजीत पवार का उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेना 'चीजें खुलेआम करना' कैसे कहा जा सकता है?

शिवसेना के साथ गठबंधन वार्ता टूट जाने के बाद एक अप्रत्याशित कदम के तहत फड़णवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि पवार राकांपा से पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं जुटा पाये थे.

पार्टी के मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि देश दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन समेत कई समस्याओं से जूझ रहा है, इसलिए केंद्रीय गृहमंत्री को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए.

संपादकीय में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी बनने के बाद भी विस्थापित कश्मीरी पंडित कश्मीर नहीं लौट पाए. शाह के इस बयान का जिक्र करते हुए कि यदि भाजपा ने शिवसेना पर आक्रामक रुख अपनाया होता हो, तो उसका अस्तित्व मिट गया होता, संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना को जो खत्म करने का प्रयास करता है, वह उसे ही खत्म कर देती है.

उसने कहा कि यदि शिवसेना ने भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाया होता तो भाजपा आज की सफलता नहीं देख पाती.

पढ़ें : अधीर रंजन के आरोप पर बोले शाह, 'टैगोर की कुर्सी पर मैं नहीं, नेहरू बैठे थे'

शिवसेना ने कहा, धन्य है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने का अपना वादा रख नहीं पायी तो वह अब अच्छे दिन देख रही है. उन्होंने कहा कि उनके लिए महाराष्ट्र की जनता अमित शाह की हमेशा के लिए ऋणी रहेगी.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांगेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ये प्रयास विफल रहेंगे.

मुंबई : बंद दरवाजे के पीछे वादा नहीं करने के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान के दो दिन बाद शिवसेना ने मंगलवार को पलटवार करते हुए कहा, वह भी हर काम खुलेआम करती है और चोरी-छिपे कुछ नहीं करती.

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में पूछा गया कि क्या 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा नेता देवेंद्र फड़णवीस का मुख्यमंत्री के रूप में तड़के शपथ ग्रहण भी खुलेपन का उदाहरण था, जिसकी शाह बात करते हैं.

रविवार को शाह ने कहा था कि उन्होंने ऐसा कोई वादा नहीं किया था कि यदि शिवसेना-भाजपा गठबंधन 2019 का विधानसभा चुनाव जीतता है तो भाजपा मुख्यमंत्री का पद साझा करेगी (जिसका उद्धव ठाकरे की पार्टी ने दावा किया था). दोनों ही दल बाद में इस मुद्दे पर अलग हो गये थे.

कोंकण क्षेत्र के कंकावली में एक कार्यक्रम में शाह ने कहा था, मैं जो कुछ करता हूं, खुलेआम करता हूं.

'सामना' में लिखा गया है, शिवसेना जो कुछ करती है, खुलेआम करती है. यदि ऐसी बात नहीं होती तो उसने कांग्रेस और राकांपा के साथ सरकार नहीं बनायी होती.

शिवसेना ने कहा कि भाजपा नेता महाराष्ट्र में सत्ता हाथ से जाने की विफलता को लेकर 'कुंठा' के चलते ऐसा बयान दे रहे हैं.

उसने सवाल किया कि 2019 में राजभवन में तड़के फड़णवीस का मुख्यमंत्री एवं राकांपा के अजीत पवार का उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेना 'चीजें खुलेआम करना' कैसे कहा जा सकता है?

शिवसेना के साथ गठबंधन वार्ता टूट जाने के बाद एक अप्रत्याशित कदम के तहत फड़णवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि पवार राकांपा से पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं जुटा पाये थे.

पार्टी के मुखपत्र में यह भी कहा गया है कि देश दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन समेत कई समस्याओं से जूझ रहा है, इसलिए केंद्रीय गृहमंत्री को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए.

संपादकीय में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी बनने के बाद भी विस्थापित कश्मीरी पंडित कश्मीर नहीं लौट पाए. शाह के इस बयान का जिक्र करते हुए कि यदि भाजपा ने शिवसेना पर आक्रामक रुख अपनाया होता हो, तो उसका अस्तित्व मिट गया होता, संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना को जो खत्म करने का प्रयास करता है, वह उसे ही खत्म कर देती है.

उसने कहा कि यदि शिवसेना ने भाजपा पर आक्रामक रुख अपनाया होता तो भाजपा आज की सफलता नहीं देख पाती.

पढ़ें : अधीर रंजन के आरोप पर बोले शाह, 'टैगोर की कुर्सी पर मैं नहीं, नेहरू बैठे थे'

शिवसेना ने कहा, धन्य है कि भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने का अपना वादा रख नहीं पायी तो वह अब अच्छे दिन देख रही है. उन्होंने कहा कि उनके लिए महाराष्ट्र की जनता अमित शाह की हमेशा के लिए ऋणी रहेगी.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-राकांपा-कांगेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन ये प्रयास विफल रहेंगे.

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