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कृषि कानूनों के विरूद्ध प्रदर्शन पर केंद्र चुप्पी तोड़े : शिवसेना - तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

तीन नये कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन पर शिवसेना ने कहा कि केंद्र सरकार को चुप्पी तोड़नी चाहिए. साथ ही किसानों के प्रति उदासीन रवैया बदलना होगा.

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Published : May 27, 2021, 6:26 PM IST

मुंबई : शिवसेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को तीन नये कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन पर 'चुप्पी' तोड़नी चाहिए और अपना 'उदासीन' रवैया छोड़ना चाहिए.

निजी क्षेत्र व्यापार, अनुबंध खेती और खाद्यानों की भंडारण सीमा खत्म करने को बढ़ावा देने वाले ये तीनों कानून पिछले साल बनाये गये थे जिसका किसान कड़ा विरोध कर रहे हैं. उन्होंने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को काला दिवस मनाया था.

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र ने कृषकों पर नये कानूनों को थोप दिया.

विवादास्पद कानून हों निरस्त

मराठी दैनिक ने कहा कि विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांग नहीं मानकर केंद्र उन्हें अपना आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य कर रहा है.

संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना समेत 12 बड़े राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और उन सभी ने 26 मई को उनके काला दिवस का भी समर्थन किया.

चुप्पी तोड़े सरकार

शिवसेना ने कहा कि केंद्र को अपनी 'चुप्पी' तोड़नी चाहिए तथा प्रदर्शन एवं प्रदर्शनकारियों की मांगों के प्रति उदासीन रवैया नहीं दिखाना चाहिए.

सामना के संपादकीय में कहा गया है, 'केंद्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारें किसान आंदोलन खत्म कराने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं, उसके बाद भी किसान उनके मनमाने रवैये को झेलते हुए डटे हुए हैं.'

पढ़ेंः राजस्थान कांग्रेस में खटपट ! गहलोत सरकार से 'अपने' ही असंतुष्ट, पायलट गुट ने खड़े किए सवाल

मुंबई : शिवसेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र को तीन नये कृषि कानूनों के विरूद्ध किसानों के प्रदर्शन पर 'चुप्पी' तोड़नी चाहिए और अपना 'उदासीन' रवैया छोड़ना चाहिए.

निजी क्षेत्र व्यापार, अनुबंध खेती और खाद्यानों की भंडारण सीमा खत्म करने को बढ़ावा देने वाले ये तीनों कानून पिछले साल बनाये गये थे जिसका किसान कड़ा विरोध कर रहे हैं. उन्होंने अपने आंदोलन के छह माह पूरे होने पर बुधवार को काला दिवस मनाया था.

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र ने कृषकों पर नये कानूनों को थोप दिया.

विवादास्पद कानून हों निरस्त

मराठी दैनिक ने कहा कि विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांग नहीं मानकर केंद्र उन्हें अपना आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य कर रहा है.

संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना समेत 12 बड़े राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है और उन सभी ने 26 मई को उनके काला दिवस का भी समर्थन किया.

चुप्पी तोड़े सरकार

शिवसेना ने कहा कि केंद्र को अपनी 'चुप्पी' तोड़नी चाहिए तथा प्रदर्शन एवं प्रदर्शनकारियों की मांगों के प्रति उदासीन रवैया नहीं दिखाना चाहिए.

सामना के संपादकीय में कहा गया है, 'केंद्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारें किसान आंदोलन खत्म कराने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं, उसके बाद भी किसान उनके मनमाने रवैये को झेलते हुए डटे हुए हैं.'

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