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राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव, बेटे-बेटी ने दी मुखाग्नि

देश में समाजवाद का बड़ा चेहरा और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का शनिवार को उनके पैतृक गांव नर्मदापुरम जिले के आंखमऊ में अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान (Sharad Yadav Funeral) के साथ किया गया. शाम 4.45 बजे उनके बेटे शांतनु व बेटी सुभांगिनी ने मुखाग्नि दी. इससे पहले उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

Sharad Yadav Funeral
जननेता शरद यादव
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Published : Jan 14, 2023, 8:05 PM IST

राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

नर्मदापुरम/भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गृह गांव नर्मदापुरम जिले के आंखमऊ में पहुंचा तो पूरा इलाका गमगीन हो गया. 'शरद यादव अमर रहें' के नारे गूंजते रहे. शरद यादव का पार्थिव शरीर दोपहर सवा तीन बजे नर्मदापुरम के माखननगर में स्‍थित उनके पैतृक गांव आंखमऊ पहुंचा था. जैसे ही पार्थिव शरीर पहुंचा तो अपने प्रिय नेता का इंतजार कर रहे लोगों का सब्र जवाब दे गया. कई लोग जोर-जोर से रोने लगे. आंखमऊ में आज हर आंख नम दिखी. शरद यादव की पार्थिव शरीर को पहले कुछ देर के लिए पुश्‍तैनी मकान में रखा गया. यहां इलाके लोगों ने उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की. शरद यादव को अंतिम विदाई देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय राज्‍य मंत्री प्रह्लाद पटेल और कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी समेत बड़ी संख्‍या में लोग आंखमऊ पहुंचे थे. शरद यादव की अंत्येष्टि उनके ही बगीचे में हुई.

Sharad Yadav Narmadapuram Aankhmau
राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

सीएम शिवराज सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि : इससे पहले दोपहर में दिल्ली से चार्टर्ड विमान से शरद यादव का पार्थिव शरीर भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट पहुंचा था. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रद्धांजलि दी थी. सीएम शिवराज सिंह ने इस मौके पर कहा कि वह तो मेरे पड़ोसी थे. मेरा गांव नर्मदा के इस पार था, उनका गांव नर्मदा के उस पार. शरद यादव बचपन से जुझारू थे. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश साहनी भी शरद यादव को अंतिम विदाई देने आंखमऊ गांव पहुंचे.

Sharad Yadav Narmadapuram Aankhmau
राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

समाजवाद के आंदोलन के पुरोधा : बता दें कि शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के माखन नगर तहसील स्थित आंखमऊ गांव में एक किसान परिवार में हुआ. साल 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनकी रुचि राजनीति में हुई. यहां से वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद शरद यादव ने आगे बढ़ते ही गए. उन्होंने जबलपुर से सिविल इंजीनियरिंग में गोल्ड मैडल भी जीता. उनके मन में समाजवादी आंदोलन के सूत्रधार राम मनोहर लोहिया के विचार चल रहे थे. इसीलिए वह लोहिया के आंदोलनों में भाग लेने लगे. शरद यादव को मीशा के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया.

Sharad Yadav ईमानदारी, नैतिकता व संघर्ष की मूर्ति शरद यादव जैसे नेता बिरले, पढ़ें- उनके जीवन की पूरी कहानी

सात बार सांसद चुने गए : शरद यादव मीशा आंदोलन के दौरान 1970, 72 और 75 में जेल में भी रहे. देश की सक्रिय राजनीति में उन्होंने 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई. इस दौरान जेपी आंदोलन जोरों पर चल रहा था. जेपी ने उन्हें जनता पार्टी से जबलपुर से उम्मीदवार बनाया. शरद यादव ने सबको चौंकाते हुए इस सीट पर जीत हासिल की और संसद भवन की दहलीज पर पहुंचे. इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए. वह सात बार सांसद चुने गए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और फिर उसके बार बिहार राजनीति में सक्रिय रहे. वह उप्र. के बदायूं और बिहार के मधेपुरा से भी लोकसभा का चुनाव कई बार जीते.

राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

नर्मदापुरम/भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गृह गांव नर्मदापुरम जिले के आंखमऊ में पहुंचा तो पूरा इलाका गमगीन हो गया. 'शरद यादव अमर रहें' के नारे गूंजते रहे. शरद यादव का पार्थिव शरीर दोपहर सवा तीन बजे नर्मदापुरम के माखननगर में स्‍थित उनके पैतृक गांव आंखमऊ पहुंचा था. जैसे ही पार्थिव शरीर पहुंचा तो अपने प्रिय नेता का इंतजार कर रहे लोगों का सब्र जवाब दे गया. कई लोग जोर-जोर से रोने लगे. आंखमऊ में आज हर आंख नम दिखी. शरद यादव की पार्थिव शरीर को पहले कुछ देर के लिए पुश्‍तैनी मकान में रखा गया. यहां इलाके लोगों ने उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की. शरद यादव को अंतिम विदाई देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, केंद्रीय राज्‍य मंत्री प्रह्लाद पटेल और कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी समेत बड़ी संख्‍या में लोग आंखमऊ पहुंचे थे. शरद यादव की अंत्येष्टि उनके ही बगीचे में हुई.

Sharad Yadav Narmadapuram Aankhmau
राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

सीएम शिवराज सहित कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि : इससे पहले दोपहर में दिल्ली से चार्टर्ड विमान से शरद यादव का पार्थिव शरीर भोपाल के राजाभोज एयरपोर्ट पहुंचा था. यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने श्रद्धांजलि दी थी. सीएम शिवराज सिंह ने इस मौके पर कहा कि वह तो मेरे पड़ोसी थे. मेरा गांव नर्मदा के इस पार था, उनका गांव नर्मदा के उस पार. शरद यादव बचपन से जुझारू थे. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश साहनी भी शरद यादव को अंतिम विदाई देने आंखमऊ गांव पहुंचे.

Sharad Yadav Narmadapuram Aankhmau
राजकीय सम्मान के साथ पंच तत्व में विलीन हुए जननेता शरद यादव

समाजवाद के आंदोलन के पुरोधा : बता दें कि शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद (अब नर्मदापुरम) जिले के माखन नगर तहसील स्थित आंखमऊ गांव में एक किसान परिवार में हुआ. साल 1971 में जबलपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनकी रुचि राजनीति में हुई. यहां से वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद शरद यादव ने आगे बढ़ते ही गए. उन्होंने जबलपुर से सिविल इंजीनियरिंग में गोल्ड मैडल भी जीता. उनके मन में समाजवादी आंदोलन के सूत्रधार राम मनोहर लोहिया के विचार चल रहे थे. इसीलिए वह लोहिया के आंदोलनों में भाग लेने लगे. शरद यादव को मीशा के तहत कई बार गिरफ्तार किया गया.

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सात बार सांसद चुने गए : शरद यादव मीशा आंदोलन के दौरान 1970, 72 और 75 में जेल में भी रहे. देश की सक्रिय राजनीति में उन्होंने 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई. इस दौरान जेपी आंदोलन जोरों पर चल रहा था. जेपी ने उन्हें जनता पार्टी से जबलपुर से उम्मीदवार बनाया. शरद यादव ने सबको चौंकाते हुए इस सीट पर जीत हासिल की और संसद भवन की दहलीज पर पहुंचे. इसके बाद साल 1977 में भी वे इसी सीट से सांसद चुने गए. वह सात बार सांसद चुने गए. इसके अलावा उत्तर प्रदेश और फिर उसके बार बिहार राजनीति में सक्रिय रहे. वह उप्र. के बदायूं और बिहार के मधेपुरा से भी लोकसभा का चुनाव कई बार जीते.

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