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SGPC On NCERT Book: एसजीपीसी का दावा NCERT की 12वीं की किताब में ऐतिहासिक विवरण को गलत तरीके से किया गया पेश

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एनसीईआरटी की किताबों में सिखों से संबंधित ऐतिहासिक विवरणों की गलत व्याख्या पर कड़ी आपत्ति जताई (SGPC took questions on NCERT 12th Syllabus) है.

SGPC took questions on NCERT 12th Syllabus
एसजीपीसी का दावा NCERT की 12वीं की किताब में ऐतिहासिक विवरण को गलत तरीके से किया गया पेश
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Published : Apr 8, 2023, 10:20 PM IST

अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (Shiromani Gurdwara Management Committee) ने शुक्रवार को दावा किया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research Training) ने 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में सिखों से संबंधित ऐतिहासिक विवरणों को गलत तरीके से पेश किया है. एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी (SGPC chief Harjinder Singh Dhami) ने एक बयान में कहा कि एनसीईआरटी ने ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक के अध्याय-आठ (रीजनल एशपायरेशन्स) में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के बारे में भ्रामक जानकारी दर्ज की है और समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. उन्होंने 1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए कहा कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने से संबंधित है.

समुदाय की भावनाओं को पहुंचाई गई ठेस: उन्होंने कहा कि सिखों को 'अलगाववादी' के तौर पर पेश करना कतई जायज नहीं है. धामी ने एनसीईआरटी से इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक उल्लेख को तुरंत हटाने को कहा है. वही शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी जानकारियों को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स इन इंडिया आफ्टर इंडिपेंडेंस नाम की किताब में गलत व्याख्या की गई है.

उन्होंने कहा कि इसमें राज्यों के अधिकारों की बात की गई है और दुख की बात है कि स्थिति आज भी वैसी ही है. राज्यों के अधिकारों और हितों की अनदेखी की जा रही है. शिरोमणि समिति के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लगता है कि हिंदू राष्ट्र की भाषा बोलने वालों को जान-बूझकर पक्ष लिया जा रहा है, वहीं अधिवक्ता धामी ने कहा कि पाठ्यक्रम में दिखाई देने वाली साम्प्रदायिकता की भावना देश के हितों के अनुरूप नहीं है.

अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (Shiromani Gurdwara Management Committee) ने शुक्रवार को दावा किया कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research Training) ने 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में सिखों से संबंधित ऐतिहासिक विवरणों को गलत तरीके से पेश किया है. एसजीपीसी के प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी (SGPC chief Harjinder Singh Dhami) ने एक बयान में कहा कि एनसीईआरटी ने ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस’ नामक पुस्तक के अध्याय-आठ (रीजनल एशपायरेशन्स) में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के बारे में भ्रामक जानकारी दर्ज की है और समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. उन्होंने 1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए कहा कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने से संबंधित है.

समुदाय की भावनाओं को पहुंचाई गई ठेस: उन्होंने कहा कि सिखों को 'अलगाववादी' के तौर पर पेश करना कतई जायज नहीं है. धामी ने एनसीईआरटी से इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक उल्लेख को तुरंत हटाने को कहा है. वही शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी जानकारियों को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू को ध्यान में रखा गया है. उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स इन इंडिया आफ्टर इंडिपेंडेंस नाम की किताब में गलत व्याख्या की गई है.

उन्होंने कहा कि इसमें राज्यों के अधिकारों की बात की गई है और दुख की बात है कि स्थिति आज भी वैसी ही है. राज्यों के अधिकारों और हितों की अनदेखी की जा रही है. शिरोमणि समिति के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा लगता है कि हिंदू राष्ट्र की भाषा बोलने वालों को जान-बूझकर पक्ष लिया जा रहा है, वहीं अधिवक्ता धामी ने कहा कि पाठ्यक्रम में दिखाई देने वाली साम्प्रदायिकता की भावना देश के हितों के अनुरूप नहीं है.

(एजेंसी)

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