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धनखड़ से पहले इन राज्यपालों का भी नहीं हुआ विधानसभा अभिभाषण, जानिए कारण - पश्चिम बंगाल के राज्यपाल

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (West Bengal governor) धनखड़ ने आज विधानसभा सत्र का उद्धघाटन किया, जिसके बाद उन्होंने अपना भाषण शुरू किया, लेकिन भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण अपने अभिभाषण को संक्षिप्त करना पड़ गया. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल ने सदन में अपना भाषण पढ़े ही बाहर निकल गए हों. इससे पहले भी कई मौकों पर राज्यपाल विधानसभा के पहले सत्र से नदारद रहे हैं.

राज्यपाल
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Published : Jul 2, 2021, 6:49 PM IST

Updated : Jul 2, 2021, 7:12 PM IST

हैदराबाद : पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच गतिरोध अभी भी बना हुआ है. इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) को नव गठित राज्य विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण अपने अभिभाषण को संक्षिप्त करना पड़ गया. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर सदन में हंगामा किया. इसके बाद राज्यपाल सदन से बाहर चले गए.

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल ने सदन में अपना भाषण पढ़े ही बाहर निकल गए हों. इससे पहले भी कई मौकों पर राज्यपाल ने विधानसभा में अपना भाषण छोड़ दिया.

राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने किया वाकआउट
इससे पहले 2011 में कर्नाटक के राज्यपाल (Karnataka governor) एच आर भारद्वाज (H.R. Bharadwaj) ने विधानसभा के संयुक्त सत्र ( joint session of the Assembly) में प्रथागत भाषण दिए बिना भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष के विरोध के कारण वाकआउट कर दिया.

अभिभाषण के लिए उपस्थित नहीं हुए राज्यपाल
जुलाई 2020 में पुडुचेरी की उपराज्यपाल (Puducherry Lt Governor) किरण बेदी (Kiran Bedi) एक सत्र की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए प्रथागत भाषण देने के लिए विधानसभा में नहीं आईं, क्योंकि बजट को अनुमोदन के लिए उनके पास नहीं भेजा गया था.

इससे पहले 1967 में जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल (governor of Andhra Pradesh) बीमार होने के कारण विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो सके और उनका भाषण स्पीकर द्वारा पढ़ा गया.

राज्यपाल के अभिभाषण पर क्या कहता है संविधान ?
अनुच्छेद 176 के मुताबिक राज्यपाल द्वारा [विधान सभा के लिए प्रत्येक आम चुनाव के बाद प्रथम सत्र और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र ] को संबोधित किया जाएगा. राज्यपाल विधान परिषद वाले राज्य में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और विधान-मण्डल को उसके आह्वान के कारण बताएगा.

सदन या प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबन्ध किया जाएगा.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल बजट सत्र 2021 : महज चार मिनट में राज्यपाल का अभिभाषण खत्म, भाजपा का वॉकआऊट

विधानसभा के पहले सत्र में राज्यपाल को आमंत्रण नहीं
जनवरी 2020 में भी राज्य सरकार द्वारा सत्र शुरू करने से पहले राज्यपाल धनखड़ को आमंत्रित नहीं किया गया था. धनखड़ ने उन्हें वर्ष के पहले विधानसभा सत्र में आमंत्रित नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की, हालांकि सदन ने केवल दो दिनों के लिए अपना कार्य किया.

टीएमसी सरकार की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष (West Bengal assembly Speaker ) बिमन बनर्जी (Biman Banerjee) ने कहा कि यदि बैठक पिछले सत्र की निरंतरता में हो, भले ही यह एक नए साल में हो, और किसी भी मानदंड का उल्लंघन नहीं किया गया हो, तो एक राज्यपाल के लिए सदन को संबोधित करने का कोई प्रावधान नहीं है.

जगदीप धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष बिमन बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि पिछले साल विधानसभा में उनके भाषण को लाइव नहीं करने का फैसला आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है.

हैदराबाद : पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच गतिरोध अभी भी बना हुआ है. इस बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) को नव गठित राज्य विधानसभा में शुक्रवार को विपक्षी भाजपा सदस्यों के हंगामे के कारण अपने अभिभाषण को संक्षिप्त करना पड़ गया. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने राज्य में विधानसभा चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर सदन में हंगामा किया. इसके बाद राज्यपाल सदन से बाहर चले गए.

हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब राज्यपाल ने सदन में अपना भाषण पढ़े ही बाहर निकल गए हों. इससे पहले भी कई मौकों पर राज्यपाल ने विधानसभा में अपना भाषण छोड़ दिया.

राज्यपाल एचआर भारद्वाज ने किया वाकआउट
इससे पहले 2011 में कर्नाटक के राज्यपाल (Karnataka governor) एच आर भारद्वाज (H.R. Bharadwaj) ने विधानसभा के संयुक्त सत्र ( joint session of the Assembly) में प्रथागत भाषण दिए बिना भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्ष के विरोध के कारण वाकआउट कर दिया.

अभिभाषण के लिए उपस्थित नहीं हुए राज्यपाल
जुलाई 2020 में पुडुचेरी की उपराज्यपाल (Puducherry Lt Governor) किरण बेदी (Kiran Bedi) एक सत्र की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए प्रथागत भाषण देने के लिए विधानसभा में नहीं आईं, क्योंकि बजट को अनुमोदन के लिए उनके पास नहीं भेजा गया था.

इससे पहले 1967 में जब आंध्र प्रदेश के राज्यपाल (governor of Andhra Pradesh) बीमार होने के कारण विधानसभा सत्र में शामिल नहीं हो सके और उनका भाषण स्पीकर द्वारा पढ़ा गया.

राज्यपाल के अभिभाषण पर क्या कहता है संविधान ?
अनुच्छेद 176 के मुताबिक राज्यपाल द्वारा [विधान सभा के लिए प्रत्येक आम चुनाव के बाद प्रथम सत्र और प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र ] को संबोधित किया जाएगा. राज्यपाल विधान परिषद वाले राज्य में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और विधान-मण्डल को उसके आह्वान के कारण बताएगा.

सदन या प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबन्ध किया जाएगा.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल बजट सत्र 2021 : महज चार मिनट में राज्यपाल का अभिभाषण खत्म, भाजपा का वॉकआऊट

विधानसभा के पहले सत्र में राज्यपाल को आमंत्रण नहीं
जनवरी 2020 में भी राज्य सरकार द्वारा सत्र शुरू करने से पहले राज्यपाल धनखड़ को आमंत्रित नहीं किया गया था. धनखड़ ने उन्हें वर्ष के पहले विधानसभा सत्र में आमंत्रित नहीं करने के लिए सरकार की आलोचना की, हालांकि सदन ने केवल दो दिनों के लिए अपना कार्य किया.

टीएमसी सरकार की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष (West Bengal assembly Speaker ) बिमन बनर्जी (Biman Banerjee) ने कहा कि यदि बैठक पिछले सत्र की निरंतरता में हो, भले ही यह एक नए साल में हो, और किसी भी मानदंड का उल्लंघन नहीं किया गया हो, तो एक राज्यपाल के लिए सदन को संबोधित करने का कोई प्रावधान नहीं है.

जगदीप धनखड़ ने विधानसभा अध्यक्ष बिमन बनर्जी को पत्र लिखकर कहा कि पिछले साल विधानसभा में उनके भाषण को लाइव नहीं करने का फैसला आपातकाल के दिनों की याद दिलाता है.

Last Updated : Jul 2, 2021, 7:12 PM IST
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