इस्लामाबाद : चीन के अशांत शिनजियांग प्रांत में उईगुर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के बारे में प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि मानवाधिकारों पर 'चुनिंदा घोषणाएं अनैतिक' हैं.
लंदन की ऑनलाइन समाचार संस्था 'मिडल ईस्ट आई' (एमईई) को दिए गए साक्षात्कार में खान ने इजराइल को मान्यता देने में खाड़ी देशों के दबाव से इंकार किया. 'डॉन' अखबार ने खबर दी है कि खान ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के संपर्क स्थापित नहीं करने से देश 20 वर्ष पीछे चला जाएगा.
खान ने पाकिस्तान और चीन के बीच 70 वर्ष पुराने संबंध को 'समय की कसौटी पर जांचा-परखा' बताया.
एमईई को दिए साक्षात्कार में खान ने कहा, 'मानवाधिकारों पर चुनिंदा घोषणाएं अनैतिक हैं.'
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उईगुर मुद्दे पर चीन से बात की है और इसे जवाब भी मिला है. उन्होंने कहा, 'हमारे और चीन के बीच एक समझ है. हम एक-दूसरे से बंद दरवाजे में बात करेंगे क्योंकि यह उनकी प्रकृति और संस्कृति है.'
अमेरिका और ब्रिटेन ने शिनजियांग में उईगुर मुसलमानों के साथ कथित बर्ताव को लेकर चीन की आलोचना की है और कुछ शीर्ष अधिकारियों ने इसे 'नरसंहार' करार दिया है. बीजिंग पर संसाधनों से संपन्न प्रांत में अल्पसंख्यक मुसलमानों से जबरन मजदूरी कराने, जबरन जन्म नियंत्रण लागू करने, उत्पीड़न और जेल में बंद माता-पिता से उनके बच्चों को अलग करने के आरोप हैं.
खान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान से संपर्क स्थापित करने की जरूरत है और ऐसा नहीं करने पर देश 20 वर्ष पीछे चला जाएगा.
तालिबान ने छह सितंबर को पंजशीर पर कब्जा के बाद पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने की घोषणा की और तब से यह समूह अपनी 'सरकार' को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने की अपील कर रहा है.
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उन्होंने कहा, 'दुनिया को अफगानिस्तान के साथ संपर्क स्थापित करना चाहिए.' ऐसा नहीं करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर अफगानिस्तान में एक बार फिर अराजकता फैल जाती है तो यह आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों के लिए मुफीद जगह बन जाएगा जो क्षेत्र के देशों के लिए चिंता की बात है.
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को अलग-थलग करने और उस पर प्रतिबंध लगाने से बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)