नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट 25 मार्च को यमुना नदी में प्रदूषण से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा. दिल्ली जल बोर्ड ने आरोप लगाया था कि हरियाणा से यमुना नदी में दूषित जल छोड़ा जा रहा है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे़, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम की पीठ ने मामले में पहले ही नोटिस जारी कर दिया था. पीठ ने एमिकस क्यूरिया को सुना और नदियों में प्रदूषण के खिलाफ स्वत: संज्ञान(suo moto) लिया.
आज अधिवक्ता शादान फरसाट ने पीठ के समक्ष दिल्ली जल बोर्ड द्वारा एक हस्तक्षेप आवेदन का उल्लेख किया और कहा कि यमुना में प्रदूषण बहुत अधिक है और पानी की आपूर्ति 10% से -40% से कम हो गई है. गर्मी के मौसम में पानी की अधिक आवश्यकता होगी और इसे छोड़ा नहीं जा रहा है.
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दिल्ली जल बोर्ड ने जल संकट को रोकने के लिए 8 मार्च को हरियाणा के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, ताकि यमुना नदी में अनुपचारित प्रदूषकों के निर्वहन को तुरंत रोका जा सके और दिल्ली को पर्याप्त पानी मिल सके.