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डीजीपी की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड और यूपीएससी को लगाई फटकार

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Published : Sep 3, 2021, 5:24 PM IST

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ( Supreme Court bench) ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए दो साल के कार्यकाल के नियम का उल्लंघन करने के मामले में सुनवाई करते हुए झारखंड राज्य (state of Jharkhand) और यूपीएससी को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा राज्य सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) एनवी रमना (NV Ramana) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ( Supreme Court bench) ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए दो साल के कार्यकाल के नियम का उल्लंघन करने के मामले में झारखंड राज्य (state of Jharkhand) और यूपीएससी को फटकार लगाई.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ( Justice Surya Kant) और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) की पीठ न्यूनतम दो साल के कार्यकाल के नियम की अवहेलना मामले में झारखंड राज्य और यूपीएससी के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान सीजेआई रमन्ना ने कहा, 'राज्य सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है.'

इस पर राज्य ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उसने यूपीएससी से डीजीपी चयन के लिए एक पैनल बनाने के लिए बार-बार अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने झारखंड सरकार को शीर्ष अदालत का जाने को कहा.

कोर्ट ने कहा कि उसने यूपीएससी के हलफनामे को देखा है और उसे फटकार लगाते हुए कहा है कि उन्हें पता भी नहीं है कि राज्य में क्या हो रहा है.

कोर्ट ने इस मामले में मौजूदा डीजीपी नीरज सिन्हा (DGP Neeraj Sinha) को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और मामले को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.

वहीं उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से परामर्श किए बिना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने कहा कि यह 'कानून का दुरुपयोग' होगा.

पढ़ें - न्यायालय का यूपीएससी के परामर्श के बिना डीजीपी नियुक्त करने की बंगाल की याचिका पर सुनवाई से इनकार

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने हालांकि पुलिस सुधारों पर मुख्य मामले में राज्य की पक्षकार बनने की अर्जी पर सुनवाई की अनुमति दे दी और कहा कि वह कई सालों से लंबित इस मामले में सुनवाई शुरू करेगा.

न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि जो मुद्दे वह उठा रही है वे वहीं हैं जो उसने पहले उठाए थे कि डीजीपी की नियुक्ति में यूपीएससी की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) एनवी रमना (NV Ramana) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ( Supreme Court bench) ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए दो साल के कार्यकाल के नियम का उल्लंघन करने के मामले में झारखंड राज्य (state of Jharkhand) और यूपीएससी को फटकार लगाई.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ( Justice Surya Kant) और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) की पीठ न्यूनतम दो साल के कार्यकाल के नियम की अवहेलना मामले में झारखंड राज्य और यूपीएससी के खिलाफ अवमानना ​​मामले की सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान सीजेआई रमन्ना ने कहा, 'राज्य सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है.'

इस पर राज्य ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि उसने यूपीएससी से डीजीपी चयन के लिए एक पैनल बनाने के लिए बार-बार अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने झारखंड सरकार को शीर्ष अदालत का जाने को कहा.

कोर्ट ने कहा कि उसने यूपीएससी के हलफनामे को देखा है और उसे फटकार लगाते हुए कहा है कि उन्हें पता भी नहीं है कि राज्य में क्या हो रहा है.

कोर्ट ने इस मामले में मौजूदा डीजीपी नीरज सिन्हा (DGP Neeraj Sinha) को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया और मामले को सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया.

वहीं उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से परामर्श किए बिना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने कहा कि यह 'कानून का दुरुपयोग' होगा.

पढ़ें - न्यायालय का यूपीएससी के परामर्श के बिना डीजीपी नियुक्त करने की बंगाल की याचिका पर सुनवाई से इनकार

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने हालांकि पुलिस सुधारों पर मुख्य मामले में राज्य की पक्षकार बनने की अर्जी पर सुनवाई की अनुमति दे दी और कहा कि वह कई सालों से लंबित इस मामले में सुनवाई शुरू करेगा.

न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि जो मुद्दे वह उठा रही है वे वहीं हैं जो उसने पहले उठाए थे कि डीजीपी की नियुक्ति में यूपीएससी की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.

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