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'क्या 80 साल से अधिक उम्र वालों को समय से पहले रिहा किया जा सकता है', कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया है और इस पर जवाब मांगा है कि क्या 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई के मामले पर विचार करने के लिए उनकी कोई नीति है या नहीं.

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Published : Jan 14, 2022, 9:11 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया है और इस पर जवाब मांगा है कि क्या 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई के मामले पर विचार करने के लिए उनकी कोई नीति है या नहीं. सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता 80 साल का है और रिहा होना चाहता है.

कोर्ट ने कहा, यह घटना वर्ष 1985 की है और उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2019 में अंतिम आदेश पारित किया गया था. कोर्ट ने अपनी निर्देशिका को उत्तर प्रदेश राज्य में सेवा के तुरंत बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए कहा.

पढ़ें :- SC समय पूर्व रिहाई की नीति को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत

जब कोविड के मामले बढ़ने लगे थे और देश में लॉकडाउन हुआ तो शीर्ष अदालत ने उन कैदियों की रिहाई का मामला उठाया था, जिन्हें संक्रमण का खतरा है. इसने राज्यों में उच्चाधिकार प्राप्त समितियों की नियुक्ति का आदेश दिया था जो महामारी के दौरान जमानत पर रिहा किए जाने वाले कैदियों के मानदंड पर निर्णय लेंगी. मानदंड में आयु भी शामिल है जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग निर्धारित की गई थी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य को नोटिस जारी किया है और इस पर जवाब मांगा है कि क्या 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई के मामले पर विचार करने के लिए उनकी कोई नीति है या नहीं. सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें याचिकाकर्ता 80 साल का है और रिहा होना चाहता है.

कोर्ट ने कहा, यह घटना वर्ष 1985 की है और उच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2019 में अंतिम आदेश पारित किया गया था. कोर्ट ने अपनी निर्देशिका को उत्तर प्रदेश राज्य में सेवा के तुरंत बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए कहा.

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जब कोविड के मामले बढ़ने लगे थे और देश में लॉकडाउन हुआ तो शीर्ष अदालत ने उन कैदियों की रिहाई का मामला उठाया था, जिन्हें संक्रमण का खतरा है. इसने राज्यों में उच्चाधिकार प्राप्त समितियों की नियुक्ति का आदेश दिया था जो महामारी के दौरान जमानत पर रिहा किए जाने वाले कैदियों के मानदंड पर निर्णय लेंगी. मानदंड में आयु भी शामिल है जो विभिन्न राज्यों में अलग-अलग निर्धारित की गई थी.

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