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SC ने 183 मुठभेड़ों की जांच की प्रगति पर उत्तर प्रदेश सरकार से हलफनामा मांगा

वकील विशाल तिवारी, जो इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, ने 2017 से उत्तर प्रदेश में 183 मुठभेड़ों का मुद्दा उठाया था. इस मामले में पीठ ने कहा कि वह मामले की जांच करने के लिए नहीं है बल्कि व्यवस्था को दुरुस्त होते देखना चाहती है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 12, 2023, 12:20 PM IST

नई दिल्ली : एक बड़े घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से 2017 के बाद से राज्य में 183 मुठभेड़ों की जांच की प्रगति पर एक व्यापक हलफनामा मांगा. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और अरविंद कुमार की पीठ ने गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया.

वकील विशाल तिवारी, जो इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, ने 2017 से उत्तर प्रदेश में 183 मुठभेड़ों का मुद्दा उठाया था. एक अन्य याचिका में अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में व्यापक जांच की मांग की है. आयशा नूरी की ओर से दायर याचिका में उनके भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की भी मांग की गई है.

अतीक और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या पर शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के वकील से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ऐसी हत्याओं को रोकने के लिए कोई तंत्र है? जस्टिस भट्ट ने पूछा कि आरोपी जेल में और न्यायिक हिरासत में कैसे मारे जा रहे हैं. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि अदालत को 2017 के बाद से राज्य में हुई 183 मुठभेड़ों की भी जांच करनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से 183 मुठभेड़ों के संबंध में जांच के चरण और मुकदमे की प्रगति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा. पीठ ने सवाल किया, क्या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया गया है?

अतीक के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें पुलिस के भीतर के तत्व शामिल हो सकते हैं, क्योंकि आरोपी हिरासत में थे और वे पुलिस से घिरे हुए थे, फिर भी उन्हें गोली मार दी गई. पीठ ने कहा कि पांच से 10 लोग उसकी सुरक्षा कर रहे थे… कोई कैसे आ सकता है और गोली मार सकता है? ये कैसे होता है? किसी की मिलीभगत है!

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यहां जांच करने के लिए नहीं है, बल्कि वह व्यवस्था को दुरुस्त होते देखना चाहती है. पीठ ने कहा कि उसे इन सभी मामलों में जांच की प्रगति पर डीजीपी रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से हलफनामा चाहिए और उत्तर प्रदेश को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा.

इसी साल 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत के दौरान अतीक अहमद और अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जुलाई में, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की मौत की गहन, निष्पक्ष और समय पर जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि राज्य उन सुरक्षा चूकों की भी जांच कर रहा है जिनके कारण तीन हमलावर पुलिस घेरे में घुस गए और अतीक अहमद और अशरफ पर गोलीबारी की. संबंधित एसीपी की प्रथम दृष्टया रिपोर्ट के आधार पर, घटनास्थल पर मौजूद चार पुलिस अधिकारियों और पीएस शाहगंज के SHO को अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू होने तक निलंबित कर दिया गया है.

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रिपोर्ट में यूपी सरकार के गृह विभाग ने 15 अप्रैल को हुई घटना की पृष्ठभूमि, हत्याओं की जांच और अतीक के बेटे असद और उसके सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ का विवरण भी दिया. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को कानपुर देहात के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके सहयोगियों की मुठभेड़ के बाद गठित न्यायमूर्ति बीएस चौहान जांच आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने जांच आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखा है और उनके निरंतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है.

नई दिल्ली : एक बड़े घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से 2017 के बाद से राज्य में 183 मुठभेड़ों की जांच की प्रगति पर एक व्यापक हलफनामा मांगा. न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और अरविंद कुमार की पीठ ने गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच का दायरा बढ़ा दिया.

वकील विशाल तिवारी, जो इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं, ने 2017 से उत्तर प्रदेश में 183 मुठभेड़ों का मुद्दा उठाया था. एक अन्य याचिका में अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में व्यापक जांच की मांग की है. आयशा नूरी की ओर से दायर याचिका में उनके भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की भी मांग की गई है.

अतीक और उसके भाई की पुलिस हिरासत में हत्या पर शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के वकील से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या ऐसी हत्याओं को रोकने के लिए कोई तंत्र है? जस्टिस भट्ट ने पूछा कि आरोपी जेल में और न्यायिक हिरासत में कैसे मारे जा रहे हैं. तिवारी ने इस बात पर जोर दिया कि अदालत को 2017 के बाद से राज्य में हुई 183 मुठभेड़ों की भी जांच करनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से 183 मुठभेड़ों के संबंध में जांच के चरण और मुकदमे की प्रगति को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा. पीठ ने सवाल किया, क्या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों का पालन किया गया है?

अतीक के मामले में शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें पुलिस के भीतर के तत्व शामिल हो सकते हैं, क्योंकि आरोपी हिरासत में थे और वे पुलिस से घिरे हुए थे, फिर भी उन्हें गोली मार दी गई. पीठ ने कहा कि पांच से 10 लोग उसकी सुरक्षा कर रहे थे… कोई कैसे आ सकता है और गोली मार सकता है? ये कैसे होता है? किसी की मिलीभगत है!

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यहां जांच करने के लिए नहीं है, बल्कि वह व्यवस्था को दुरुस्त होते देखना चाहती है. पीठ ने कहा कि उसे इन सभी मामलों में जांच की प्रगति पर डीजीपी रैंक के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से हलफनामा चाहिए और उत्तर प्रदेश को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा.

इसी साल 15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत के दौरान अतीक अहमद और अशरफ अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. जुलाई में, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की मौत की गहन, निष्पक्ष और समय पर जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार ने कहा कि राज्य उन सुरक्षा चूकों की भी जांच कर रहा है जिनके कारण तीन हमलावर पुलिस घेरे में घुस गए और अतीक अहमद और अशरफ पर गोलीबारी की. संबंधित एसीपी की प्रथम दृष्टया रिपोर्ट के आधार पर, घटनास्थल पर मौजूद चार पुलिस अधिकारियों और पीएस शाहगंज के SHO को अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू होने तक निलंबित कर दिया गया है.

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रिपोर्ट में यूपी सरकार के गृह विभाग ने 15 अप्रैल को हुई घटना की पृष्ठभूमि, हत्याओं की जांच और अतीक के बेटे असद और उसके सहयोगियों की पुलिस मुठभेड़ का विवरण भी दिया. राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को कानपुर देहात के गैंगस्टर विकास दुबे और उसके सहयोगियों की मुठभेड़ के बाद गठित न्यायमूर्ति बीएस चौहान जांच आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन के लिए उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने जांच आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखा है और उनके निरंतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है.

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