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कोर्ट ने दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की समीक्षा से किया इनकार - life term

सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में एक व्यक्ति को मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के 19 अप्रैल के अपने फैसले की समीक्षा करने से इनकार कर दिया है.

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Published : Jul 26, 2022, 9:00 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चार साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद की गई हत्या के दोषी को दी गई मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति यू.यू.ललित, न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले में पीड़िता की मां और भारतीय स्त्री शक्ति की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी.

पीठ ने कहा कि दोषी की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला सोच समझकर और प्रांसगिक तथ्यों के आधार पर लिया गया है. पीठ ने कहा कि उसने शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले पर विचार किया और निष्कर्ष निकाला कि यह भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत मौत की सजा देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.

यह भी पढ़ें: गब्बर स्टाइल में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने 6 युवकों को पीटा, Video Viral

गौरतलब है कि निचली अदालत ने हत्या के दोषी ठहराए गए फिरोज नामक आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने आरोपी की दोष सिद्धि तो बरकरार रखी, लेकिन मौत की सजा को 20 साल कारावास में तब्दील कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला साल 2013 में चार साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सुनाया.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने चार साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद की गई हत्या के दोषी को दी गई मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति यू.यू.ललित, न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने इस मामले में पीड़िता की मां और भारतीय स्त्री शक्ति की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी.

पीठ ने कहा कि दोषी की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला सोच समझकर और प्रांसगिक तथ्यों के आधार पर लिया गया है. पीठ ने कहा कि उसने शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले पर विचार किया और निष्कर्ष निकाला कि यह भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत मौत की सजा देने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है.

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गौरतलब है कि निचली अदालत ने हत्या के दोषी ठहराए गए फिरोज नामक आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था. शीर्ष अदालत ने आरोपी की दोष सिद्धि तो बरकरार रखी, लेकिन मौत की सजा को 20 साल कारावास में तब्दील कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला साल 2013 में चार साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सुनाया.

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