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SC का तमिलनाडु के मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति पर आदेश को रद्द करने से इनकार, मौजूदा स्थिति रहेगी बरकरार - Supreme Court news

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को रद्द कर दिया जिसमें अदालत से उसके फैसले को रद्द करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि सरकार को आगमिक परंपरा से शासित मंदिरों में नियुक्ति प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. appointment of priests in TN, temples SC refuses, TN temples, appointment of priests

appointment of priests
प्रतिकात्मक तस्वीर
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By PTI

Published : Nov 8, 2023, 1:41 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने 25 सितंबर के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया. अपने उस आदेश में अदालत ने तमिलनाडु सरकार से आगमिक परंपरा से शासित मंदिरों में अर्चकों या पुजारियों की नियुक्ति पर मौजूदा शर्तों को बनाए रखने को कहा था.

न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ प्रथम दृष्टया तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि राज्य अर्चकों की नियुक्ति का हकदार है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि अर्चकों की नियुक्ति एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है. उन्होंने कहा था कि राज्य को उन्हें नियुक्त करने का अधिकार है.

पीठ ने कहा, तर्क यह है कि राज्य सरकार एक विशेष संप्रदाय के मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति में आगम परंपराओं के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है. 'आगम' हिंदूओं के तांत्रिक साहित्य का संग्रह है और ऐसे ग्रंथों की तीन शाखाएं हैं - शैव, वैष्णव और शाक्त. शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार अगम मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति की वंशानुगत योजना में हस्तक्षेप कर रही है.

तमिलनाडु सरकार जो कि स्कूलों में अर्चकों के लिए एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद अन्य संप्रदायों के लोगों को अर्चक बनने की अनुमति देती है. पीठ ने 25 सितंबर को अर्चकों की नियुक्ति के संबंध में यथास्थिति (मौजूदा शर्तों) का आदेश दिया. इस आदेश के बाद राज्य भर के मंदिरों में सरकार की ओर से की जाने वाली 2405 अर्चकों की नियुक्ति रुक जाएगी. शीर्ष अदालत ने अब याचिकाओं पर आगे की सुनवाई 25 जनवरी, 2024 को तय की है.

इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि वह इसी तरह के मुद्दे पर मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही पर रोक नहीं लगाएगी. पीठ ने कहा, आप (वकील) बस उन्हें (उच्च न्यायालय को) बताएं कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रही है.

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राज्य सरकार ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि संबंधित मंदिर में पालन किए जाने वाले आगमों का अध्ययन करने वाले और उनसे परिचित व्यक्तियों में से उपयुक्त व्यक्तियों का चयन नियम 7 और 9 के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करके किया जाएगा.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने 25 सितंबर के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया. अपने उस आदेश में अदालत ने तमिलनाडु सरकार से आगमिक परंपरा से शासित मंदिरों में अर्चकों या पुजारियों की नियुक्ति पर मौजूदा शर्तों को बनाए रखने को कहा था.

न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ प्रथम दृष्टया तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि राज्य अर्चकों की नियुक्ति का हकदार है. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि अर्चकों की नियुक्ति एक धर्मनिरपेक्ष कार्य है. उन्होंने कहा था कि राज्य को उन्हें नियुक्त करने का अधिकार है.

पीठ ने कहा, तर्क यह है कि राज्य सरकार एक विशेष संप्रदाय के मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति में आगम परंपराओं के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं कर रही है. 'आगम' हिंदूओं के तांत्रिक साहित्य का संग्रह है और ऐसे ग्रंथों की तीन शाखाएं हैं - शैव, वैष्णव और शाक्त. शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार अगम मंदिरों में अर्चकों की नियुक्ति की वंशानुगत योजना में हस्तक्षेप कर रही है.

तमिलनाडु सरकार जो कि स्कूलों में अर्चकों के लिए एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स करने के बाद अन्य संप्रदायों के लोगों को अर्चक बनने की अनुमति देती है. पीठ ने 25 सितंबर को अर्चकों की नियुक्ति के संबंध में यथास्थिति (मौजूदा शर्तों) का आदेश दिया. इस आदेश के बाद राज्य भर के मंदिरों में सरकार की ओर से की जाने वाली 2405 अर्चकों की नियुक्ति रुक जाएगी. शीर्ष अदालत ने अब याचिकाओं पर आगे की सुनवाई 25 जनवरी, 2024 को तय की है.

इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि वह इसी तरह के मुद्दे पर मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित कार्यवाही पर रोक नहीं लगाएगी. पीठ ने कहा, आप (वकील) बस उन्हें (उच्च न्यायालय को) बताएं कि उच्चतम न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रही है.

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राज्य सरकार ने अपनी याचिका में शीर्ष अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि संबंधित मंदिर में पालन किए जाने वाले आगमों का अध्ययन करने वाले और उनसे परिचित व्यक्तियों में से उपयुक्त व्यक्तियों का चयन नियम 7 और 9 के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करके किया जाएगा.

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