नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार विनोद दुआ के यूट्यूब कार्यक्रम को लेकर उनके खिलाफ राजद्रोह के आरोप में हिमाचल प्रदेश के एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा दर्ज करायी गई प्राथमिकी बृहस्पतिवार को रद्द कर दी.
बहरहाल, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने दुआ के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब तक एक समिति अनुमति नहीं दे देती, तब तक पत्रकारिता का 10 साल से अधिक का अनुभव रखने वाले किसी मीडिया कर्मी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती.
शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने पिछले साल 20 जुलाई को मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से दुआ को दी गई सुरक्षा को अगले आदेश तक बढ़ा दिया था.
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शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि विनोद दुआ (Vinod Dua) को मामले के संबंध में हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा पूछे गए किसी अन्य पूरक प्रश्न का उत्तर देने की आवश्यकता नहीं है.
क्या है मामला
भाजपा (BJP) नेता श्याम ने शिमला जिले के कुमारसैन थाने में पिछले साल छल मई को राजद्रोह (Sedition), सार्वजनिक उपद्रव मचाने, मानहानिकारक सामग्री छापने आदि के आरोप में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दुआ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और पत्रकार को जांच में शामिल होने को कहा गया था.
श्याम ने आरोप लगाया था कि दुआ ने अपने यूट्यूब कार्यक्रम में प्रधानमंत्री पर कुछ आरोप लगाए थे.
इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है.
30 मार्च 2020: दुआ ने यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड करके 2019 में हुए पुलवामा हमले और 2020 में कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन को लेकर सरकार की आलोचना की.
छह मई: हिमाचल प्रदेश में दुआ के खिलाफ एक स्थानीय भाजपा नेता ने 36 दिन की देरी के बाद राजद्रोह और अन्य अपराधों का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई.
चार जून: दुआ के खिलाफ दिल्ली में भाजपा के एक प्रवक्ता ने एक और प्राथमिकी दर्ज कराई है.
10 जून: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज प्राथमिकी की जांच पर रोक लगा दी.
12 जून: हिमाचल प्रदेश पुलिस ने राजद्रोह मामले में दुआ को पूछताछ के लिए तलब किया.
13 जून: दुआ ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया.
14 जून: उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक हिमाचल प्रदेश पुलिस को दुआ को गिरफ्तार करने से रोक दिया, जांच रिपोर्ट मांगी. हालांकि, शीर्ष अदालत ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
सात जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने मामले से संबंधित जांच रिपोर्ट दायर करने में विफल रहने पर हिमाचल प्रदेश पुलिस की खिंचाई की.
16 सितंबर: केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि दुआ के कार्यक्रम ने लोगों को महामारी के दौरान पलायन करने के लिए उकसाया.
सात अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
तीन जून 2021: उच्चतम न्यायालय ने दुआ के खिलाफ राजद्रोह का मामला खारिज किया और कहा कि हर पत्रकार संरक्षण हकदार है.
(पीटीआई-भाषा)