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उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में खाली पद दो महीने में भरे जाएं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में रिक्तियों पर चिंता जताई है. कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वह उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (Consumer Disputes Redressal Commissions) में खाली पड़े पद दो महीने में भरें.

Supreme court (file photo)
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Dec 1, 2021, 6:08 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में रिक्तियों पर चिंता जताई. शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को राज्यों को रिक्तियां भरने के लिए जनवरी के अंत तक का समय दिया है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक सप्ताह के भीतर नोडल अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन का उपयोग उपभोक्ता आयोग के बुनियादी ढांचे के लिए उचित उपयोग प्रमाण पत्र के साथ किया जा सके.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (MM Sundresh) की पीठ देश भर में जिला और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और इनमें अध्यक्ष और सदस्यों / कर्मचारियों की नियुक्ति में सरकारों की निष्क्रियता के संबंध में एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी.

दरअसल कोर्ट के संज्ञान में आया है कि केंद्र धन जारी करता है लेकिन राज्य इसका उपयोग नहीं करते हैं. कोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता आयोग के बुनियादी ढांचे के लिए इसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए ताकि हर कोई संतुष्ट हो.

विभिन्न राज्यों में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराया गया, जिसमें पता चला कि किसी भी राज्य ने खाली पद नहीं भरे हैं. कुछ ने आंशिक रूप से निर्देशों का पालन किया है तो कुछ ने बिल्कुल भी नहीं किया है. कोर्ट ने राज्यों को रिक्तियों को भरने के लिए जनवरी के अंत तक 2 महीने का समय दिया.

पढ़ें- उपभोक्ता आयोग : SC ने रिक्त पदों के मामले पर लिया संज्ञान
आयोग में कर्मचारियों के संबंध में अदालत के संज्ञान में आया कि 9 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रजिस्ट्रार और संयुक्त रजिस्ट्रार के पद नहीं हैं और शेष राज्य जिनके पास पद हैं, वे भी खाली हैं. इसमें कहा गया है कि जो समय उन्हें दिया गया था वह समाप्त हो गया है और कुछ राज्यों में यह समाप्त होने वाला है.

कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों ने लगभग 1.5 साल की योजना दी है और यह स्वीकार्य नहीं है. यदि निर्णायक सदस्यों का पद भरा गया है तो उन्हें स्वयं सब कुछ नहीं करना चाहिए. इस प्रकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिए कि उन्हें 2 महीने की अवधि के भीतर नियुक्त किया जाए.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में रिक्तियों पर चिंता जताई. शीर्ष कोर्ट ने बुधवार को राज्यों को रिक्तियां भरने के लिए जनवरी के अंत तक का समय दिया है.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक सप्ताह के भीतर नोडल अधिकारियों को नामित करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन का उपयोग उपभोक्ता आयोग के बुनियादी ढांचे के लिए उचित उपयोग प्रमाण पत्र के साथ किया जा सके.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (MM Sundresh) की पीठ देश भर में जिला और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और इनमें अध्यक्ष और सदस्यों / कर्मचारियों की नियुक्ति में सरकारों की निष्क्रियता के संबंध में एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी.

दरअसल कोर्ट के संज्ञान में आया है कि केंद्र धन जारी करता है लेकिन राज्य इसका उपयोग नहीं करते हैं. कोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता आयोग के बुनियादी ढांचे के लिए इसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए ताकि हर कोई संतुष्ट हो.

विभिन्न राज्यों में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों की स्थिति के बारे में अदालत को अवगत कराया गया, जिसमें पता चला कि किसी भी राज्य ने खाली पद नहीं भरे हैं. कुछ ने आंशिक रूप से निर्देशों का पालन किया है तो कुछ ने बिल्कुल भी नहीं किया है. कोर्ट ने राज्यों को रिक्तियों को भरने के लिए जनवरी के अंत तक 2 महीने का समय दिया.

पढ़ें- उपभोक्ता आयोग : SC ने रिक्त पदों के मामले पर लिया संज्ञान
आयोग में कर्मचारियों के संबंध में अदालत के संज्ञान में आया कि 9 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रजिस्ट्रार और संयुक्त रजिस्ट्रार के पद नहीं हैं और शेष राज्य जिनके पास पद हैं, वे भी खाली हैं. इसमें कहा गया है कि जो समय उन्हें दिया गया था वह समाप्त हो गया है और कुछ राज्यों में यह समाप्त होने वाला है.

कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों ने लगभग 1.5 साल की योजना दी है और यह स्वीकार्य नहीं है. यदि निर्णायक सदस्यों का पद भरा गया है तो उन्हें स्वयं सब कुछ नहीं करना चाहिए. इस प्रकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिए कि उन्हें 2 महीने की अवधि के भीतर नियुक्त किया जाए.

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