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एनडीए परीक्षा में महिला उम्मीदवारों को अनुमति से जुड़ी याचिका पर केंद्र को नोटिस

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी कर उस याचिका के संदर्भ में जवाब मांगा है, जिसमें भारत सरकार से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा में महिला उम्मीदवारों के शामिल होने संबंधी दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है.

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Published : Mar 10, 2021, 3:14 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुश कालरा द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. साथ ही अधिवक्ता अनीता द्वारा दायर एक मामले में अभियोग आवेदन की अनुमति दी है.

कुश कालरा ने अपनी दलील के माध्यम से बताया कि अब महिलाओं को 10 + 2 स्तर की शिक्षा के बाद परीक्षा में बैठने की अनुमति न देना और उन्हें प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 और 19 का उल्लंघन है. उन्होंने आगे बताया कि अनुमति न देकर उन्हें समानता के अधिकार से वंचित करना है. साथ ही भेदभाव से सुरक्षा, लिंग के आधार पर किसी भी पेशे का अभ्यास करने का अधिकार, महिलाओं को मिलना चाहिए.

उन्होंने मामले में शीर्ष अदालत के एक फैसले का भी हवाला दिया. रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया व अन्य के मामले में अदालत ने कहा था कि महिला की शारीरिक विशेषताओं के कारण भारत के संविधान में उसके समान अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. फिलहाल अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा देने के लिए 10 + 2 योग्यता पर्याप्त मानी गई है.

यह भी पढ़ें-उत्तराखंड : तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल से की मुलाकात, शाम 4 बजे लेंगे शपथ

हालांकि, योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उक्त परीक्षा देने की अनुमति अभी नहीं है. भले ही वे हर तरह से सक्षम हों. यह संविधान के न्यायोचित स्पष्टीकरण व समता की मूल भावना के खिलाफ है. कहा कि यह गैर-भेदभाव के संवैधानिक मूल्यों के प्रति भी अपमान है.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कुश कालरा द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है. साथ ही अधिवक्ता अनीता द्वारा दायर एक मामले में अभियोग आवेदन की अनुमति दी है.

कुश कालरा ने अपनी दलील के माध्यम से बताया कि अब महिलाओं को 10 + 2 स्तर की शिक्षा के बाद परीक्षा में बैठने की अनुमति न देना और उन्हें प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट में प्रशिक्षण से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 14,15,16 और 19 का उल्लंघन है. उन्होंने आगे बताया कि अनुमति न देकर उन्हें समानता के अधिकार से वंचित करना है. साथ ही भेदभाव से सुरक्षा, लिंग के आधार पर किसी भी पेशे का अभ्यास करने का अधिकार, महिलाओं को मिलना चाहिए.

उन्होंने मामले में शीर्ष अदालत के एक फैसले का भी हवाला दिया. रक्षा मंत्रालय बनाम बबीता पुनिया व अन्य के मामले में अदालत ने कहा था कि महिला की शारीरिक विशेषताओं के कारण भारत के संविधान में उसके समान अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता. फिलहाल अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा देने के लिए 10 + 2 योग्यता पर्याप्त मानी गई है.

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हालांकि, योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उक्त परीक्षा देने की अनुमति अभी नहीं है. भले ही वे हर तरह से सक्षम हों. यह संविधान के न्यायोचित स्पष्टीकरण व समता की मूल भावना के खिलाफ है. कहा कि यह गैर-भेदभाव के संवैधानिक मूल्यों के प्रति भी अपमान है.

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