नई दिल्ली : मणिपुर की स्थिति से नाराज उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को टिप्पणी की कि वहां पर कानून-व्यवस्था एवं संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है. शीर्ष अदालत ने राज्य पुलिस द्वारा हिंसा के मामलों की जांच को 'सुस्त' और 'बहुत ही लचर' करार दिया. मणिपुर में बेलगाम जातीय हिंसा से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के तौर तरीके की आलोचना करते हुए न्यायालय ने कहा कि पुलिस ने कानून व्यवस्था पर से नियंत्रण खो दिया. शीर्ष अदालत ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि सोमवार को जब वह राज्य मणिपुर से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करे तब वह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों.
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने चार मई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने वाले वीडियो को ‘बेहद परेशान’ करने वाला करार दिया. इसके साथ ही पीठ ने सरकार से घटना, मामले में 'जीरो एफआईआर' और नियमित प्राथमिकी दर्ज करने की तारीख बताने को कहा. चार मई का यह वीडियो पिछले महीने सामने आया था. शीर्ष अदालत ने जानना चाहा कि अबतक दर्ज करीब 6000 प्राथमिकियों में कितने लोगों को नामजद किया गया है और उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए.
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Supreme Court observes that one thing is very clear there has been a long delay in the registration of FIRs.
— ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Referring to an incident of a woman being dragged out of a car and her son being lynched to death in Manipur, Supreme Court says the incident happened on May 4 and FIR… pic.twitter.com/KRv8icH6lF
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— ANI (@ANI) August 1, 2023
Referring to an incident of a woman being dragged out of a car and her son being lynched to death in Manipur, Supreme Court says the incident happened on May 4 and FIR… pic.twitter.com/KRv8icH6lFSupreme Court observes that one thing is very clear there has been a long delay in the registration of FIRs.
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Referring to an incident of a woman being dragged out of a car and her son being lynched to death in Manipur, Supreme Court says the incident happened on May 4 and FIR… pic.twitter.com/KRv8icH6lF
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, " एक चीज बहुत स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देरी हुई. मामले में जांच बहुत ही सुस्त है, प्राथमिकियां बहुत देरी से दर्ज की गईं और गिरफ्तारियां नहीं की गईं, बयान दर्ज नहीं किये गये ...राज्य में कानून व्यवस्था और संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है." इससे पहले सुनवाई शुरू होने पर मणिपुर सरकार ने पीठ को बताया कि उसने मई में जातीय हिंसा भड़कने के बाद 6,523 प्राथमिकियां दर्ज कीं.
केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले में राज्य पुलिस ने 'जीरो' प्राथमिकी दर्ज की थी. मेहता ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि मणिपुर पुलिस ने वीडियो मामले में एक नाबालिग समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है. उन्होंने पीठ को बताया कि ऐसा लगता है कि राज्य पुलिस ने घटना का वीडियो सामने आने के बाद महिलाओं के बयान दर्ज किए.
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Manipur violence case | Solicitor General Tushar Mehta appearing for the government says an affidavit in the case has been filed.
— ANI (@ANI) August 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
SG: I am trying to be as impartial as I can, I am addressing dispassionately, only on facts.
SG: The state government and the relevant authorises…
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SG: The state government and the relevant authorises…Manipur violence case | Solicitor General Tushar Mehta appearing for the government says an affidavit in the case has been filed.
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SG: I am trying to be as impartial as I can, I am addressing dispassionately, only on facts.
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उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर पुलिस से नाराजगी जताते हुए कहा कि घटना की जांच बहुत सुस्त है और राज्य में कानून एवं व्यवस्था और संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है. इसने कहा कि यह साफ है कि पुलिस ने राज्य में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर से नियंत्रण खो दिया है और अगर कानून एवं व्यवस्था तंत्र लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो नागरिकों का क्या होगा. इसने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम है, उसने स्थिति से नियंत्रण खो दिया है. उच्चतम न्यायालय ने पूछा कि क्या महिलाओं को भीड़ को सौंपने वाले पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई. अदालत में मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई जारी है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई से पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मणिपुर में यौन उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज न करने का निर्देश दिया था. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले से जुड़ी कई याचिकाओं पर आज दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा. गत महीने सामने आए एक वीडियो में मणिपुर में कुछ लोग दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाते दिखे थे. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने महिलाओं की ओर से पेश वकील निजाम पाशा की दलीलों पर संज्ञान लिया. सीबीआई ने इन महिलाओं को आज अपने समक्ष पेश होने तथा बयान दर्ज कराने को कहा था.
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CJI Chandrachud says that Court’s approach is irrespective of whoever has committed the offence. Offence is an offence regardless of who is victim or perpetrator.
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केंद्र तथा मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है. पीठ ने कहा, "उन्हें (सीबीआई अधिकारियों को) इंतजार करने के लिए कहिए. हम आज अपराह्न दो बजे इस पर सुनवाई करेंगे." इस पर मेहता ने जवाब दिया, "मैं यह संदेश दे दूंगा."
पढ़ें : Manipur Viral Video केस में केंद्र और राज्य से SC ने पूछा, एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों?
बता दें कि सोमवार को शीर्ष अदालत ने मणिपुर के पीड़ित लोगों के बयान दर्ज करने के लिए एक पैनल गठित करने और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की याचिका पर भी विचार करने का संकेत दिया था. कोर्ट ने केंद्र और मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से सवाल किया था कि मणिपुर पुलिस को संघर्षग्रस्त राज्य में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और यौन उत्पीड़न के मामले में एफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे.
पीड़ितों ने अपनी याचिका में अनुरोध किया है कि उनकी पहचान सुरक्षित रखी जाए और एक आईजी-रैंक के पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र एसआईटी के नेतृत्व में जांच की जाए और मुकदमे को राज्य के बाहर स्थानांतरित किया जाए.
(अतिरिक्त इनपुट-भाषा)