ETV Bharat / bharat

private sector reservation : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या आरक्षण से जुड़े मामलों पर एक साथ करें सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि क्या निजी क्षेत्र में अधिवास (domicile) के आधार पर रिजर्वेशन से जुड़े मामलों पर एक साथ सुनवाई की जाए ? निजी क्षेत्र में डोमिसाइल आधारित आरक्षण (domicile based private sector reservation) के मामले में हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. शीर्ष अदालत सोमवार को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी.

SC
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Feb 11, 2022, 6:08 PM IST

नई दिल्ली : निजी क्षेत्र में अधिवास के आधार पर आरक्षण (domicile based private sector reservation) से संबंधित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या याचिकाओं पर एक साथ विचार किया जाए ? उच्चतम न्यायालय ने जानना चाहा है कि क्या इस मामले से संबंधित पक्ष एक साथ सुनवाई की बात से सहमत हैं ? न्यायालय ने मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय राज्य के निवासियों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. बता दें कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई (Justice L Nageswara Rao and Justice B R Gavai) की पीठ ने कहा कि उसे पता चला है कि इसी तरह के कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में पारित किए गए हैं और उन्हें उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है.

उच्चतम न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इससे संबंधित तथ्यों का पता लगायें और विवरण एकत्र करें. पीठ ने कहा, 'यदि मामले अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं, तो हम उच्च न्यायालयों से कागजात मंगवाने के बाद इस पर सुनवाई कर सकते हैं, आप हमें सूचित कर सकते हैं.'

शुक्रवार को सुनवाई की शुरुआत में, तुषार मेहता ने कहा कि केवल 90 सेकंड की सुनवाई के बाद, एक आदेश द्वारा एक कानून पर रोक लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि केवल गिने-चुने लोग ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं. एक पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को विचार करने की आवश्यकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह मुवक्किलों से सलाह मशविरा करने के बाद इस मुद्दे पर विचार करेंगे. उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुड़गांव सहित राज्य के अन्य निकायों द्वारा दायर याचिकाओं पर हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

यह भी पढ़ें- क्या कोई राज्य डोमिसाइल के आधार पर नौकरी देने की सीमा तय कर सकता है: हाई कोर्ट

क्या है कानून
गौरतलब है कि हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण (75 per cent reservation in the private sector) देता है. यह कानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ था. यह कानून हरियाणा में स्थित निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्ट, साझेदारी वाली लिमिटेड कंपनियों, साझेदारी फर्म, 10 से ज्यादा लोगों को मासिक वेतन/दिहाड़ी पर नौकरी देने वाले कार्यालयों, विनिर्माण क्षेत्र आदि पर लागू होता है. हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Haryana Governor Bandaru Dattatreya) ने मार्च, 2021 में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार विधेयक, 2020 (Haryana State Employment of Local Candidates Bill 2020) को मंजूरी दी थी.

नई दिल्ली : निजी क्षेत्र में अधिवास के आधार पर आरक्षण (domicile based private sector reservation) से संबंधित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या याचिकाओं पर एक साथ विचार किया जाए ? उच्चतम न्यायालय ने जानना चाहा है कि क्या इस मामले से संबंधित पक्ष एक साथ सुनवाई की बात से सहमत हैं ? न्यायालय ने मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय राज्य के निवासियों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले कानून पर अंतरिम रोक लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. बता दें कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई (Justice L Nageswara Rao and Justice B R Gavai) की पीठ ने कहा कि उसे पता चला है कि इसी तरह के कानून आंध्र प्रदेश और झारखंड में पारित किए गए हैं और उन्हें उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई है.

उच्चतम न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इससे संबंधित तथ्यों का पता लगायें और विवरण एकत्र करें. पीठ ने कहा, 'यदि मामले अन्य उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित हैं, तो हम उच्च न्यायालयों से कागजात मंगवाने के बाद इस पर सुनवाई कर सकते हैं, आप हमें सूचित कर सकते हैं.'

शुक्रवार को सुनवाई की शुरुआत में, तुषार मेहता ने कहा कि केवल 90 सेकंड की सुनवाई के बाद, एक आदेश द्वारा एक कानून पर रोक लगा दी गई है. उन्होंने कहा कि केवल गिने-चुने लोग ही इस कानून का विरोध कर रहे हैं. एक पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय को विचार करने की आवश्यकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह मुवक्किलों से सलाह मशविरा करने के बाद इस मुद्दे पर विचार करेंगे. उच्च न्यायालय ने तीन फरवरी को फरीदाबाद के विभिन्न उद्योग संघों और गुड़गांव सहित राज्य के अन्य निकायों द्वारा दायर याचिकाओं पर हरियाणा सरकार के कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

यह भी पढ़ें- क्या कोई राज्य डोमिसाइल के आधार पर नौकरी देने की सीमा तय कर सकता है: हाई कोर्ट

क्या है कानून
गौरतलब है कि हरियाणा राज्य स्थानीय अभ्यर्थी रोजगार कानून, 2020 राज्य के नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण (75 per cent reservation in the private sector) देता है. यह कानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ था. यह कानून हरियाणा में स्थित निजी क्षेत्र की कंपनियों, सोसाइटियों, ट्रस्ट, साझेदारी वाली लिमिटेड कंपनियों, साझेदारी फर्म, 10 से ज्यादा लोगों को मासिक वेतन/दिहाड़ी पर नौकरी देने वाले कार्यालयों, विनिर्माण क्षेत्र आदि पर लागू होता है. हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Haryana Governor Bandaru Dattatreya) ने मार्च, 2021 में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार विधेयक, 2020 (Haryana State Employment of Local Candidates Bill 2020) को मंजूरी दी थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.