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बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ पत्रकार की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज - बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश

मुंबई (Mumbai) में ठाणे के एक पत्रकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग के खिलाफ नई दिल्ली (New Delhi) सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 24, 2022, 7:32 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाने वाले ठाणे के एक पत्रकार की याचिका खारिज कर दी है. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सपन श्रीवास्तव की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने खुद के पत्रकार होने का दावा किया है.

श्रीवास्तव के खिलाफ उच्च न्यायालय की नंदराजोग के नेतृत्व वाली पीठ ने जनहित याचिका क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग करने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. न्यायमूर्ति नंदराजोग अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. पीठ ने 21 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि 'हमें संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के तहत हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. इसलिए एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) खारिज की जाती है.'

श्रीवास्तव ने 2019 में बम्बई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) के संचालन को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा बोर्ड के पास केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अपेक्षित मंजूरी का अभाव है. उच्च न्यायालय ने श्रीवास्तव पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी थी.

नई दिल्ली (New Delhi) में शीर्ष अदालत ने सुनवाई की शुरुआत में संकेत दिया कि वह उच्च न्यायालय (Supreme Court) के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, हालांकि वह उन पर लगाए गए जुर्माने को कम करने पर विचार करेगी. श्रीवास्तव ने नंदराजोग के खिलाफ अपने आरोप को दोहराते हुए कहा कि 'मैं सभी उपचारों को समाप्त करना चाहूंगा.' इसके बाद पीठ ने जुर्माना पहलू में हस्तक्षेप किए बिना अपील खारिज कर दी.

श्रीवास्तव ने कहा था कि चूंकि अब सेवानिवृत्त हो चुके न्यायमूर्ति नंदराजोग ने आईसीएसई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी, वह पक्षपाती थे और अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकते. उच्च न्यायालय ने उनकी जनहित याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया था कि उनके द्वारा दायर की जाने वाली कोई अन्य नयी जनहित याचिका पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि वह जुर्माना जमा नहीं कर देते.

पढ़ें: मॉर्फिन के साथ पकड़े गए आरोपी की जमानत SC ने की खारिज

न्यायमूर्ति नंदराजोग को 20 दिसंबर, 2002 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. वह 23 फरवरी, 2020 को बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सेवानिवृत्त हुए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाने वाले ठाणे के एक पत्रकार की याचिका खारिज कर दी है. प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सपन श्रीवास्तव की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने खुद के पत्रकार होने का दावा किया है.

श्रीवास्तव के खिलाफ उच्च न्यायालय की नंदराजोग के नेतृत्व वाली पीठ ने जनहित याचिका क्षेत्राधिकार का दुरुपयोग करने के लिए 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. न्यायमूर्ति नंदराजोग अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. पीठ ने 21 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि 'हमें संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र के तहत हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. इसलिए एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) खारिज की जाती है.'

श्रीवास्तव ने 2019 में बम्बई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) के संचालन को रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि शिक्षा बोर्ड के पास केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अपेक्षित मंजूरी का अभाव है. उच्च न्यायालय ने श्रीवास्तव पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए जनहित याचिका खारिज कर दी थी.

नई दिल्ली (New Delhi) में शीर्ष अदालत ने सुनवाई की शुरुआत में संकेत दिया कि वह उच्च न्यायालय (Supreme Court) के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी, हालांकि वह उन पर लगाए गए जुर्माने को कम करने पर विचार करेगी. श्रीवास्तव ने नंदराजोग के खिलाफ अपने आरोप को दोहराते हुए कहा कि 'मैं सभी उपचारों को समाप्त करना चाहूंगा.' इसके बाद पीठ ने जुर्माना पहलू में हस्तक्षेप किए बिना अपील खारिज कर दी.

श्रीवास्तव ने कहा था कि चूंकि अब सेवानिवृत्त हो चुके न्यायमूर्ति नंदराजोग ने आईसीएसई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की थी, वह पक्षपाती थे और अपने स्वयं के मामले में न्यायाधीश नहीं हो सकते. उच्च न्यायालय ने उनकी जनहित याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया था कि उनके द्वारा दायर की जाने वाली कोई अन्य नयी जनहित याचिका पर तब तक विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि वह जुर्माना जमा नहीं कर देते.

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न्यायमूर्ति नंदराजोग को 20 दिसंबर, 2002 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. वह 23 फरवरी, 2020 को बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर सेवानिवृत्त हुए.

(पीटीआई-भाषा)

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