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प्रवासी बच्चों के अधिकाराें काे लेकर सुप्रीम काेर्ट सख्त, राज्यों से मांगी रिपोर्ट - प्रवासी बच्चों

उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किया कि वे प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति से अवगत कराएं. शीर्ष न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Apr 13, 2021, 6:45 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को मंगलवार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि वे प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति से अवगत कराएं.

न्यायालय ने ये निर्देश उस याचिका पर दिया जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच, प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना एवं न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जायना कोठारी पेश हुईं. शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को आठ मार्च को मामले में पक्षकार बनाया था.

चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट तथा बेंगलुरु के एक निवासी की ओर से इस बाबत याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि कोविड-19 संकट की गंभीरता के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी और इस दौरान, प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए.

इसे भी पढ़ें : SC ने खारिज की कुरान की आयतों के खिलाफ याचिका, वसीम रिजवी पर 50 हजार का जुर्माना

इसमें कहा गया कि लॉकडाउन से प्रवासी बच्चों पर कहर बरपा है और अब तक प्रवासी बच्चों, शिशुओं, गर्भवती प्रवासी महिलाओं की संख्या और उनकी जरूरतों का कोई आकलन नहीं किया गया है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को मंगलवार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि वे प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति से अवगत कराएं.

न्यायालय ने ये निर्देश उस याचिका पर दिया जिसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच, प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना एवं न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है.

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जायना कोठारी पेश हुईं. शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को आठ मार्च को मामले में पक्षकार बनाया था.

चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट तथा बेंगलुरु के एक निवासी की ओर से इस बाबत याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया कि कोविड-19 संकट की गंभीरता के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी और इस दौरान, प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए.

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इसमें कहा गया कि लॉकडाउन से प्रवासी बच्चों पर कहर बरपा है और अब तक प्रवासी बच्चों, शिशुओं, गर्भवती प्रवासी महिलाओं की संख्या और उनकी जरूरतों का कोई आकलन नहीं किया गया है.

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