नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुंबई की एक निजी कंपनी की अध्यक्ष सुमन विजय गुप्ता को संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करने की अनुमति देने के बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उस मामले का संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया जिसमें गुप्ता पर भारतीय स्टेट बैंक के साथ 3,300 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है. गुप्ता उषदेव इंटरनेशनल लिमिटेड (यूआईएल) की अध्यक्ष हैं.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरिसम्हा की पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की इन दलीलों का गुरुवार को संज्ञान लिया कि आर्थिक अपराधियों और धोखेबाजों को व्यक्तिगत हलफनामों पर विदेश जाने की अनुमति दिए जाने को लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों का बुरा अनुभव रहा है क्योंकि वे शायद ही कभी अपने शपथपत्रों का सम्मान करते हैं और कार्यवाही का सामना करने के लिए वापस आते हैं.
मेहता ने कहा, 'वह उस कंपनी की अध्यक्ष हैं जिसने 3,300 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. सीबीआई (मामले की) जांच कर रही है. ऋण को गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) घोषित किये जाने के बाद उन्होंने भारतीय नागरिकता छोड़ दी और डोमिनिका की नागरिकता ले ली.' उन्होंने बताया कि एक लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया गया और उन्हें यात्रा करने से रोका गया. मेहता ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर वह यह शपथपत्र जमा करेंगी कि वह अपने खिलाफ मामले में कानूनी कार्यवाही का सामना करने के लिए लौटेंगी तो उन्हें जाने की अनुमति दी जाएगी.
मेहता ने कहा, 'हमारा शपथपत्रों को लेकर बहुत खराब अनुभव रहा है.' पीठ ने कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे. अगले आदेश तक उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक रहेगी.' मेहता ने कहा कि धोखाधड़ी का पता चलने के बाद यूआईएल के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू की गयी और बाद में सीबीआई ने गुप्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया. गुप्ता ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी थी और संयुक्त अरब अमीरात में रहते हुए डोमिनिका राष्ट्रमंडल की नागरिक बन गयीं. उन्होंने बताया कि गुप्ता अपने एक रिश्तेदार की शादी में आई थीं और 2020 में उनके खिलाफ एलओसी जारी किया गया.
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(पीटीआई-भाषा)