लंदन : सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ आईजीजी एंटीबॉडी (antibodies) का स्तर संक्रमण के सात महीने बाद भी स्थिर रहता है, या बढ़ भी जाता है. शुक्रवार को 'नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल' में प्रकाशित स्वास्थ्य कर्मियों के एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है.
स्पेन में बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (आईएसग्लोबल) के शोधकर्ताओं का यह भी सुझाव है कि सामान्य सर्दी कोरोना वायरस के खिलाफ पहले से मौजूद एंटीबॉडी कोविड-19 से बचाव कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि महामारी के उभरने की भविष्यवाणी करने और प्रभावी रणनीति विकसित करने के लिए सार्स-सीओवी-2 की गतिशीलता और प्रतिरक्षा की अवधि को बेहतर ढंग से समझना महत्वपूर्ण है.
समय के साथ विभिन्न सार्स-सीओवी-2 एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए शोधकर्ताओं ने महामारी की शुरुआत से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के एक समूह पर अध्ययन किया. अध्ययन का नेतृत्व करने वाले शोधकर्ता कार्लोटा डोबोनो ने कहा, 'यह पहला अध्ययन है जो सात महीनों में सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी के इतने बड़े पैनल में एंटीबॉडी का मूल्यांकन करता है.'
578 लोगों के लिए रक्त के नमूने
टीम ने मार्च और अक्टूबर 2020 के बीच चार अलग-अलग समय बिंदुओं पर लिए गए 578 प्रतिभागियों के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया. उन्होंने आईजीए, आईजीएम या आईजीजी एंटीबॉडी के स्तर और प्रकार को छह अलग-अलग सार्स-सीओवी-2 एंटीजन के साथ-साथ चार कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी की मौजूदगी को मापा जो मनुष्यों में सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं.
शोधकर्ताओं ने बार्सिलोना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के सहयोग से एंटीबॉडी की निष्क्रिय गतिविधि का भी विश्लेषण किया. इसके नतीजे बताते हैं कि स्वास्थ्य कर्मियों में अधिकांश संक्रमण पहली महामारी की लहर के दौरान हुए.
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अध्ययन के अनुसार सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ आईजीजी एंटीबॉडी का स्तर संक्रमण के सात महीने बाद भी स्थिर रहता है या बढ़ भी जाता है. अध्ययन के वरिष्ठ सह-लेखक जेम्मा मोनकुनिल ने कहा, 'आश्चर्यजनक रूप से, हमने पांच महीने के बाद से 75 प्रतिशत प्रतिभागियों में वायरस के दोबारा संपर्क में आने के सबूत के बिना आईजीजी एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी की वृद्धि देखी.'
(पीटीआई-भाषा)