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यूपी+बिहार= गयी मोदी सरकार, नीतीश कुमार के समर्थन में सपा का पोस्टर, जानें क्या बोली BJP

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले ही समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के औपचारिक एलान से पहले ही संकेत देना शुरू कर दिया है. जहां राजधानी लखनऊ में सपा नेता आईपी सिंह ने पार्टी मुख्यालय के बाहर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अखिलेश यादव के बीच गठबंधन के समर्थन में पोस्टर लगवाया है. पोस्टर में अखिलेश यादव और नीतीश कुमार की तस्वीरों के साथ लिखा है यूपी+बिहार=गयी मोदी सरकार.

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नीतीश कुमार के समर्थन में सपा का पोस्टर
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Published : Sep 10, 2022, 3:54 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गठबंधन के औपचारिक एलान से पहले ही संकेत देना शुरू कर दिया है. समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने लखनऊ में पार्टी के मुख्यालय के बाहर बोर्ड लगवाए हैं जिसमें अखिलेश यादव और नीतीश कुमार की तस्वीरों के साथ लिखा है यूपी+बिहार=गयी मोदी सरकार. दरअसल, हाल ही में नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की दिल्ली में मुलाकात हुई थी. जिसके बाद में यह समीकरण तेज हो गए हैं कि नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा बनाने को लेकर अखिलेश यादव ने भी अपनी रजामंदी दे दी है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने होर्डिंग के जवाब में कहा है कि सपने नहीं होंगे साकार.

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी.

समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर लगे होर्डिंग आज सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. सपा प्रवक्ता प्रदीप भाटी से जब नीतीश की दावेदारी पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा 'हमारी पार्टी का स्टैंड है कि 2024 से पहले सभी विपक्षी दल बैठकर बात करें और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए जिसका भी नाम आए. उसका समर्थन करें.

सपा प्रवक्ता भाटी ने कहा कि, 'आगामी लोकसभा चुनाव में नौजवान, किसान, लोकतंत्र, संविधान और गरीब विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकना है. जनता अब धीरे-धीरे जागरूक हो रही है. जिस तरह से बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है. वैसे ही केंद्र में भी बदलाव का समय आ गया है और हम ऐसी हर कोशिश का समर्थन करते हैं'.

यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा के पोस्टर पर निशाना साधते कहा कि सपने इनके नहीं होंगे साकार. अखिलेश जी का गठबंधन बनाने के मामले में ट्रैक रिकॉर्ड काफी खराब है. यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहले कांग्रेस से गठबंधन किया, लेकिन वो टूट गया. लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा से गठबंधन किया मगर वो भी टूट गया. इसके बाद सुभासपा, केशव देव मौर्या की पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन हर बार की तरह गठबंधन की गाठें खुल गईं. सच्चाई तो ये है कि अखिलेश यादव गठबंधन के लिए फिट नहीं हैं. अब वो नीतीश कुमार के साथ मिलकर संभावनाएं तलाश रहे हैं. ये तीसरा मोर्चा बनाने की जो कोशिश की जा रही है. उसमें कोई वैचारिक समानता नहीं है और कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं है. साथ ही इसका कोई आधार नहीं है. इसलिए इस तरह का कोई भी गंठबंधन केवल कल्पना मात्र बनकर रह जाएगा.

इसे भी पढे़ं- बिहार सीएम नीतीश कुमार ने लिया मुलायम सिंह का हालचाल, अखिलेश से की सियासी रणनीति पर चर्चा

लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गठबंधन के औपचारिक एलान से पहले ही संकेत देना शुरू कर दिया है. समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने लखनऊ में पार्टी के मुख्यालय के बाहर बोर्ड लगवाए हैं जिसमें अखिलेश यादव और नीतीश कुमार की तस्वीरों के साथ लिखा है यूपी+बिहार=गयी मोदी सरकार. दरअसल, हाल ही में नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की दिल्ली में मुलाकात हुई थी. जिसके बाद में यह समीकरण तेज हो गए हैं कि नीतीश कुमार को विपक्ष का चेहरा बनाने को लेकर अखिलेश यादव ने भी अपनी रजामंदी दे दी है. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने होर्डिंग के जवाब में कहा है कि सपने नहीं होंगे साकार.

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी.

समाजवादी पार्टी के कार्यालय के बाहर लगे होर्डिंग आज सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. सपा प्रवक्ता प्रदीप भाटी से जब नीतीश की दावेदारी पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा 'हमारी पार्टी का स्टैंड है कि 2024 से पहले सभी विपक्षी दल बैठकर बात करें और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए जिसका भी नाम आए. उसका समर्थन करें.

सपा प्रवक्ता भाटी ने कहा कि, 'आगामी लोकसभा चुनाव में नौजवान, किसान, लोकतंत्र, संविधान और गरीब विरोधी सरकार को उखाड़ फेंकना है. जनता अब धीरे-धीरे जागरूक हो रही है. जिस तरह से बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है. वैसे ही केंद्र में भी बदलाव का समय आ गया है और हम ऐसी हर कोशिश का समर्थन करते हैं'.

यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा के पोस्टर पर निशाना साधते कहा कि सपने इनके नहीं होंगे साकार. अखिलेश जी का गठबंधन बनाने के मामले में ट्रैक रिकॉर्ड काफी खराब है. यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने पहले कांग्रेस से गठबंधन किया, लेकिन वो टूट गया. लोकसभा चुनाव में उन्होंने बसपा से गठबंधन किया मगर वो भी टूट गया. इसके बाद सुभासपा, केशव देव मौर्या की पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन हर बार की तरह गठबंधन की गाठें खुल गईं. सच्चाई तो ये है कि अखिलेश यादव गठबंधन के लिए फिट नहीं हैं. अब वो नीतीश कुमार के साथ मिलकर संभावनाएं तलाश रहे हैं. ये तीसरा मोर्चा बनाने की जो कोशिश की जा रही है. उसमें कोई वैचारिक समानता नहीं है और कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं है. साथ ही इसका कोई आधार नहीं है. इसलिए इस तरह का कोई भी गंठबंधन केवल कल्पना मात्र बनकर रह जाएगा.

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