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भाजपा का एजेंडा ही फर्जी, बंगाल में सबने देखा : सपा नेता किरणमय नंदा

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Published : Jun 26, 2021, 8:50 PM IST

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों में हलचल बढ़ गई है. समाजवादी पार्टी इस बार बीजेपी को रोकने के लिए हर स्तर पर तैयारी कर रही है. यूपी में इस बार चुनाव कैसा होगा, इसपर सपा के रणनीतिकार कहे जाने वाले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने ईटीवी भारत से खुलकर बात की.

किरणमय नंदा
किरणमय नंदा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2022 के आरंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. सभी दल अपना जनाधार बढ़ाने के लिए हर संभव उपाय करने में जुटे हैं. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिग्गज नेता किरणमय नंदा ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले किरणमय नंदा इस चुनाव में पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हैं. पार्टी उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ जरूर लेना चाहेगी. 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की किस रणनीति के साथ बीजेपी और अन्य विरोधियों का सामना करेगी इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने किरणमय नंदा से विस्तार से बात की. देखिए प्रमुख अंश...

सवाल जवाब का सिलसिला शुरू करने से पहले हम आपको बता दें कि 77 वर्ष के नंदा मूल रूप से पश्चिम बंगाल से हैं. वह 1982 से 2011 तक यानी 29 वर्ष पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य रहे और उन्होंने इतने ही वर्ष कैबिनेट मंत्री के रूप में सरकार में काम किया. बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. किरणमय नंदा अखिलेश यादव ही नहीं, बल्कि सपा संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भी करीबी रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने इन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है.

सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा से खास बातचीत.


प्रश्न : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव निकट हैं. क्या तैयारी है आपकी ?
उत्तर : देखिए, उत्तर प्रदेश की जनता ने मन बना लिया है. योगी के राज में प्रदेश में जंगलराज कायम हुआ है. लोग बदलाव चाहते हैं. जो विकास का काम अखिलेश ने किया था, लोग उसे आज भी याद करते हैं.


प्रश्न : इस बार किन मुद्दों के साथ आप चुनाव मैदान में जाएंगे ?

उत्तर : हम लोगों का जो मुद्दा है, वह है विकास. विकास न होने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था बदहाल है. किसान परेशान हैं. कोरोना काल में फैली अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. पूरी दुनिया में राज्य की बदनामी हुई. यहां न डॉक्टर हैं न इलाज. जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.

प्रश्न : लेकिन प्रदेश सरकार तो दावे कर रही है कि राज्य सबसे जल्दी कोरोना पर काबू पा लिया...

उत्तर : देखिए भाजपा का एजेंडा ही फर्जी है. यह जहां जाते हैं, फर्जी एजेंडा लेकर जाते हैं. बंगाल में सबने इसे देखा है.

प्रश्न : अखिलेश यादव की सरकार में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे बना था. इसके जवाब में योगी सरकार भी एक्सप्रेस-वे बना रही है. सरकार का दावा है कि उसने सड़कों पर बहुत काम किया है. हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं और भी तमाम योजनाएं हैं. फिर आपको कैसे लगता है कि योगी सरकार का काम अखिलेश से कमजोर है ?

उत्तर : देखिए, यह सरकार काम नहीं करती सिर्फ बोलती है. अखिलेश यादव ने जो एक्सप्रेस-वे बनाया था, वैसा एक्सप्रेस-वे पूरे देश में नहीं है. योगी हर जिले में मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं, पर डॉक्टर कहां हैं ? कोरोना में क्या हाल हुआ देखिए. डॉक्टर नहीं हैं. इलाज नहीं है. बीमार सड़क पर मर जाते हैं. यह दुनिया में शर्म का विषय है. कितने शव गंगा में फेंक दिए गए.


प्रश्न : आपकी अपनी पार्टी की क्या तैयारी है चुनाव मैदान में जाने के लिए ?

उत्तर : हमारा संगठन तैयार हो गया है. काम भी शुरू हो गया है. बूथ स्तर पर कमेटी बन गई है. सरकार की नाकामियों के विषय में भी हम जनता को बता रहे हैं.

प्रश्न : सपा प्रमुख अपने परिवार में एकता रख पाने में नाकाम रहे हैं. क्या इस चुनाव में परिवार एक साथ दिखाई देगा ?

उत्तर : देखिए, समाजवादी पार्टी परिवार की पार्टी नहीं है. यह जनता की पार्टी है. हम सब एक साथ हैं. नेताजी हमारे संरक्षक हैं और अखिलेश जी पार्टी के मुखिया.

प्रश्न : गठबंधन को लेकर आपके पिछले अनुभव अच्छे नहीं रहे. चाहें कांग्रेस की बात हो या बसपा की. इस चुनाव में गठबंधन पर आपकी क्या नीति रहेगी ?

उत्तर : हम भाजपा के खिलाफ हैं. वह जातियों में बंटवारा कराते हैं. 2017 में हमने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हमें लगता था कि हम भाजपा को हरा पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 2019 में हमने इसी उद्देश्य से बसपा से गठबंधन किया, लेकिन बसपा के मतदाताओं ने भाजपा को वोट किया. इसलिए अब बसपा और कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा. अब हम छोटे दलों से ही गठबंधन करेंगे.


प्रश्न : पिछले चुनावों में राम मंदिर मुद्दा रहा है. अब राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा भूमि खरीद को लेकर विवाद है. इसे लेकर आप क्या कहेंगे ?

उत्तर : ये भगवान के नाम पर पैसा खा लेते हैं. यही तो भाजपा का काम है. धर्म के नाम पर पैसा खा लो. भगवान के नाम पर पैसा खा लो. राम के नाम पर पैसा खा लो. सब जगह घोटाला ही तो इनका काम है. धर्म के नाम में भी उनका घोटाला चल रहा है.

प्रश्न : आपका लंबा संसदीय अनुभव है. आपने दशकों तक हार का मुंह नहीं देखा. आप पश्चिम बंगाल की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं. पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा की हार क्यों हुई ? आपका क्या मानना है ?

उत्तर : भाजपा ने जिस तरह से मीडिया के माध्यम से माहौल बनाया था, उसकी कलई खुल गई. भाजपा के देशभर के नेताओं ने बंगाल में डेरा डाल दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से कोलकाता से डेली पैसेंजरी शुरू कर दी थी. प्रधानमंत्री ने 40 सभाएं कीं. अमित शाह ने 70 सभाएं कीं. जेपी नड्डा की कितनी सभाएं हुईं पता नहीं, लेकिन बंगाल की जनता जानती है कि भाजपा कौन है ? हम लोग इस दानव को घुसने नहीं देंगे.


प्रश्न : पश्चिम बंगाल में सरकार बनते ही केंद्र से टकराव शुरू हो गया है. अगले पांच साल कितने मुश्किल होने वाले हैं ? क्या बंगाल की जनता इसमें पिसने वाली है ?

उत्तर : देखिए, यदि आप कुछ खराब खाना खा लेंगे, तो हजम नहीं होगा. बंगाल की जनता ने भाजपा को 'चपेटा घात' करके निकाला है. इसलिए उनका हाजमा खराब हो गया है. इसीलिए वह परेशान हैं.

पढ़ेंः अखिलेश का साथ और किसान आंदोलन से मिलेगी रालोद को 'संजीवनी'! 2022 में तय होगा 'हैंडपंप' का भविष्य

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 2022 के आरंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. सभी दल अपना जनाधार बढ़ाने के लिए हर संभव उपाय करने में जुटे हैं. इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दिग्गज नेता किरणमय नंदा ने भी अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अध्यक्ष अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले किरणमय नंदा इस चुनाव में पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल हैं. पार्टी उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ जरूर लेना चाहेगी. 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की किस रणनीति के साथ बीजेपी और अन्य विरोधियों का सामना करेगी इसी सिलसिले में ईटीवी भारत ने किरणमय नंदा से विस्तार से बात की. देखिए प्रमुख अंश...

सवाल जवाब का सिलसिला शुरू करने से पहले हम आपको बता दें कि 77 वर्ष के नंदा मूल रूप से पश्चिम बंगाल से हैं. वह 1982 से 2011 तक यानी 29 वर्ष पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य रहे और उन्होंने इतने ही वर्ष कैबिनेट मंत्री के रूप में सरकार में काम किया. बाद में समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. किरणमय नंदा अखिलेश यादव ही नहीं, बल्कि सपा संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के भी करीबी रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने इन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है.

सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा से खास बातचीत.


प्रश्न : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव निकट हैं. क्या तैयारी है आपकी ?
उत्तर : देखिए, उत्तर प्रदेश की जनता ने मन बना लिया है. योगी के राज में प्रदेश में जंगलराज कायम हुआ है. लोग बदलाव चाहते हैं. जो विकास का काम अखिलेश ने किया था, लोग उसे आज भी याद करते हैं.


प्रश्न : इस बार किन मुद्दों के साथ आप चुनाव मैदान में जाएंगे ?

उत्तर : हम लोगों का जो मुद्दा है, वह है विकास. विकास न होने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था बदहाल है. किसान परेशान हैं. कोरोना काल में फैली अव्यवस्था किसी से छिपी नहीं है. पूरी दुनिया में राज्य की बदनामी हुई. यहां न डॉक्टर हैं न इलाज. जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.

प्रश्न : लेकिन प्रदेश सरकार तो दावे कर रही है कि राज्य सबसे जल्दी कोरोना पर काबू पा लिया...

उत्तर : देखिए भाजपा का एजेंडा ही फर्जी है. यह जहां जाते हैं, फर्जी एजेंडा लेकर जाते हैं. बंगाल में सबने इसे देखा है.

प्रश्न : अखिलेश यादव की सरकार में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे बना था. इसके जवाब में योगी सरकार भी एक्सप्रेस-वे बना रही है. सरकार का दावा है कि उसने सड़कों पर बहुत काम किया है. हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाए जा रहे हैं और भी तमाम योजनाएं हैं. फिर आपको कैसे लगता है कि योगी सरकार का काम अखिलेश से कमजोर है ?

उत्तर : देखिए, यह सरकार काम नहीं करती सिर्फ बोलती है. अखिलेश यादव ने जो एक्सप्रेस-वे बनाया था, वैसा एक्सप्रेस-वे पूरे देश में नहीं है. योगी हर जिले में मेडिकल कॉलेज बना रहे हैं, पर डॉक्टर कहां हैं ? कोरोना में क्या हाल हुआ देखिए. डॉक्टर नहीं हैं. इलाज नहीं है. बीमार सड़क पर मर जाते हैं. यह दुनिया में शर्म का विषय है. कितने शव गंगा में फेंक दिए गए.


प्रश्न : आपकी अपनी पार्टी की क्या तैयारी है चुनाव मैदान में जाने के लिए ?

उत्तर : हमारा संगठन तैयार हो गया है. काम भी शुरू हो गया है. बूथ स्तर पर कमेटी बन गई है. सरकार की नाकामियों के विषय में भी हम जनता को बता रहे हैं.

प्रश्न : सपा प्रमुख अपने परिवार में एकता रख पाने में नाकाम रहे हैं. क्या इस चुनाव में परिवार एक साथ दिखाई देगा ?

उत्तर : देखिए, समाजवादी पार्टी परिवार की पार्टी नहीं है. यह जनता की पार्टी है. हम सब एक साथ हैं. नेताजी हमारे संरक्षक हैं और अखिलेश जी पार्टी के मुखिया.

प्रश्न : गठबंधन को लेकर आपके पिछले अनुभव अच्छे नहीं रहे. चाहें कांग्रेस की बात हो या बसपा की. इस चुनाव में गठबंधन पर आपकी क्या नीति रहेगी ?

उत्तर : हम भाजपा के खिलाफ हैं. वह जातियों में बंटवारा कराते हैं. 2017 में हमने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हमें लगता था कि हम भाजपा को हरा पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 2019 में हमने इसी उद्देश्य से बसपा से गठबंधन किया, लेकिन बसपा के मतदाताओं ने भाजपा को वोट किया. इसलिए अब बसपा और कांग्रेस से कोई गठबंधन नहीं होगा. अब हम छोटे दलों से ही गठबंधन करेंगे.


प्रश्न : पिछले चुनावों में राम मंदिर मुद्दा रहा है. अब राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा भूमि खरीद को लेकर विवाद है. इसे लेकर आप क्या कहेंगे ?

उत्तर : ये भगवान के नाम पर पैसा खा लेते हैं. यही तो भाजपा का काम है. धर्म के नाम पर पैसा खा लो. भगवान के नाम पर पैसा खा लो. राम के नाम पर पैसा खा लो. सब जगह घोटाला ही तो इनका काम है. धर्म के नाम में भी उनका घोटाला चल रहा है.

प्रश्न : आपका लंबा संसदीय अनुभव है. आपने दशकों तक हार का मुंह नहीं देखा. आप पश्चिम बंगाल की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं. पश्चिम बंगाल के चुनाव में भाजपा की हार क्यों हुई ? आपका क्या मानना है ?

उत्तर : भाजपा ने जिस तरह से मीडिया के माध्यम से माहौल बनाया था, उसकी कलई खुल गई. भाजपा के देशभर के नेताओं ने बंगाल में डेरा डाल दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से कोलकाता से डेली पैसेंजरी शुरू कर दी थी. प्रधानमंत्री ने 40 सभाएं कीं. अमित शाह ने 70 सभाएं कीं. जेपी नड्डा की कितनी सभाएं हुईं पता नहीं, लेकिन बंगाल की जनता जानती है कि भाजपा कौन है ? हम लोग इस दानव को घुसने नहीं देंगे.


प्रश्न : पश्चिम बंगाल में सरकार बनते ही केंद्र से टकराव शुरू हो गया है. अगले पांच साल कितने मुश्किल होने वाले हैं ? क्या बंगाल की जनता इसमें पिसने वाली है ?

उत्तर : देखिए, यदि आप कुछ खराब खाना खा लेंगे, तो हजम नहीं होगा. बंगाल की जनता ने भाजपा को 'चपेटा घात' करके निकाला है. इसलिए उनका हाजमा खराब हो गया है. इसीलिए वह परेशान हैं.

पढ़ेंः अखिलेश का साथ और किसान आंदोलन से मिलेगी रालोद को 'संजीवनी'! 2022 में तय होगा 'हैंडपंप' का भविष्य

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