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इस सरकारी अधिकारी ने पदभार ग्रहण करने के लिए 300 कि.मी साइकिल की सवारी की - वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के रूप में नानासाहेब लडकट

नानासाहेब लडकट महाराष्ट्र वन सेवा के 1986-87 बैच के कैडेट हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मेलघाट टाइगर रिजर्व से की थी. उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई में सहायक वन संरक्षक के रूप में भी काम किया है. उन्हें 2006 में भारतीय वन सेवा में पदोन्नति मिली.

सरकारी अधिकारी
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Published : Apr 1, 2022, 4:20 PM IST

कोल्हापुर : महाराष्ट्र में सह्याद्री बाघ परियोजना वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के रूप में नानासाहेब लडकट ने 31 मार्च को पदभार संभाला है. वह पूर्व क्षेत्र निदेशक समाधान चव्हाण की जगह पर आए हैं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए. अजीब बात तो तब हुई जब नवनियुक्त निदेशक नानासाहेब लडकट अपना नया पदभार संभालने के लिए साइकिल से पहुंचे.

दरअसल, नानसाहेब को लाल बत्ती वाली सरकारी कार मिली है. वह इस कार से भी कोल्हापुर जा सकते थे. लेकिन उन्हें साइकिल चलाना बेहद पसंद है. इसलिए उन्होंने पुणे से कोल्हापुर तक 300 कि.मी का सफर साइकिल से तय किया. केवल अपने शौक के लिए नहीं, बल्कि नानासाहेब लडकट प्रकृति की रक्षा और संरक्षण का संदेश देते हुए भी साइक्लिंग कर कोल्हापुर पहुंचे. उनके इस काम की हर तरफ तारीफ हो रही है.

जानकारी के मुताबिक, नानासाहेब लडकट महाराष्ट्र वन सेवा के 1986-87 बैच के कैडेट हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मेलघाट टाइगर रिजर्व से की थी. उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई में सहायक वन संरक्षक के रूप में भी काम किया है. उन्हें 2006 में भारतीय वन सेवा में पदोन्नति मिली.

पढ़ें : रियल नाग-नागिन का डांस देख आप रह जाएंगे हैरान

लडकट इससे पहले विश्व प्रसिद्ध ताडोबा टाइगर प्रोजेक्ट के उप निदेशक के रूप में प्रभावी रूप से काम कर चुके हैं. इससे पहले वे पुणे में वन संरक्षण और योजना में कार्यरत थे. उन्होंने कोयंबटूर में वन्यजीव प्रशिक्षण और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में वन्यजीव प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त की है.

कोल्हापुर : महाराष्ट्र में सह्याद्री बाघ परियोजना वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक के रूप में नानासाहेब लडकट ने 31 मार्च को पदभार संभाला है. वह पूर्व क्षेत्र निदेशक समाधान चव्हाण की जगह पर आए हैं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए. अजीब बात तो तब हुई जब नवनियुक्त निदेशक नानासाहेब लडकट अपना नया पदभार संभालने के लिए साइकिल से पहुंचे.

दरअसल, नानसाहेब को लाल बत्ती वाली सरकारी कार मिली है. वह इस कार से भी कोल्हापुर जा सकते थे. लेकिन उन्हें साइकिल चलाना बेहद पसंद है. इसलिए उन्होंने पुणे से कोल्हापुर तक 300 कि.मी का सफर साइकिल से तय किया. केवल अपने शौक के लिए नहीं, बल्कि नानासाहेब लडकट प्रकृति की रक्षा और संरक्षण का संदेश देते हुए भी साइक्लिंग कर कोल्हापुर पहुंचे. उनके इस काम की हर तरफ तारीफ हो रही है.

जानकारी के मुताबिक, नानासाहेब लडकट महाराष्ट्र वन सेवा के 1986-87 बैच के कैडेट हैं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मेलघाट टाइगर रिजर्व से की थी. उन्होंने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, मुंबई में सहायक वन संरक्षक के रूप में भी काम किया है. उन्हें 2006 में भारतीय वन सेवा में पदोन्नति मिली.

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लडकट इससे पहले विश्व प्रसिद्ध ताडोबा टाइगर प्रोजेक्ट के उप निदेशक के रूप में प्रभावी रूप से काम कर चुके हैं. इससे पहले वे पुणे में वन संरक्षण और योजना में कार्यरत थे. उन्होंने कोयंबटूर में वन्यजीव प्रशिक्षण और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में वन्यजीव प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त की है.

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