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Unique Ganesh Devotee: मध्यप्रदेश के सागर में 71 साल के अनोखे भक्त, 50 किलो सूखे बेर से बनाई गणेश प्रतिमा, दर्शन के लिए पहुंच रहे भक्त - एमपी की खबर

सागर में भगवान गणेश के अनोखे भक्त देखने को मिले. जहां बीना तहसील के कस्बे में रहने वाले गणेश भक्त ने सूखे बेरों से गणेश प्रतिमा तैयार की है. अब इनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

Unique Ganesh Devotee
सागर के बीना के रहने वाले हैं अशोक शुक्ला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 26, 2023, 6:40 PM IST

Updated : Sep 26, 2023, 9:44 PM IST

50 किलो बेर से बनीं गणेश भगवान की प्रतिमा

सागर। रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की बात करें, तो गणपति बप्पा के भक्तों की बात ही निराली है. हम सागर जिले के बीना कस्बे के एक ऐसे गणेश भक्त की बात कर रहे हैं, जो पिछले 36 साल से भगवान गणेश की एक से बढ़कर एक प्रतिमा तैयार करते आ रहे हैं. इनकी गणेश प्रतिमाओं की खास बात ये है कि वो किसी ऐसी चीज से गणेश प्रतिमा बनाते हैं, जो खाने योग्य चीज हो. इसके पीछे उनका उद्देश्य जलप्रदूषण को रोकना है. उनकी बनाई हुई प्रतिमा जब विसर्जित की जाती है, तो खाने वाली चीज से बनी प्रतिमा से जलीय जंतुओं का खाना मिलता है और जल प्रदूषित नहीं होता है. इस बार उन्होंने सूखे बेरों से गणेश प्रतिमा बनाई है. करीब 50 किलो सूखे बेरों से तैयार गणेश प्रतिमा के दर्शन करने दूर-दूर से श्रृद्धालु आ रहे हैं.

गणेश चतुर्थी को जन्मा बप्पा का अनोखा भक्त: बीना कस्बे के 71 साल के अशोक साहू की बात करें, तो अशोक साहू का जन्म गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था. बचपन से भगवान गणेश के प्रति अथाह श्रृद्धा के कारण अशोक साहू ने धीरे-धीरे गणेश प्रतिमा बनाना सीखा और 1984 में उन्होंने पहली बार भगवान गणेश की प्रतिमा तैयार की. उनके मन में बचपन से ही इस बात की टीस रहती थी कि विसर्जन के बाद गणेश प्रतिमा नदी नालों में अस्त व्यस्त तरीके पडी रहती है. जल प्रदूषण भी होता है. इसलिए, उन्होंने ऐसी प्रतिमा बनाने के बारे में सोचा कि जिससे जल प्रदूषित ना हो और जलीय जीवों को भोजन भी मिले. तब उन्होंने 1984 में पहली गणेश प्रतिमा दाल से तैयार की.

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पिछले 36 साल से जारी है गणेश प्रतिमा का बनाना: अशोक साहू की बात करें तो 1984 से शुरू हुई गणेश प्रतिमा बनाने का सिलसिला आज भी जारी है. इस बार उन्होंने दो महीने के अथक परिश्रम से सूखे बेरों से गणेश प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्होंने महीनों पहले तैयारी शुरू कर दी थी और बेर खरीदककर उन्हें सुखाना शुरू कर दिया था. गणेश चतुर्थी के दो महीने पहले से उन्होंने बेर से गणेश प्रतिमा बनाने की शुरूआत की. अशोक साहू ने एक-एक बेर को बड़ी ही शिद्दत से जोडा और चिपकाकर 6 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को बनाया है. इसके पहले अशोक साहू मूंगफली, नमकीन, बूंदी और दाल के अलावा दूसरी खाने योग्य चीजों से गणेश प्रतिमा बना चुके हैं.

नहीं करते किसी दूसरी चीज का इस्तेमाल: भगवान गणेश के भक्त मूर्तिकार अशोक साहू बताते हैं कि गणेश प्रतिमा के साथ-साथ प्रतिमा के श्रृंगार के लिए उपयोग में आने वाली दूसरी वस्तुओं का भी वो उपयोग नहीं करते हैं. इस चीज से प्रतिमा बनाते हैं, उसी से भगवान गणेश के श्रृंगार की भी चीजे बनाते हैं. सूखे बेरों से बनाई प्रतिमा में भी उन्होंने गणेश जी का मुकुट और दूसरी चीजें उसी से बनायी है.

पर्यावरण संरक्षण का प्रमुख उद्देश्य: किसी खाने वाले पदार्थ से गणेश प्रतिमा बनाने के पीछे अशोक साहू दो वजह बताते हैं. उनका कहना है कि इस तरह की प्रतिमा से ना तो किसी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण होता है और खास बात ये है कि जब इसका विसर्जन करते हैं, तो खाने योग्य चीज होने के कारण जलीय जंतुओं को भोजन मिलता है. जब नदी या तलाब में प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, तब वह पूरी तरह से प्रकृति में समा जाती है और जलीय जीव जंतु को आहार प्रदान करती है.

साहू मंदिर में लगा गणेश भक्तों का तांता: अशोक साहू द्वारा बेर से तैयार की गयी प्रतिमा के दर्शन के लिए भारी भीड उमड रही है. सूखे बेरों से बनी 6 फीट की प्रतिमा सर्वोदय चौराहे पर स्थित साहू समाज के मंदिर में स्थापित की गयी है. लोग प्रतिमा के दर्शन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के संदेश को भी समझ रहे हैं.

50 किलो बेर से बनीं गणेश भगवान की प्रतिमा

सागर। रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की बात करें, तो गणपति बप्पा के भक्तों की बात ही निराली है. हम सागर जिले के बीना कस्बे के एक ऐसे गणेश भक्त की बात कर रहे हैं, जो पिछले 36 साल से भगवान गणेश की एक से बढ़कर एक प्रतिमा तैयार करते आ रहे हैं. इनकी गणेश प्रतिमाओं की खास बात ये है कि वो किसी ऐसी चीज से गणेश प्रतिमा बनाते हैं, जो खाने योग्य चीज हो. इसके पीछे उनका उद्देश्य जलप्रदूषण को रोकना है. उनकी बनाई हुई प्रतिमा जब विसर्जित की जाती है, तो खाने वाली चीज से बनी प्रतिमा से जलीय जंतुओं का खाना मिलता है और जल प्रदूषित नहीं होता है. इस बार उन्होंने सूखे बेरों से गणेश प्रतिमा बनाई है. करीब 50 किलो सूखे बेरों से तैयार गणेश प्रतिमा के दर्शन करने दूर-दूर से श्रृद्धालु आ रहे हैं.

गणेश चतुर्थी को जन्मा बप्पा का अनोखा भक्त: बीना कस्बे के 71 साल के अशोक साहू की बात करें, तो अशोक साहू का जन्म गणेश चतुर्थी के दिन हुआ था. बचपन से भगवान गणेश के प्रति अथाह श्रृद्धा के कारण अशोक साहू ने धीरे-धीरे गणेश प्रतिमा बनाना सीखा और 1984 में उन्होंने पहली बार भगवान गणेश की प्रतिमा तैयार की. उनके मन में बचपन से ही इस बात की टीस रहती थी कि विसर्जन के बाद गणेश प्रतिमा नदी नालों में अस्त व्यस्त तरीके पडी रहती है. जल प्रदूषण भी होता है. इसलिए, उन्होंने ऐसी प्रतिमा बनाने के बारे में सोचा कि जिससे जल प्रदूषित ना हो और जलीय जीवों को भोजन भी मिले. तब उन्होंने 1984 में पहली गणेश प्रतिमा दाल से तैयार की.

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पिछले 36 साल से जारी है गणेश प्रतिमा का बनाना: अशोक साहू की बात करें तो 1984 से शुरू हुई गणेश प्रतिमा बनाने का सिलसिला आज भी जारी है. इस बार उन्होंने दो महीने के अथक परिश्रम से सूखे बेरों से गणेश प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्होंने महीनों पहले तैयारी शुरू कर दी थी और बेर खरीदककर उन्हें सुखाना शुरू कर दिया था. गणेश चतुर्थी के दो महीने पहले से उन्होंने बेर से गणेश प्रतिमा बनाने की शुरूआत की. अशोक साहू ने एक-एक बेर को बड़ी ही शिद्दत से जोडा और चिपकाकर 6 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा को बनाया है. इसके पहले अशोक साहू मूंगफली, नमकीन, बूंदी और दाल के अलावा दूसरी खाने योग्य चीजों से गणेश प्रतिमा बना चुके हैं.

नहीं करते किसी दूसरी चीज का इस्तेमाल: भगवान गणेश के भक्त मूर्तिकार अशोक साहू बताते हैं कि गणेश प्रतिमा के साथ-साथ प्रतिमा के श्रृंगार के लिए उपयोग में आने वाली दूसरी वस्तुओं का भी वो उपयोग नहीं करते हैं. इस चीज से प्रतिमा बनाते हैं, उसी से भगवान गणेश के श्रृंगार की भी चीजे बनाते हैं. सूखे बेरों से बनाई प्रतिमा में भी उन्होंने गणेश जी का मुकुट और दूसरी चीजें उसी से बनायी है.

पर्यावरण संरक्षण का प्रमुख उद्देश्य: किसी खाने वाले पदार्थ से गणेश प्रतिमा बनाने के पीछे अशोक साहू दो वजह बताते हैं. उनका कहना है कि इस तरह की प्रतिमा से ना तो किसी प्रकार का पर्यावरण प्रदूषण होता है और खास बात ये है कि जब इसका विसर्जन करते हैं, तो खाने योग्य चीज होने के कारण जलीय जंतुओं को भोजन मिलता है. जब नदी या तलाब में प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है, तब वह पूरी तरह से प्रकृति में समा जाती है और जलीय जीव जंतु को आहार प्रदान करती है.

साहू मंदिर में लगा गणेश भक्तों का तांता: अशोक साहू द्वारा बेर से तैयार की गयी प्रतिमा के दर्शन के लिए भारी भीड उमड रही है. सूखे बेरों से बनी 6 फीट की प्रतिमा सर्वोदय चौराहे पर स्थित साहू समाज के मंदिर में स्थापित की गयी है. लोग प्रतिमा के दर्शन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के संदेश को भी समझ रहे हैं.

Last Updated : Sep 26, 2023, 9:44 PM IST
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