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कांग्रेस ने कमलनाथ और वेणुगोपाल को सचिन पायलट का मामला सौंपा, कर्नाटक विधान सभा चुनाव तक टालने की कोशिश

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ओर महासचिव के वेणुगोपाल से बातचीत हुई. सूत्रों की मानें तो कर्नाटक विधान सभा चुनाव 2023 के मद्देनजर पार्टी हाईकमान जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के मुड में नही है. वहीं पायलट पीछे हटने को कतई तैयार नहीं हैं.

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Published : Apr 14, 2023, 10:44 AM IST

जयपुर. कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मामले में कदम फूंक-फूंक उठा रहा है. इसकी मॉनिटरिंग राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे स्वयं ही कर रहे हैं. इस बार पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी का स्थायी समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है. इसलिए कमलनाथ, जो कि पायलट के नजदीकी माने जाते हैं. को इसका जिम्मा सौंपा है. ऐसा कर कांग्रेस आलाकमान स्पष्ट संकेत दे रहा है कि वे नहीं चाहते कि पायलट पर जल्दबाजी में कोई निर्णय लिया जाए. अब चर्चा इसी बात की है कि कांग्रेस पार्टी अपने नाराज युवा नेता को न तो सम्मान दे पा रही है और न ही उनसे बातचीत कर रही है.

ऐसे में राहुल गांधी ने अपने सबसे विश्वस्त संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के साथ साथ कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक कमलनाथ को सचिन पायलट से बातचीत का जिम्मा सौंपा है. कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की बीते गुरुवार को कमलनाथ के आवास पर कमलनाथ और केसी वेणुगोपाल के साथ लंबी बातचीत भी हुई है. जिसमें पायलट ने दोनों नेताओं को पुराने वादे याद दिलाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर पार्टी के व्यवहार पर नाराजगी जतायी है. विशेषकर उनके अनशन से 12 घंटे पहले कांग्रेस पार्टी के औपचारिक बयान से खासे नाराज हैं. जिसमें कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि अगर वे (पायलट) अनशन करेंगे तो उसे पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा.

पायलट 17 अप्रैल से फिर राजस्थान की जनता के बीच, वहीं कांग्रेस आलाकमान जल्दबाजी के मूड में नहीं :
इधर सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान के नेताओं की लगातार बातचीत चल रही है. जिसके जरिए यह समझाने की कोशिश हो रही है कि सचिन पायलट के मुद्दे को कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीरता से ले रहा है. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट ने भी यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस आलाकमान कोई भी निर्णय ले वह उन्हें मंजूर होगा लेकिन वह राजस्थान की जनता के बीच जाकर अपनी बात रखना जारी रखेंगे. बता दें कि पायलट ने 17 अप्रैल का कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. उस दिन वे जयपुर के शाहपुरा में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम और झुंझुनू के खेतडी में शहीद की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में शामिल होंगे. सीधे तौर पर पायलट के दोनों कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन से कम नहीं होंगे. उधर कांग्रेस पार्टी चाहती है कि कर्नाटक चुनाव तक सचिन पायलट के मामले में कोई भी निर्णय नहीं लिया जाए, जिससे विधान सभा चुनाव पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े.

कमलनाथ से पायलट ने रंधावा के खिलाफ जताई नाराजगी : जानकारों की मानें तो सचिन पायलट प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से भी काफी नाराज हैं जिन्होंने बिना कोई चर्चा किए उनके अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया और पायलट को लेकर बयान बाजी भी की. हालात ये है कि पायलट रंधावा से इस मामले में कोई भी बातचीत नहीं करना चाहते हैं. इसी कारण पार्टी ने कमलनाथ को पायलट से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है. उधर कहा जा रहा है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा भी आज रात तक जयपुर आ सकते हैं. अगले दो-तीन दिन वो जयपुर में रुक कर कांग्रेस नेताओं से चर्चा करेंगे और कांग्रेस नेताओं का फीडबैक भी कांग्रेस आलाकमान को देंगे.

जयपुर. कांग्रेस आलाकमान राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मामले में कदम फूंक-फूंक उठा रहा है. इसकी मॉनिटरिंग राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे स्वयं ही कर रहे हैं. इस बार पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी का स्थायी समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है. इसलिए कमलनाथ, जो कि पायलट के नजदीकी माने जाते हैं. को इसका जिम्मा सौंपा है. ऐसा कर कांग्रेस आलाकमान स्पष्ट संकेत दे रहा है कि वे नहीं चाहते कि पायलट पर जल्दबाजी में कोई निर्णय लिया जाए. अब चर्चा इसी बात की है कि कांग्रेस पार्टी अपने नाराज युवा नेता को न तो सम्मान दे पा रही है और न ही उनसे बातचीत कर रही है.

ऐसे में राहुल गांधी ने अपने सबसे विश्वस्त संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल के साथ साथ कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक कमलनाथ को सचिन पायलट से बातचीत का जिम्मा सौंपा है. कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की बीते गुरुवार को कमलनाथ के आवास पर कमलनाथ और केसी वेणुगोपाल के साथ लंबी बातचीत भी हुई है. जिसमें पायलट ने दोनों नेताओं को पुराने वादे याद दिलाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर पार्टी के व्यवहार पर नाराजगी जतायी है. विशेषकर उनके अनशन से 12 घंटे पहले कांग्रेस पार्टी के औपचारिक बयान से खासे नाराज हैं. जिसमें कांग्रेस प्रभारी ने कहा था कि अगर वे (पायलट) अनशन करेंगे तो उसे पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा.

पायलट 17 अप्रैल से फिर राजस्थान की जनता के बीच, वहीं कांग्रेस आलाकमान जल्दबाजी के मूड में नहीं :
इधर सचिन पायलट के साथ कांग्रेस आलाकमान के नेताओं की लगातार बातचीत चल रही है. जिसके जरिए यह समझाने की कोशिश हो रही है कि सचिन पायलट के मुद्दे को कांग्रेस आलाकमान काफी गंभीरता से ले रहा है. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट ने भी यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस आलाकमान कोई भी निर्णय ले वह उन्हें मंजूर होगा लेकिन वह राजस्थान की जनता के बीच जाकर अपनी बात रखना जारी रखेंगे. बता दें कि पायलट ने 17 अप्रैल का कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. उस दिन वे जयपुर के शाहपुरा में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम और झुंझुनू के खेतडी में शहीद की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में शामिल होंगे. सीधे तौर पर पायलट के दोनों कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन से कम नहीं होंगे. उधर कांग्रेस पार्टी चाहती है कि कर्नाटक चुनाव तक सचिन पायलट के मामले में कोई भी निर्णय नहीं लिया जाए, जिससे विधान सभा चुनाव पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े.

कमलनाथ से पायलट ने रंधावा के खिलाफ जताई नाराजगी : जानकारों की मानें तो सचिन पायलट प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से भी काफी नाराज हैं जिन्होंने बिना कोई चर्चा किए उनके अनशन को पार्टी विरोधी गतिविधि करार दिया और पायलट को लेकर बयान बाजी भी की. हालात ये है कि पायलट रंधावा से इस मामले में कोई भी बातचीत नहीं करना चाहते हैं. इसी कारण पार्टी ने कमलनाथ को पायलट से बातचीत करने की जिम्मेदारी सौंपी है. उधर कहा जा रहा है कि सुखजिंदर सिंह रंधावा भी आज रात तक जयपुर आ सकते हैं. अगले दो-तीन दिन वो जयपुर में रुक कर कांग्रेस नेताओं से चर्चा करेंगे और कांग्रेस नेताओं का फीडबैक भी कांग्रेस आलाकमान को देंगे.

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