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सामना में मोदी पर शिवसेना का तंज- बांग्लादेश का 'ताम्रपत्र'! - मोदी पर शिवसेना का तंज

सामना में पीएम मोदी पर शिवसेना ने तंज कसा है. शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया कि बंगाल चुनाव के चलते पीएम ने बांग्लादेश की यात्रा की. इससे पहले उन्होंने नेपाल यात्रा पर भी गए थे.

pm narendra modi bangaladesh visit
पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर साधा निशाना
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Published : Mar 30, 2021, 10:45 AM IST

मुंबई: शिवसेना ने पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर तंज कसा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मोदी का बांग्लादेश यात्रा को आडे़ हाथ लेते हुए संपादकीय लिखा है.

सामना में मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर हमला बोलते हुए लिखा गया कि पश्चिम बंगाल में चुनावी युद्ध के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी पड़ोस के बांग्लादेश दौरे से लौट आए हैं. जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव उफान पर था, उस समय मोदी नेपाल के दौरे पर गए. वहां पशुपतिनाथ मंदिर जाकर वे दिनभर पूजा-अर्चना कर रहे थे और गाय को चारा-पानी दे रहे थे. हिंदुस्तान के चैनल लगातार ये कार्यक्रम दिखा रहे थे. बांग्लादेश में भी मोदी वहां के जशोरेश्वरी काली माता मंदिर में जाकर बैठ गए. उन्होंने पूजा-अर्चना की. यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के हिंदू मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ही हो सकता है.

उत्तर प्रदेश में जब पहले चरण का मतदान चल रहा था, उस समय मोदी नेपाल के मंदिर में थे, वहीं पश्चिम बंगाल के पहले चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर मोदी पश्चिम बंगाल की सीमा पर बांग्लादेश के मंदिर में थे, यह संयोग कतई नहीं है. मोदी ने बांग्लादेश सरकार से 51 शक्तिपीठों में शामिल जशोरेश्वरी काली माता मंदिर में दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की थी. इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने मंदिर को सजा दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने उस मंदिर की देवी को वस्त्रालंकार अर्पण किया. एक मुस्लिम देश के मंदिर में हिंदुस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा अधिकृत रूप से दर्शन करने जाना मोदी प्रेमियों को अवश्य रोमांचित कर सकता है.

सामना में लिखा गया कि राजनीतिक दृष्टि से अति जागरूक मोदी जैसे दूसरे प्रधानमंत्री देश के इतिहास में नहीं हुए होंगे. इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है. पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को भाजपा अर्थात प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है तथा इसके लिए कुछ भी कर गुजरने की उनकी तैयारी है. पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में 'बांग्लादेशी' घुस आए हैं. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की भाषा एक ही है. पश्चिम बंगाल की बड़ी आबादी के रिश्तेदार बांग्लादेश में हैं. इंदिरा गांधी के शौर्य और पराक्रम के कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ.

इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा करके पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. इसके बाद इस प्रकार का शौर्य किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं दिखाया. आश्चर्य यह है कि उस बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हमारा भी योगदान था, मोदी ने बांग्लादेश की भूमि पर जाकर ऐसा बयान दिया है. मोदी ने ऐसी ऐतिहासिक जानकारी भी दी है कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने पर उन्हें कारावास भी हुआ है. मोदी ने जानकारी दी है कि जब वे 20-22 वर्ष के थे, उस समय उन्होंने यह सत्याग्रह किया था, इससे उनके भक्त जरूर अभिभूत हो गए होंगे.

इंदिरा गांधी ने युद्ध करके पाकिस्तान को अलग कर दिया और बांग्लादेश का निर्माण किया, इसकी बजाय बांग्लादेश निर्माण के लिए मोदी ने जो सत्याग्रह किया, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है, भाजपा कार्यकर्ताओं को ऐसा महसूस हो सकता है. 'बांग्लादेश के नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार से हम व्यथित हो गए थे. उस अत्याचार की तस्वीरें देखने के बाद कई दिन नींद भी नहीं आई थी,' मोदी ने ढाका में ऐसा कहा. ये प्रधानमंत्री मोदी के अत्यंत दयालु और संवेदनशील होने के लक्षण हैं. इसलिए गत चार महीनों से गाजीपुर सीमा पर कृषि कानून के विरोध में किसान भीषण गर्मी, हवा और बरसात के बावजूद सड़कों पर बैठे हैं.

कई किसानों की जान भी चली गई. अत्याचार सहन करते हुए किसान वहां जमे हुए हैं. हमारे प्रधानमंत्री को इस बात का दुख नहीं होगा, ऐसे वैसे कहा जा सकता है? मोदी ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और उस दौरान उन्हें नींद नहीं आ रही थी, यह बात सत्य है. मोदी विरोधियों को यह बात हजम न हो रही हो तो वे अपने दिमाग में संचित इतिहास को खंगाल लें. आज स्थिति यह है कि मोदी जो कहते हैं, वह सच है और उसे माना जाना चाहिए. पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ेगी और यह मामला बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में सहभागिता तक पहुंचेगा, ऐसा नहीं लगा था.

देश की आजादी की लड़ाई में या गोवा मुक्ति संग्राम में भाग लेनेवालों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का 'ताम्रपत्र' और पेंशन मिलती है. ऐसी सुविधा बांग्लादेश की आाजदी की लड़ाई में शामिल मोदी जैसे सैनिकों को भी मिलनी चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी का बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना, उस दौरान हुई उनकी गिरफ्तारी तथा उस संदर्भ में मोदी द्वारा दी गई जानकारी पर देश में खूब बवाल मचा. टीका-टिप्पणी भी हुई. राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील ने भी इस पर टिप्पणी की, हालांकि उसी समय उन्होंने ऐसा भी कहा कि देश के प्रधानमंत्री पर हमें विश्वास रखना चाहिए.

मोदी के कहने पर जनता को विश्वास रखना चाहिए और उनका यथोचित सम्मान होना चाहिए. बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक के रूप में मोदी को सम्मानस्वरूप ताम्रपत्र मिलना ही चाहिए. मोदी के बांग्लादेश दौरे से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वोटों में कितना उतार-चढ़ाव होगा, यह आज नहीं कहा जा सकता, लेकिन मोदी के दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे की समाप्ति के बाद धर्मांध मुसलमानों ने वहां दंगे शुरू कर दिए हैं. कट्टरवादी इस्लामी संगठनों ने हिंदू मंदिरों में तोड़-फोड़ की है. हिंदू बस्तियों पर हमले शुरू हो गए हैं. पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में अब तक १२ जानें जा चुकी हैं.

पढ़ें: परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही भाजपा सरकार : शिवसेना

सरकारी कार्यालय, लोकल ट्रेंस और प्रेस क्लब पर भी हमला किया गया है. यह मोदी के बांग्लादेश दौरे का फल है. प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश जाकर लौट आए, लेकिन इससे वहां का हिंदू अधिक असुरक्षित हो गया. पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के लिए एकाध हिंदू-मुसलमान दंगा भड़काया जाएगा, ऐसा कयास लगाया जा रहा था, लेकिन दंगा पड़ोस के बांग्लादेश में पैâल गया. इसकी आंच पश्चिम बंगाल में अवश्य लगेगी. प्रधानमंत्री मोदी को ढाका में गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया, लेकिन वहां शांति की होली जल गई. मोदी ने जशोरेश्वरी मंदिर में जाकर पूजा की लेकिन अब वहां के मंदिरों को ही तोड़ दिया गया, इस पर क्या तर्क लगाया जा सकता है? शांति स्थापित करने के लिए श्री मोदी को एक बार फिर बांग्लादेश जाना चाहिए, यही एक उपाय है.

मुंबई: शिवसेना ने पीएम मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर तंज कसा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में मोदी का बांग्लादेश यात्रा को आडे़ हाथ लेते हुए संपादकीय लिखा है.

सामना में मोदी की बांग्लादेश यात्रा पर हमला बोलते हुए लिखा गया कि पश्चिम बंगाल में चुनावी युद्ध के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी पड़ोस के बांग्लादेश दौरे से लौट आए हैं. जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव उफान पर था, उस समय मोदी नेपाल के दौरे पर गए. वहां पशुपतिनाथ मंदिर जाकर वे दिनभर पूजा-अर्चना कर रहे थे और गाय को चारा-पानी दे रहे थे. हिंदुस्तान के चैनल लगातार ये कार्यक्रम दिखा रहे थे. बांग्लादेश में भी मोदी वहां के जशोरेश्वरी काली माता मंदिर में जाकर बैठ गए. उन्होंने पूजा-अर्चना की. यह तस्वीर पश्चिम बंगाल के हिंदू मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ही हो सकता है.

उत्तर प्रदेश में जब पहले चरण का मतदान चल रहा था, उस समय मोदी नेपाल के मंदिर में थे, वहीं पश्चिम बंगाल के पहले चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर मोदी पश्चिम बंगाल की सीमा पर बांग्लादेश के मंदिर में थे, यह संयोग कतई नहीं है. मोदी ने बांग्लादेश सरकार से 51 शक्तिपीठों में शामिल जशोरेश्वरी काली माता मंदिर में दर्शन करने की इच्छा व्यक्त की थी. इसके बाद बांग्लादेश सरकार ने मंदिर को सजा दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने उस मंदिर की देवी को वस्त्रालंकार अर्पण किया. एक मुस्लिम देश के मंदिर में हिंदुस्तानी प्रधानमंत्री द्वारा अधिकृत रूप से दर्शन करने जाना मोदी प्रेमियों को अवश्य रोमांचित कर सकता है.

सामना में लिखा गया कि राजनीतिक दृष्टि से अति जागरूक मोदी जैसे दूसरे प्रधानमंत्री देश के इतिहास में नहीं हुए होंगे. इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है. पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को भाजपा अर्थात प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है तथा इसके लिए कुछ भी कर गुजरने की उनकी तैयारी है. पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में 'बांग्लादेशी' घुस आए हैं. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की भाषा एक ही है. पश्चिम बंगाल की बड़ी आबादी के रिश्तेदार बांग्लादेश में हैं. इंदिरा गांधी के शौर्य और पराक्रम के कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ.

इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा करके पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए. इसके बाद इस प्रकार का शौर्य किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं दिखाया. आश्चर्य यह है कि उस बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हमारा भी योगदान था, मोदी ने बांग्लादेश की भूमि पर जाकर ऐसा बयान दिया है. मोदी ने ऐसी ऐतिहासिक जानकारी भी दी है कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने पर उन्हें कारावास भी हुआ है. मोदी ने जानकारी दी है कि जब वे 20-22 वर्ष के थे, उस समय उन्होंने यह सत्याग्रह किया था, इससे उनके भक्त जरूर अभिभूत हो गए होंगे.

इंदिरा गांधी ने युद्ध करके पाकिस्तान को अलग कर दिया और बांग्लादेश का निर्माण किया, इसकी बजाय बांग्लादेश निर्माण के लिए मोदी ने जो सत्याग्रह किया, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है, भाजपा कार्यकर्ताओं को ऐसा महसूस हो सकता है. 'बांग्लादेश के नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अत्याचार से हम व्यथित हो गए थे. उस अत्याचार की तस्वीरें देखने के बाद कई दिन नींद भी नहीं आई थी,' मोदी ने ढाका में ऐसा कहा. ये प्रधानमंत्री मोदी के अत्यंत दयालु और संवेदनशील होने के लक्षण हैं. इसलिए गत चार महीनों से गाजीपुर सीमा पर कृषि कानून के विरोध में किसान भीषण गर्मी, हवा और बरसात के बावजूद सड़कों पर बैठे हैं.

कई किसानों की जान भी चली गई. अत्याचार सहन करते हुए किसान वहां जमे हुए हैं. हमारे प्रधानमंत्री को इस बात का दुख नहीं होगा, ऐसे वैसे कहा जा सकता है? मोदी ने बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और उस दौरान उन्हें नींद नहीं आ रही थी, यह बात सत्य है. मोदी विरोधियों को यह बात हजम न हो रही हो तो वे अपने दिमाग में संचित इतिहास को खंगाल लें. आज स्थिति यह है कि मोदी जो कहते हैं, वह सच है और उसे माना जाना चाहिए. पश्चिम बंगाल के चुनाव के लिए इतनी जद्दोजहद करनी पड़ेगी और यह मामला बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में सहभागिता तक पहुंचेगा, ऐसा नहीं लगा था.

देश की आजादी की लड़ाई में या गोवा मुक्ति संग्राम में भाग लेनेवालों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का 'ताम्रपत्र' और पेंशन मिलती है. ऐसी सुविधा बांग्लादेश की आाजदी की लड़ाई में शामिल मोदी जैसे सैनिकों को भी मिलनी चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी का बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना, उस दौरान हुई उनकी गिरफ्तारी तथा उस संदर्भ में मोदी द्वारा दी गई जानकारी पर देश में खूब बवाल मचा. टीका-टिप्पणी भी हुई. राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील ने भी इस पर टिप्पणी की, हालांकि उसी समय उन्होंने ऐसा भी कहा कि देश के प्रधानमंत्री पर हमें विश्वास रखना चाहिए.

मोदी के कहने पर जनता को विश्वास रखना चाहिए और उनका यथोचित सम्मान होना चाहिए. बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक के रूप में मोदी को सम्मानस्वरूप ताम्रपत्र मिलना ही चाहिए. मोदी के बांग्लादेश दौरे से पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वोटों में कितना उतार-चढ़ाव होगा, यह आज नहीं कहा जा सकता, लेकिन मोदी के दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे की समाप्ति के बाद धर्मांध मुसलमानों ने वहां दंगे शुरू कर दिए हैं. कट्टरवादी इस्लामी संगठनों ने हिंदू मंदिरों में तोड़-फोड़ की है. हिंदू बस्तियों पर हमले शुरू हो गए हैं. पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में अब तक १२ जानें जा चुकी हैं.

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सरकारी कार्यालय, लोकल ट्रेंस और प्रेस क्लब पर भी हमला किया गया है. यह मोदी के बांग्लादेश दौरे का फल है. प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश जाकर लौट आए, लेकिन इससे वहां का हिंदू अधिक असुरक्षित हो गया. पश्चिम बंगाल चुनाव जीतने के लिए एकाध हिंदू-मुसलमान दंगा भड़काया जाएगा, ऐसा कयास लगाया जा रहा था, लेकिन दंगा पड़ोस के बांग्लादेश में पैâल गया. इसकी आंच पश्चिम बंगाल में अवश्य लगेगी. प्रधानमंत्री मोदी को ढाका में गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया, लेकिन वहां शांति की होली जल गई. मोदी ने जशोरेश्वरी मंदिर में जाकर पूजा की लेकिन अब वहां के मंदिरों को ही तोड़ दिया गया, इस पर क्या तर्क लगाया जा सकता है? शांति स्थापित करने के लिए श्री मोदी को एक बार फिर बांग्लादेश जाना चाहिए, यही एक उपाय है.

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