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एस-400 मिसाइल सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खास मायने रखता है : लावरोव - Five billion dollar deal between India Russia

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खासा मायने रखता है.न्होंने मीडिया से कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी वार्ता में अफगानिस्तान में स्थिति का विषय उठा और कहा कि तालिबान को समावेशी सरकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अलावा अपने क्षेत्र से पड़ोसी देशों में आतंकवाद व अस्थिरता रोकने के वादे को पूरा करना होगा.

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लावरोव
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Published : Dec 6, 2021, 10:48 PM IST

नई दिल्ली : रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खासा मायने रखता है तथा सहयोग को कमजोर करने की अमेरिकी कोशिश के बावजूद इसे क्रियान्वित किया जा रहा है.

लावरोव ने कहा कि भारत ने स्पष्ट रूप से और ढृढ़ता से कहा है कि वह एक संप्रभु देश है तथा रक्षा खरीद पर अपना खुद का फैसला लेता है. उन्होंने मीडिया से कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी वार्ता में अफगानिस्तान में स्थिति का विषय उठा और कहा कि तालिबान को समावेशी सरकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अलावा अपने क्षेत्र से पड़ोसी देशों में आतंकवाद व अस्थिरता रोकने के वादे को पूरा करना होगा.

रूसी विदेश मंत्री ने एस-400 सौदे पर कहा कि इसका सिर्फ सांकेतिक महत्व नहीं है बल्कि यह भारतीय रक्षा क्षमता के लिए बहुत व्यावारहिक मायने रखता है. उन्होंने कहा, 'सौदे को क्रियान्वित किया जा रहा है. हमने अमेरिका द्वारा सहयोग को कमजोर करने तथा इस क्षेत्र के विकास के लिए अमेरिकी विजन का अनुपालन कराने को लेकर अमेरिकी आदेश देखे हैं...'

उन्होंने कहा, 'हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्ट रूप से और दृढ़ता से कह दिया कि वह एक संप्रभु देश है तथा वे फैसला करेंगे कि किसका हथियार खरीदना है और इस क्षेत्र में व अन्य क्षेत्रों में भारत का साझेदार कौन होने जा रहा है.'

अक्टूबर 2018 में भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर के एक कारार पर हस्ताक्षर किया था, जबकि तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस अनुबंध पर आगे बढ़ने पर भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, बाइडेन प्रशासन ने इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

पढ़ें - 2022 तक भारतीय सेना के जवानों के हाथों में होगी AK 203, जानें इसकी खासियत

रूसी अधिकारियों ने बताया कि मिसाइलों की आपूर्ति शुरू हो गई है. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की सदस्यता वाले समूह ऑकस का जिक्र करते हुए लावरोव ने कहा कि भारत ने इससे अपनी दूरी बना ली.

उन्होंने कहा कि रूस ने भारत को इस बात से अवगत कराया है कि वह ऑकस जैसी हिंद-प्रशांत योजनाओं और रणनीतियों के लिए किसी भी कोशिश का विरोध करेगा. वह आसियान और क्षेत्र में अन्य समूहों पर वर्चस्व स्थापित करने की कोशिशों का भी विरोध करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने सोमवार को कहा कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदा भारतीय रक्षा क्षमता के लिए खासा मायने रखता है तथा सहयोग को कमजोर करने की अमेरिकी कोशिश के बावजूद इसे क्रियान्वित किया जा रहा है.

लावरोव ने कहा कि भारत ने स्पष्ट रूप से और ढृढ़ता से कहा है कि वह एक संप्रभु देश है तथा रक्षा खरीद पर अपना खुद का फैसला लेता है. उन्होंने मीडिया से कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ उनकी वार्ता में अफगानिस्तान में स्थिति का विषय उठा और कहा कि तालिबान को समावेशी सरकार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अलावा अपने क्षेत्र से पड़ोसी देशों में आतंकवाद व अस्थिरता रोकने के वादे को पूरा करना होगा.

रूसी विदेश मंत्री ने एस-400 सौदे पर कहा कि इसका सिर्फ सांकेतिक महत्व नहीं है बल्कि यह भारतीय रक्षा क्षमता के लिए बहुत व्यावारहिक मायने रखता है. उन्होंने कहा, 'सौदे को क्रियान्वित किया जा रहा है. हमने अमेरिका द्वारा सहयोग को कमजोर करने तथा इस क्षेत्र के विकास के लिए अमेरिकी विजन का अनुपालन कराने को लेकर अमेरिकी आदेश देखे हैं...'

उन्होंने कहा, 'हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्ट रूप से और दृढ़ता से कह दिया कि वह एक संप्रभु देश है तथा वे फैसला करेंगे कि किसका हथियार खरीदना है और इस क्षेत्र में व अन्य क्षेत्रों में भारत का साझेदार कौन होने जा रहा है.'

अक्टूबर 2018 में भारत ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर के एक कारार पर हस्ताक्षर किया था, जबकि तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस अनुबंध पर आगे बढ़ने पर भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, बाइडेन प्रशासन ने इस पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

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रूसी अधिकारियों ने बताया कि मिसाइलों की आपूर्ति शुरू हो गई है. अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की सदस्यता वाले समूह ऑकस का जिक्र करते हुए लावरोव ने कहा कि भारत ने इससे अपनी दूरी बना ली.

उन्होंने कहा कि रूस ने भारत को इस बात से अवगत कराया है कि वह ऑकस जैसी हिंद-प्रशांत योजनाओं और रणनीतियों के लिए किसी भी कोशिश का विरोध करेगा. वह आसियान और क्षेत्र में अन्य समूहों पर वर्चस्व स्थापित करने की कोशिशों का भी विरोध करेगा.

(पीटीआई-भाषा)

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