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वांग यी के बाद अब रूस के विदेश मंत्री आ सकते हैं भारत, जानिए क्या है एक्सपर्ट की राय

चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) की नई दिल्ली यात्रा के बाद अब रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov) के भारत आने की संभावना है. यह यात्रा यूक्रेन में चल रहे रूसी आक्रमण के बीच हो रही है. यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस से भारत की यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा होगी. वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

Russian Foreign Minister Sergey Lavrov
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव
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Published : Mar 28, 2022, 8:55 PM IST

नई दिल्ली : रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergey Lavrov) के भारत आने की संभावना है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. तारीखों की घोषणा विदेश मंत्री जयशंकर के श्रीलंका और मालदीव के दौरे से लौटने के बाद होने की उम्मीद है. रूसी विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर भारत के पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने 'ईटीवी भारत' से कहा कि यह दौरा पिछले कुछ समय से अपेक्षित था खासतौर से हाल ही में भारत ने जिस तरह से तटस्थ होकर रूस का साथ दिया है. इसका उद्देश्य उसके लिए धन्यवाद और प्रशंसा व्यक्त करना है.

'भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे' : पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी (former ambassador G. Parthasarathy ) ने कहा कि एजेंडे की बात की जाए तो कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यूक्रेन संकट पर आगे का रास्ता क्या होना चाहिए और दोनों पक्ष (भारत-रूस) रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाएं. कुल मिलाकर भारत को इसका लाभ होने जा रहा है. रूस के उत्पादों पर पश्चिमी देशों के सभी प्रतिबंधों के बावजूद मास्को ने भारत को रियायती कीमतों पर तेल की पेशकश की है. भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे.

यह पूछे जाने पर कि यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से दूर रहने की भारत की नीति पर अमेरिका निराश है और भारत को पश्चिम के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पार्थसारथी ने उत्तर दिया, 'क्या अमेरिकियों ने कभी भारत का समर्थन करते हुए किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंबई आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के मुद्दे को उठाया? या अमेरिका ने निक्सन, कार्टर और क्लिंटन के समय में चीन के साथ अपने अच्छे दिनों में कभी भारत की ओर देखा है? पार्थसारथी ने कहा 'भारत की अपनी अनिवार्यताएं हैं और यूएनएससी में यूक्रेन संकट पर उसका रुख दर्शाता है कि हम अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं. क्वाड में गठबंधन है लेकिन हम अपने राष्ट्रीय हितों में अपने फैसले खुद लेते हैं. यह सामरिक स्वतंत्रता का दावा है.'

लावरोव की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्ष अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बावजूद एक-दूसरे के साथ काम करना जारी रखने के लिए रुपया-रूबल लेनदेन प्रणाली से निपटने पर चर्चा करेंगे. वैश्विक प्रतिबंधों और वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच भारत को जो ऑफर मिला उसके मुताबिक भारतीय तेल कंपनियां पहले ही रियायती कीमतों पर रूसी तेल खरीद चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक लावरोव के यूक्रेन और रूस के बीच चल रही शांति वार्ता और संघर्ष को हल करने के लिए आगे का रास्ता क्या होना चाहिए, इस पर विचार-विमर्श करने की भी उम्मीद है.

डोभाल से चर्चा करने की उम्मीद : चीनी विदेश मंत्री की तरह रूसी एफएम लावरोव के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलने और रूस-यूक्रेन संकट पर चर्चा करने की उम्मीद है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने रूस-यूक्रेन प्रस्तावों पर वोटों से परहेज किया है. भारत ने संकट पर तटस्थ रुख बनाए रखा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा के बाद 24 फरवरी को सर्गेई लावरोव ने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी बात की थी.

साल के अंत में पीएम मोदी जा सकते हैं रूस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और हिंसा को तत्काल समाप्त करने की अपील की. पीएम मोदी ने उस विश्वास को दोहराया कि रूस और नाटो समूह के बीच मतभेदों को केवल ईमानदारी के साथ बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है. इस साल के अंत में पीएम मोदी के भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने की उम्मीद है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन 6 दिसंबर 2021 को वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली आए थे. टू प्लस टू बैठक इस साल रूस में होने की संभावना है, जिसके लिए भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री रूस जाएंगे.

पढ़ें- जयशंकर ने मालदीव को तटीय रडार प्रणाली औपचारिक रूप से सौंपी

नई दिल्ली : रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergey Lavrov) के भारत आने की संभावना है. हालांकि विदेश मंत्रालय ने अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. तारीखों की घोषणा विदेश मंत्री जयशंकर के श्रीलंका और मालदीव के दौरे से लौटने के बाद होने की उम्मीद है. रूसी विदेश मंत्री की यात्रा को लेकर भारत के पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी ने 'ईटीवी भारत' से कहा कि यह दौरा पिछले कुछ समय से अपेक्षित था खासतौर से हाल ही में भारत ने जिस तरह से तटस्थ होकर रूस का साथ दिया है. इसका उद्देश्य उसके लिए धन्यवाद और प्रशंसा व्यक्त करना है.

'भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे' : पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी (former ambassador G. Parthasarathy ) ने कहा कि एजेंडे की बात की जाए तो कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. यूक्रेन संकट पर आगे का रास्ता क्या होना चाहिए और दोनों पक्ष (भारत-रूस) रिश्ते को कैसे आगे बढ़ाएं. कुल मिलाकर भारत को इसका लाभ होने जा रहा है. रूस के उत्पादों पर पश्चिमी देशों के सभी प्रतिबंधों के बावजूद मास्को ने भारत को रियायती कीमतों पर तेल की पेशकश की है. भारत के साथ रूस के संबंध हमेशा अच्छे रहे हैं और यह जारी रहेंगे.

यह पूछे जाने पर कि यूक्रेन संकट पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से दूर रहने की भारत की नीति पर अमेरिका निराश है और भारत को पश्चिम के दबाव का सामना करना पड़ रहा है. पार्थसारथी ने उत्तर दिया, 'क्या अमेरिकियों ने कभी भारत का समर्थन करते हुए किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंबई आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के मुद्दे को उठाया? या अमेरिका ने निक्सन, कार्टर और क्लिंटन के समय में चीन के साथ अपने अच्छे दिनों में कभी भारत की ओर देखा है? पार्थसारथी ने कहा 'भारत की अपनी अनिवार्यताएं हैं और यूएनएससी में यूक्रेन संकट पर उसका रुख दर्शाता है कि हम अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं. क्वाड में गठबंधन है लेकिन हम अपने राष्ट्रीय हितों में अपने फैसले खुद लेते हैं. यह सामरिक स्वतंत्रता का दावा है.'

लावरोव की भारत यात्रा के दौरान दोनों पक्ष अमेरिका और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बावजूद एक-दूसरे के साथ काम करना जारी रखने के लिए रुपया-रूबल लेनदेन प्रणाली से निपटने पर चर्चा करेंगे. वैश्विक प्रतिबंधों और वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच भारत को जो ऑफर मिला उसके मुताबिक भारतीय तेल कंपनियां पहले ही रियायती कीमतों पर रूसी तेल खरीद चुकी हैं. सूत्रों के मुताबिक लावरोव के यूक्रेन और रूस के बीच चल रही शांति वार्ता और संघर्ष को हल करने के लिए आगे का रास्ता क्या होना चाहिए, इस पर विचार-विमर्श करने की भी उम्मीद है.

डोभाल से चर्चा करने की उम्मीद : चीनी विदेश मंत्री की तरह रूसी एफएम लावरोव के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलने और रूस-यूक्रेन संकट पर चर्चा करने की उम्मीद है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने रूस-यूक्रेन प्रस्तावों पर वोटों से परहेज किया है. भारत ने संकट पर तटस्थ रुख बनाए रखा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा के बाद 24 फरवरी को सर्गेई लावरोव ने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से भी बात की थी.

साल के अंत में पीएम मोदी जा सकते हैं रूस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और हिंसा को तत्काल समाप्त करने की अपील की. पीएम मोदी ने उस विश्वास को दोहराया कि रूस और नाटो समूह के बीच मतभेदों को केवल ईमानदारी के साथ बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है. इस साल के अंत में पीएम मोदी के भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने की उम्मीद है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन 6 दिसंबर 2021 को वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने दिल्ली आए थे. टू प्लस टू बैठक इस साल रूस में होने की संभावना है, जिसके लिए भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री रूस जाएंगे.

पढ़ें- जयशंकर ने मालदीव को तटीय रडार प्रणाली औपचारिक रूप से सौंपी

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