भोपाल। सीहोर के कुबेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान दो महिलाओं और एक बच्चे की मौत के मामले में महाराष्ट्र की अंध श्रध्दा निर्मूलन समिति ने पंडित प्रदीप मिश्रा पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की है. उनका कहना है कि इस मामले में जवाबदेही तय होनी चाहिए. कानून के तहत तो इस मामले में पंडित प्रदीप मिश्रा पर हत्या का मामला दर्ज हो सकता है. समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष सुरेश झुरमुरे ने कहा एमपी में अंधश्रध्दा में अब निरपराध लोगों की जान जा रही है. सरकार को चाहिए कि इसे रोकने जल्द अंध विश्वास विरोध कानून मध्यप्रदेश में लागू करे.
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तीन लोगों की मौत हुई जिम्मेदारी किसकी: महाराष्ट्र की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष सुरेश झुरमुरे का कहना है कि रुद्राक्ष से ईलाज नहीं किया जा सकता. ये सीधे-सीधे आस्था के नाम पर ठगी का मामला है. पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रचार करके रुद्राक्ष को ईलाज का साधन बनाया जो कि कोई दवा नहीं है. उसी अंध श्रध्दा में लोग जुटे और बदइंतजामी के शिकार हुए. झुरमुरे का कहना है कि जिसके पास डॉक्टर की डिग्री नहीं है. वो उसका इलाज और इलाज के लिए किया गया दावा सब अपराध है. ड्रग्स एण्ड मैजिक रैमिडी एक्ट 1954 कानून के तहत ये अपराध है.
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जागरुकता सरकार की जिम्मेदारी: अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष सुरेश झुरमुरे के मुताबिक मध्यप्रदेश में जिस तरह से बाबा और महाराज की बाढ़ आई है. जिस तरह से समसयाओं से घिरे लोग इन बाबाओं के शिकंजे में फंसे हैं. अब मध्यप्रदेश में सख्त जरुरत है कि सरकार इस ओर ध्यान दे. लोगों की जागरुकता के लिए और वो अंधविश्वास में ना घिरें, इसके लिए एमपी में भी अंधविश्वास विरोधी कानून लागू किया जाए. एक तरीके से ये कानून अब लोगों की जान बचाने का काम करेगा. अगर बीमारियों के ईलाज के लिए बीमार लोग कतार में मर रहे हैं. मासूम बच्चे की जान गई है अंधविश्वास में. तो ये जिममेदारी किसकी है.