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पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के ठीक अगले दिन आरएसएस की महत्वपूर्ण बैठक

पांच राज्यों के चुनाव के बाद 10 मार्च को मतगणना होगी. इसके बाद ही पता चल पाएगा कि भाजपा की सरकार कहां-कहां बनती है. मतगणना के ठीक अगले दिन यानी 11 मार्च को आरएसएस की प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी. जाहिर है, इस बैठक में चुनाव के परिणामों और भाजपा के परफॉर्मेंस पर भी चर्चा होगी.

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Published : Mar 3, 2022, 5:56 PM IST

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कॉन्सेप्ट फोटो

अहमदाबाद : गुजरात के कर्णावती ( अहमदाबाद) में होने जा रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महत्वपूर्ण बैठक में पांचों चुनावी राज्यों के नतीजों पर विस्तार से चर्चा हो सकती है. 11 से 13 मार्च के बीच गुजरात के कर्णावती ( अहमदाबाद) में संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक होने जा रही है.

बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत संघ से जुड़े सभी संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है. भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष भी बैठक में शामिल होंगे. हालांकि संघ की इस बैठक का एजेंडा पिछले वर्ष के कार्यक्रमों की समीक्षा के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करना खासतौर से शताब्दी वर्ष की तैयारियों को अंतिम रूप देना है. लेकिन चुनावी नतीजों की घोषणा के अगले ही दिन शुरू होने वाली इस बैठक में चुनावी नतीजों के भी छाए रहने की संभावना है.

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा, इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च को होगी. जनता का जनादेश स्पष्ट आया तो 10 मार्च को ही यह साफ हो जाएगा कि भाजपा इन पांच में से चार राज्यों में अपनी सत्ता बचा पाई है या नहीं. इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि पांचवें राज्य पंजाब में भाजपा दावे के मुताबिक विस्तार कर पाई है या नहीं. जाहिर है कि इसके अगले ही दिन, यानि 11 मार्च से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की गुजरात के कर्णावती में होने जा रही बैठक में चुनावी नतीजे तो छाए ही रहेंगे.

दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की इस बैठक को संघ में निर्णय की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. आमतौर पर इस बैठक में आगामी वर्ष की योजना को अंतिम रूप दिया जाता है. लेकिन चुनावी नतीजे आने के अगले ही दिन होने वाली इस बैठक को चुनावी नतीजों के विश्लेषण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक इस वर्ष शुक्रवार 11 मार्च से रविवार 13 मार्च तक गुजरात के कर्णावती में होने जा रही है. उन्होंने बताया कि संघ की इस महत्वपूर्ण बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सभी सह सरकार्यवाह, कृष्णगोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुंद, रामदत्त और अरुण कुमार के साथ-साथ संघ के अन्य सभी पदाधिकारी भी शामिल होंगे. इसके अलावा प्रांतों से सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, क्षेत्र एवं प्रांत के संघचालक, कार्यवाह, प्रचारकों के साथ ही संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री और उनके सहयोगी भी बैठक में शामिल हो सकते हैं.

सुनील आंबेकर के मुताबिक गुजरात में होने वाली संघ की इस बैठक में पिछले वर्ष के कार्यवृत्त, संघ कार्य विस्तार की आगामी वर्ष की योजना, संघ शिक्षा वर्ग योजना के साथ ही वर्तमान परिस्थितियों पर भी चर्चा होगी. बैठक में कुछ विषयों पर प्रस्ताव भी आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना के चलते यह बैठक छोटी हुई थी तथा कुछ ही कार्यकर्ता प्रत्यक्ष तौर पर बैठक में शामिल हुए थे एवं अन्य कार्यकर्ता अपने-अपने प्रांत के केंद्र से ऑनलाइन ही बैठक से जुड़े थे. इस वर्ष भी बैठक में गुजरात के कोरोना प्रतिबंधों को ध्यान में रखकर बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों की संख्या को कुछ कम किया गया है.

ये भी पढ़ें : NCP विधायक का शीर्षासन, शिवाजी पर राज्यपाल की कथित टिप्पणी को लेकर आक्रोश

अहमदाबाद : गुजरात के कर्णावती ( अहमदाबाद) में होने जा रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महत्वपूर्ण बैठक में पांचों चुनावी राज्यों के नतीजों पर विस्तार से चर्चा हो सकती है. 11 से 13 मार्च के बीच गुजरात के कर्णावती ( अहमदाबाद) में संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक होने जा रही है.

बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, संघ के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों समेत संघ से जुड़े सभी संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है. भाजपा की तरफ से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष भी बैठक में शामिल होंगे. हालांकि संघ की इस बैठक का एजेंडा पिछले वर्ष के कार्यक्रमों की समीक्षा के साथ-साथ भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करना खासतौर से शताब्दी वर्ष की तैयारियों को अंतिम रूप देना है. लेकिन चुनावी नतीजों की घोषणा के अगले ही दिन शुरू होने वाली इस बैठक में चुनावी नतीजों के भी छाए रहने की संभावना है.

उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा, इन पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च को होगी. जनता का जनादेश स्पष्ट आया तो 10 मार्च को ही यह साफ हो जाएगा कि भाजपा इन पांच में से चार राज्यों में अपनी सत्ता बचा पाई है या नहीं. इसके साथ ही यह भी साफ हो जाएगा कि पांचवें राज्य पंजाब में भाजपा दावे के मुताबिक विस्तार कर पाई है या नहीं. जाहिर है कि इसके अगले ही दिन, यानि 11 मार्च से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा की गुजरात के कर्णावती में होने जा रही बैठक में चुनावी नतीजे तो छाए ही रहेंगे.

दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की इस बैठक को संघ में निर्णय की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. आमतौर पर इस बैठक में आगामी वर्ष की योजना को अंतिम रूप दिया जाता है. लेकिन चुनावी नतीजे आने के अगले ही दिन होने वाली इस बैठक को चुनावी नतीजों के विश्लेषण के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि संघ की प्रतिवर्ष होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक इस वर्ष शुक्रवार 11 मार्च से रविवार 13 मार्च तक गुजरात के कर्णावती में होने जा रही है. उन्होंने बताया कि संघ की इस महत्वपूर्ण बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सभी सह सरकार्यवाह, कृष्णगोपाल, मनमोहन वैद्य, मुकुंद, रामदत्त और अरुण कुमार के साथ-साथ संघ के अन्य सभी पदाधिकारी भी शामिल होंगे. इसके अलावा प्रांतों से सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों, क्षेत्र एवं प्रांत के संघचालक, कार्यवाह, प्रचारकों के साथ ही संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों के अखिल भारतीय संगठन मंत्री और उनके सहयोगी भी बैठक में शामिल हो सकते हैं.

सुनील आंबेकर के मुताबिक गुजरात में होने वाली संघ की इस बैठक में पिछले वर्ष के कार्यवृत्त, संघ कार्य विस्तार की आगामी वर्ष की योजना, संघ शिक्षा वर्ग योजना के साथ ही वर्तमान परिस्थितियों पर भी चर्चा होगी. बैठक में कुछ विषयों पर प्रस्ताव भी आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना के चलते यह बैठक छोटी हुई थी तथा कुछ ही कार्यकर्ता प्रत्यक्ष तौर पर बैठक में शामिल हुए थे एवं अन्य कार्यकर्ता अपने-अपने प्रांत के केंद्र से ऑनलाइन ही बैठक से जुड़े थे. इस वर्ष भी बैठक में गुजरात के कोरोना प्रतिबंधों को ध्यान में रखकर बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों की संख्या को कुछ कम किया गया है.

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