नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश और बिहार में रेलवे भर्ती बोर्ड-एनटीपीसी परीक्षा (Railway Recruitment Board-NTPC Exam) के नियमों और रिजल्ट को लेकर विरोध प्रदर्शन पर अब सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन करने वाले युवाओं का समर्थन करते हुए गुरुवार को कहा कि यह केंद्र सरकार की युवाओं के खिलाफ एक बड़ी साजिश है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress party spokesperson Supriya Shrinet) ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण आंदोलन का स्थान है, लेकिन किसी भी हिंसा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 24 से 48 घंटों में हमने जिस तरह से छात्रों पर लाठियां बरसते हुए, उन्हें खून से लथपथ होते हुए देखा है, इससे ऐसा लगता है कि एक सभ्य समाज, एक लोकतंत्र और युवा पीढ़ी के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है.
सुप्रिया ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले आनन-फानन में एक अधिसूचना जारी की गई और रेलवे ने कहा कि ग्रुप-डी के रिक्त पदों को भरा जाएगा. इसके बाद देश के सवा करोड़ युवाओं ने आवेदन किया, शुल्क दिया, लेकिन तीन साल बाद भी आज तक भर्तियां नहीं हो पाई हैं. इससे पता चलता है कि सरकार की मंशा युवाओं को नौकरी देने की नहीं बल्कि यह पद ही खत्म करने की है.
उन्होंने कहा कि 28 जनवरी को युवाओं ने जिस आंदोलन का आह्वान किया है, उसका हम समर्थन करते हैं. लेकिन महात्मा गांधी के देश में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. सरकार से हम कहना चाहते हैं कि आप आंदोलन करने से किसी को नहीं रोक सकते हैं, संवाद कीजिए, उनका विश्वास जीतिए. अहंकार के लिए कोई जगह नहीं है.
वहीं, परीक्षाएं न आयोजित होने के पीछे कांग्रेस का आरोप है कि इन भर्तियों को जानबूझ कर लंबित रखा जा रहा है. देश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए सुप्रिया ने कहा कि यह मुद्दा अब केवल बिहार, झारखंड या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में युवाओं के सामने रोजगार का संकट है. रेलवे एक समय में देश का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला उपक्रम होता था, लेकिन आज यह परीक्षाएं आयोजित नहीं करवा पा रहा है और नतीजे में इतनी देरी हो रही है.
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बता दें कि देश के विभिन्न हिस्सों से नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा तोड़फोड़ की खबर के बाद रेल मंत्रालय ने बुधवार को गैर-तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (आरआरबी-एनटीपीसी) और स्तर 2 परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था. उम्मीदवार दो चरणों में परीक्षा आयोजित करने संबंधी रेलवे के फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अंतिम चयन के लिए दूसरा चरण उन लोगों को धोखा देने के समान है जो कंप्यूटर आधारित परीक्षा (सीबीटी) के लिए आरआरबी-एनटीपीसी के पहले चरण में उपस्थित हुए और उत्तीर्ण हुए. लगभग 1.25 करोड़ उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था, जिसमें स्तर दो से स्तर छह तक 35,000 से अधिक पदों का विज्ञापन दिया गया था.
गौरतलब है कि ग्रुप-डी के 35000 पदों पर भर्ती के लिए फरवरी 2019 में भर्तीयां घोषित की गई थीं और पहले चरण की परीक्षाएं दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच हुई थी. इस परीक्षा के नतीजे जनवरी 2022 में घोषित हुए वह भी नियमों में बदलाव के बाद, जिसके बाद छात्रों ने शिकायत की कि नियमों में बदलाव का परीक्षा के रिजल्ट पर असर पड़ा है. प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को कई स्थानों पर रेल पटरियों पर धरना दिया, जिससे ट्रेनों की आवाजाही बाधित हुई थी. विरोध प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया या वैकल्पिक मार्गों पर चलाया गया.