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Roshan Banu Adopted Hinduism: रोशन बानू बनीं सनातनी रोशनी, कहा- हिंदू धर्म में महिलाओं का बहुत सम्मान

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में एक युवती के स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपना लिया है. रोशन बानू को अब रोशनी नाम मिला है. परिवार वालों की यातना और उत्पीड़न से तंग आकर रोशनी ने सनातन धर्म अपनाया है. रोशनी का कहना है कि हिंदू धर्म में महिलाओं को सम्मान मिलता है इसलिए उन्होंने ये फैसला लिया है.

Roshan Banu Adopted Hinduism
Roshan Banu Adopted Hinduism
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Published : Feb 16, 2023, 4:16 PM IST

Updated : Feb 16, 2023, 5:52 PM IST

रोशन बानू बनीं रोशनी, अपनाया सनातन धर्म.

अल्मोड़ा/हल्द्वानी: उत्तराखंड में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक मुस्लिम समुदाय की युवती ने अपने परिवार के अन्याय से तंग आकर हिंदू धर्म अपनाया है. युवती ने आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी में पूरे विधि विधान और शुद्धीकरण के साथ हिंदू धर्म ग्रहण किया. हिंदू धर्म अपनाने वाली युवती रोशनी (रोशन बानू) अल्मोड़ा की रहने वाली हैं. आखिर रोशन बानू के साथ ऐसा क्या हुआ, जिसने उसे रोशनी बनने पर मजबूर कर दिया? अपनी पूरी कहानी रोशन बानू खुद बता रही हैं.

Roshan Banu Adopted Hinduism
आर्य समाज मंदिर में हिन्दू धर्म स्वीकारा.

परिवार की सबसे बड़ी बेटी है रोशनी: बता दें कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक संस्कृति संजोय अल्मोड़ा शहर में पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से बशीर अहमद का परिवार रहता है. सब्जी मंडी अल्मोड़ा में वो मीट बेचने का कारोबार करते हैं. बशीर अहमद के चार बच्चे हैं, जिसमें सबसे बड़ी बेटी रोशन बानू (रोशनी) 32 वर्ष की हैं. शुरू से ही पढ़ाई में तेज रही रोशन बानू की वर्ष 2012 में हवालबाग रानीखेत में सरकारी नौकरी लग गई.

सरकारी नौकरी लगी तो जिम्मेदारी बढ़ीः रोशनी बताती हैं कि रानीखेत गोविंद सिंह मेहरा राजकीय चिकित्सालय में पिछले सात सालों से नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं. घर की बड़ी बेटी का जब सरकारी नौकरी में चयन हुआ तो आर्थिक रूप से कमजोर उसका परिवार बेहद खुश हो गया. उसके बाद घर खर्च और छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई की जिम्म्मेदारी, रोशनी पर डाल दी गई.

इसका पूरा सम्मान करते हुए रोशनी ने इस जिम्मेदारी को उठाया. रोशनी ने सभी बहनों और भाई की पढ़ाई में भरपूर धन खर्च किया. रोशनी बताती हैं कि धीरे-धीरे परिवारजनों के अधिक धन की मांग के कारण उनका मानसिक प्रताड़ना का दौर शुरू हो गया. वर्ष 2019 में रोशनी ने अपनी बचत से हल्द्वानी में एक भवन खरीदा.
ये भी पढ़ें: ऋतेश्वर महाराज के बाद साध्वी प्रज्ञा ने उठाई सनातन बोर्ड की मांग, हिंदुओं के हित में लगे मंदिरों का पैसा

भाई के नाम घर करवाने का दवाबः परिवारवाले चाहते थे कि रोशनी अपने इस घर की रजिस्ट्री भाई साजिद के नाम करे दे. फिर भाई और परिवार ने रोशनी से मारपीट कर सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया. रोशनी कहती हैं कि उसे भाई साजिद ने ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी भी दी. यहां तक कि परिवार वाले ये कहने लगे कि, तुम्हे जीवन हमने दिया है तो मौत भी हम ही देंगे.

धमकी मिलने के बाद की शिकायतः इससे दुखी होकर रोशनी ने मामले की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की, जिस पर उसके पिता और परिवारजनों ने 21 अक्टूबर 2020 में क्षमा याचना पत्र पुलिस को सौंपा. पत्र में उन्होंने कहा कि अब परिवार की ओर से रोशनी को कभी परेशान नहीं किया जाएगा. जो कत्ल करने की बात कही गई थी, उस पर माफी भी मांगी गई. लेकिन इतना सब होने के बाद भी परिवार की ओर से यातना और मानसिक उत्पीड़न बढ़ता ही गया. यहां तक कि रोशनी के परिवार ने उससे संबंध तोड़ने का दबाव बनाया. धीरे-धीरे रोशनी का परिवार और धर्म विशेष से मोहभंग हो गया.

सम्मान नहीं मिला तो सनातन धर्म अपनायाः रोशनी को लगने लगा कि उसका सम्मान नहीं हो रहा है. इसके बाद अपने परिवार से संबंध पूरी तरह से खत्म कर उसने 4 दिसंबर 2022 को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी पहुंचकर शुद्धि यज्ञ कर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया. साथ ही अपना नाम रोशन बानू से बदलकर रोशनी रख लिया. ये सब करने के बाद अब भी नाते-रिश्तेदार उसकी धर्म और परिवार वापसी के लिए उनके पास आते रहते हैं. ऐसे में रोशनी को अब उनसे जान के खतरा का डर सताने लगा है.
पढ़ें- Ramdev on Ramcharitmanas: 'देश में चल रहा धार्मिक आतंकवाद, सनातन धर्म को अपमानित करने का षड्यंत्र'

डरी सहमी है रोशनीः रोशनी कहती हैं कि जिस परिवारों में लड़कियों का कोई सम्मान नहीं किया जाता है, उसमें क्यों अपना समय व्यर्थ किया जाए, इसलिए उसने स्वयं सामने आकर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है. अब रोशनी अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भगवान विष्णु, महान हिन्दू विचारक और आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का चित्र लगाती हैं. रोशनी का कहना है कि हिंदू धर्म में महिलाओं को बहुत सम्मान दिया जाता है, इसलिए अत्यधिक पारिवारिक उत्पीड़न होने पर उन्होंने धर्म बदल लिया, लेकिन किसी अनहोनी की आशंका के चलते वो काफी डरी-सहमी हुई है.

रोशन बानू बनीं रोशनी, अपनाया सनातन धर्म.

अल्मोड़ा/हल्द्वानी: उत्तराखंड में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां एक मुस्लिम समुदाय की युवती ने अपने परिवार के अन्याय से तंग आकर हिंदू धर्म अपनाया है. युवती ने आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी में पूरे विधि विधान और शुद्धीकरण के साथ हिंदू धर्म ग्रहण किया. हिंदू धर्म अपनाने वाली युवती रोशनी (रोशन बानू) अल्मोड़ा की रहने वाली हैं. आखिर रोशन बानू के साथ ऐसा क्या हुआ, जिसने उसे रोशनी बनने पर मजबूर कर दिया? अपनी पूरी कहानी रोशन बानू खुद बता रही हैं.

Roshan Banu Adopted Hinduism
आर्य समाज मंदिर में हिन्दू धर्म स्वीकारा.

परिवार की सबसे बड़ी बेटी है रोशनी: बता दें कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक संस्कृति संजोय अल्मोड़ा शहर में पिछले 50 वर्षों से अधिक समय से बशीर अहमद का परिवार रहता है. सब्जी मंडी अल्मोड़ा में वो मीट बेचने का कारोबार करते हैं. बशीर अहमद के चार बच्चे हैं, जिसमें सबसे बड़ी बेटी रोशन बानू (रोशनी) 32 वर्ष की हैं. शुरू से ही पढ़ाई में तेज रही रोशन बानू की वर्ष 2012 में हवालबाग रानीखेत में सरकारी नौकरी लग गई.

सरकारी नौकरी लगी तो जिम्मेदारी बढ़ीः रोशनी बताती हैं कि रानीखेत गोविंद सिंह मेहरा राजकीय चिकित्सालय में पिछले सात सालों से नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं. घर की बड़ी बेटी का जब सरकारी नौकरी में चयन हुआ तो आर्थिक रूप से कमजोर उसका परिवार बेहद खुश हो गया. उसके बाद घर खर्च और छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई की जिम्म्मेदारी, रोशनी पर डाल दी गई.

इसका पूरा सम्मान करते हुए रोशनी ने इस जिम्मेदारी को उठाया. रोशनी ने सभी बहनों और भाई की पढ़ाई में भरपूर धन खर्च किया. रोशनी बताती हैं कि धीरे-धीरे परिवारजनों के अधिक धन की मांग के कारण उनका मानसिक प्रताड़ना का दौर शुरू हो गया. वर्ष 2019 में रोशनी ने अपनी बचत से हल्द्वानी में एक भवन खरीदा.
ये भी पढ़ें: ऋतेश्वर महाराज के बाद साध्वी प्रज्ञा ने उठाई सनातन बोर्ड की मांग, हिंदुओं के हित में लगे मंदिरों का पैसा

भाई के नाम घर करवाने का दवाबः परिवारवाले चाहते थे कि रोशनी अपने इस घर की रजिस्ट्री भाई साजिद के नाम करे दे. फिर भाई और परिवार ने रोशनी से मारपीट कर सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया. रोशनी कहती हैं कि उसे भाई साजिद ने ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकी भी दी. यहां तक कि परिवार वाले ये कहने लगे कि, तुम्हे जीवन हमने दिया है तो मौत भी हम ही देंगे.

धमकी मिलने के बाद की शिकायतः इससे दुखी होकर रोशनी ने मामले की शिकायत संबंधित अधिकारियों से की, जिस पर उसके पिता और परिवारजनों ने 21 अक्टूबर 2020 में क्षमा याचना पत्र पुलिस को सौंपा. पत्र में उन्होंने कहा कि अब परिवार की ओर से रोशनी को कभी परेशान नहीं किया जाएगा. जो कत्ल करने की बात कही गई थी, उस पर माफी भी मांगी गई. लेकिन इतना सब होने के बाद भी परिवार की ओर से यातना और मानसिक उत्पीड़न बढ़ता ही गया. यहां तक कि रोशनी के परिवार ने उससे संबंध तोड़ने का दबाव बनाया. धीरे-धीरे रोशनी का परिवार और धर्म विशेष से मोहभंग हो गया.

सम्मान नहीं मिला तो सनातन धर्म अपनायाः रोशनी को लगने लगा कि उसका सम्मान नहीं हो रहा है. इसके बाद अपने परिवार से संबंध पूरी तरह से खत्म कर उसने 4 दिसंबर 2022 को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी पहुंचकर शुद्धि यज्ञ कर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया. साथ ही अपना नाम रोशन बानू से बदलकर रोशनी रख लिया. ये सब करने के बाद अब भी नाते-रिश्तेदार उसकी धर्म और परिवार वापसी के लिए उनके पास आते रहते हैं. ऐसे में रोशनी को अब उनसे जान के खतरा का डर सताने लगा है.
पढ़ें- Ramdev on Ramcharitmanas: 'देश में चल रहा धार्मिक आतंकवाद, सनातन धर्म को अपमानित करने का षड्यंत्र'

डरी सहमी है रोशनीः रोशनी कहती हैं कि जिस परिवारों में लड़कियों का कोई सम्मान नहीं किया जाता है, उसमें क्यों अपना समय व्यर्थ किया जाए, इसलिए उसने स्वयं सामने आकर हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया है. अब रोशनी अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर भगवान विष्णु, महान हिन्दू विचारक और आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का चित्र लगाती हैं. रोशनी का कहना है कि हिंदू धर्म में महिलाओं को बहुत सम्मान दिया जाता है, इसलिए अत्यधिक पारिवारिक उत्पीड़न होने पर उन्होंने धर्म बदल लिया, लेकिन किसी अनहोनी की आशंका के चलते वो काफी डरी-सहमी हुई है.

Last Updated : Feb 16, 2023, 5:52 PM IST
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