नई दिल्ली : राज्यों द्वारा संचालित रिफाइनर ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों में वृद्धि की है. इससे विशेषज्ञों का मानना है कि यह अब भारतीय एयरलाइंस के जून तिमाही के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार को उद्योगों की मदद करनी चाहिए.
एटीएफ की कीमतों में पिछले साल जनवरी से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो लगभग 50,000 रुपये प्रति किलोलीटर से लगभग 70,000 रुपये प्रति किलोलीटर है. राष्ट्रीय राजधानी में, घरेलू एयरलाइंस के लिए एटीएफ की कीमतें 16 जुलाई को 68,857.97 रुपये से 2.44 प्रतिशत बढ़ीं. एक जुलाई को, नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में एटीएफ की कीमत क्रमशः 68,262 रुपये, 66,482.90 रुपये, 70,011.44 रुपये, 72,295.24 रुपये प्रति किलोलीटर थी.
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से हवाई यात्रा और महंगी होने की उम्मीद है, क्योंकि कोरोनावायरस महामारी के बीच यात्रियों की मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर एविएशन एयरोस्पेस एंड ड्रोन्स के चेयरमैन सनत कौल ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार को एटीएफ की बढ़ती कीमतों को स्थिर करने के लिए कदम उठाने चाहिए.
इंडिगो ने कोरोनोवायरस महामारी के कारण पिछले वर्ष की तुलना में कम क्षमता पर परिचालन के बावजूद तिमाही के दौरान जेट ईंधन पर 1,914.46 करोड़ रुपये खर्च किए. विशेष रूप से, शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय से एटीएफ को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए कहा था.