लंदन : लिज ट्रस (Liz Truss) के गुरुवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा देने के बाद वह सबसे कम समय तक देश की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाली राजनेता बन गयीं हैं. लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की रेस फिर से शुरु हो गयी है. साथ ही एक बार फिर से राजनीतिक अटकलों का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) का नाम फिर से सुर्खियों में आने लगा है. अभी कुछ दिनों पहले लिज ट्रस ने ऋषि सुनक को हराकर प्रधानमंत्री पद की कुर्सी संभाली थी. उस समय कंजरवेटिव पार्टी के कई सांसदों ने सुनक की नीतियों का साथ नहीं दिया था. हालांकि, अब बदले हालात में यह कहा जाने लगा है कि उस समय जो सुनक कह रहे थे, वह बिल्कुल सही बात थी. अगर लोग उनसे सहमत हुए और कंजरवेटिव पार्टी के सांसदों ने साथ दिया तो भारतीय मूल के ऋषि सुनक के सिर ताज सज सकता है.
आइए ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की रेस के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं....
45 दिनों में ही इस्तीफे को मजबूर हुयीं लिज ट्रस
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री लिज ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य टोरी मेंबर्स ने उनका साथ छोड़ दिया था. अब ऐसा माना जा रहा है कि अगले शुक्रवार यानी 28 अक्टूबर तक ब्रिटेन को एक और नया प्रधानमंत्री मिल सकता है. वहीं विरोधी दल के लोग नए चुनाव कराए जाने की मांग करने लगे हैं. ब्रिटेन में चल रहे राजनीतिक गतिरोध के कारण प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद से केवल 45 दिनों में ही इस्तीफा दे दिया है. वह अपनी आर्थिक नीतियों के कारण पार्टी के निशाने पर आ गईं थीं. उनकी पार्टी के सदस्यों ने उनका साथ छोड़ दिया है.
आपको बता दें कि 6 सप्ताह पहले ही बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद उनकी जगह पर लिज ट्रस को प्रधानमंत्री चुना गया था. उनके इस्तीफे के बाद एक बार फिर से ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के बारे में चर्चाएं शुरू हो गई हैं. आखिर ब्रिटेन का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा इसको लेकर तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. फिलहाल सबकी निगाहें एक बार फिर से भारतीय मूल के ऋषि सुनक पर चली गई हैं. वह प्रधानमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे आ गए हैं.
इसके पहले हुए एक सर्वे में 10 डाउनिंग स्ट्रीट में शीर्ष पद संभालने के लिए सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन सबसे बड़े दावेदार कहे जा रहे हैं. सर्वे में उन्हें 32 फीसदी लोगों ने शीर्ष उम्मीदवार के रूप में पसंद किया तो वहीं ऋषि सुनक को 23 फीसदी लोगों ने शीर्ष पद पर देखना चाहा था. अब बदले हालात में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के रुख देखने वाला होगा और यह समझना होगा कि सांसदों में कितना समर्थन उनके साथ जाता है.
और भी चेहरे रेस में शामिल
लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद से कंजरवेटिव पार्टी के कई और चेहरे भी ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री की रेस में शामिल होते नजर आ रहे हैं. इन चेहरों में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris johnson), पेनी मोर्डौंट (Penny Mordaunt), रक्षा मंत्री बेन वालेस (Ben Wallace), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सचिव केमी बडेनोच (Kemi Badenoch), विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली(James Cleverly) के साथ साथ हाल ही में इस्तीफा देने वाली सुएला ब्रेवरमैन (Suella Braverman) भी दौड़ में शामिल हैं. पेनी मोर्डौंट लिज ट्रस के चुने जाने के वक्त पीएम की रेस में ऋषि सुनक के बाग तीसरे नंबर पर रही थीं. उनको भी प्रबल दावेदार माना जा रहा है.
आपको बता दें कि ब्रिटिश पीएम की रेस में भले 7 नामों पर नजरें हैं. लेकिन यहां के अगले प्रधानमंत्री की रेस में तीन से ज्यादा उम्मीदवारों का खड़े होना मुश्किल होता है. दरअसल, ब्रिटिश संसद में कुल 357 टोरी सांसद (कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद) हैं. एक उम्मीदवार को बैलेट प्राप्त करने के लिए करीब 100 टोरी सांसदों का समर्थन चाहिए होता है. इस तरह से अगले प्रधानमंत्री की रेस में उम्मीदवारों की संख्या तीन से ज्यादा नहीं हो सकेगी.
सुनक की राह कितनी आसान
लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री की रेस में आगे रहने वाले सुनक की राह इतनी आसान नहीं है, लेकिन जिस तरह से उन्हें पिछली बार दूसरी पसंद के रुप में चुना गया था. वह अबकी बार पहली पसंद बन सकते हैं. लेकिन सुनक की राह के सबसे बड़े रोड़े बोरिस जॉनसन हैं. सुनक के उपर पार्टी के लोग आरोप लगाते हैं कि सुनक ने ही बोरिस जॉनसन को धोखा दिया था. लिज ट्रस के कुर्सी छोड़ने के बाद बोरिस जॉनसन वापसी की कोशिश कर सकते हैं. जॉनसन ने इस्तीफा देने के बाद से खुद को लो प्रोफाइल कर रखा है. वह वेट एंच वॉच की पॉलिसी अपना रहे हैं.
भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने की संभावना बनते ही यह कहा जाने लगा है कि वह जिस तरह से 2015 में पहली बार ब्रिटिश संसद पहुंचने के बाद से अपनी राजनीतिक पहचान बनायी है, उससे ऐसा लगता है कि उन्हें कोई और उतनी आसानी से हरा नहीं पाएगा. उन्होंने कई मामलों में पिछले प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की रणनीति का समर्थन किया था और यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने की बात को सही ठहराया था. ऋषि सुनक जब 2015 में जब पहली बार सांसद बने थे तब उन्होंने भगवत गीता पर हाथ रख कर शपथ ली थी.
इसे भी देखें.. लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद फिर 'रेस' में ऋषि सुनक, जॉनसन से मिल सकती है चुनौती
कौन हैं ऋषि सुनक
ऋषि सुनक के माता पिता मूल रुप से पंजाब के रहने वाले थे, जो बाद में इंग्लैंड में जाकर बस गए. सुनक का जन्म ब्रिटेन के हैम्पशायर शहर में ही हुआ. इसके बाद ऋषि ने अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के साथ साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति, दर्शन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई की. ऋषि सुनक ने राजनीति में आने से पहले कई और जगहों पर अपने हाथ आजमाए थे. सुनक ने इसके पहले इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और हेज फंड में काम करने के बाद इन्वेस्टमेंट फर्म की भी स्थापना की थीं.
आपको बता दें कि ऋषि सुनक की मां एक फार्मासिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) में काम करती हैं. जबकि ऋषि सुनक के पिता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट बताए जाते हैं.
नारायण मूर्ति के दामाद भी हैं ऋषि सुनक
इसेक साथ साथ ऋषि सुनक की पहचान चर्चित भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद के रुप में भी है. 2009 में उनकी शादी नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता के साथ हुयी थी. ऋषि और अक्षता की दो बेटियां हैं, जिनके नाम कृष्णा और अनुष्का बताया जाता है.
राजनीतिक सफरनामा
ऋषि सुनक को कंजर्वेटिव पार्टी का उभरता हुआ ऐसा सितारा माना जाता है, जिसे आर्थिक मामलों की अच्छी जानकारी है. ऋषि सुनक 2015 में पहली बार सांसद चुने गए थे. इसके बाद 2018 में स्थानीय सरकार में बतौर मंत्री शामिल हो गए. 2019 में उन्हें ट्रेजरी का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के चुनाव प्रचार कैम्पेन में भी उन्होंने अपनी बड़ी भूमिका निभायी थी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप