ETV Bharat / bharat

जीवन के अधिकार को खतरा होने पर धार्मिक आचरण का अधिकार कम महत्वपूर्ण :अदालत - मुख्य न्यायाधीश एस बनर्जी

मुख्य न्यायाधीश एस बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथीलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने कहा है कि जब जीवन के अधिकार को खतरा हो तब धार्मिक आचरण करने का अधिकार निश्चित तौर पर जीवन का अधिकार से कम महत्वपूर्ण हो जाता है.

मद्रास उच्च न्यायाल
मद्रास उच्च न्यायाल
author img

By

Published : Jul 2, 2021, 9:19 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जब जीवन का अधिकार खतरे में हो तब धार्मिक आचरण करने के अधिकार को कम प्राथमिकता दी जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश एस बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथीलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने कहा, 'धार्मिक आचरण करने का अधिकार निश्चित तौर पर जीवन का अधिकार से कम महत्वपूर्ण है और जब जीवन के अधिकार को खतरा हो, जब धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है.'

पीठ ने कहा कि अदालतें इस तरह के विषयों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक कि सरकार की कार्रवाई पूरी तरह से मनमाना या आधारहीन नहीं हो.

अदालत ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में सभी उपासना स्थलों को बगैर किसी पाबंदी के खोले जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए यह कहा. ये धार्मिक स्थल कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किये गये लॉकडाउन के कारण बंद हैं.

पढ़ें - क्यों न जयललिता मौत मामले में गठित आयोग से जल्द रिपोर्ट के लिए कहा जाए : मद्रास उच्च न्यायालय

पीठ ने नियमित बस सेवा बहाल करने का अनुरोध करने वाली एक अन्य पीआईएल का निस्तारण करते हुए कहा कि महामारी की दूसरी लहर अभी तक खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर का भी खतरा है.

(पीटीआई भाषा)

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जब जीवन का अधिकार खतरे में हो तब धार्मिक आचरण करने के अधिकार को कम प्राथमिकता दी जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश एस बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथीलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने कहा, 'धार्मिक आचरण करने का अधिकार निश्चित तौर पर जीवन का अधिकार से कम महत्वपूर्ण है और जब जीवन के अधिकार को खतरा हो, जब धार्मिक आचरण करने का अधिकार कम महत्वपूर्ण हो सकता है.'

पीठ ने कहा कि अदालतें इस तरह के विषयों में तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं जब तक कि सरकार की कार्रवाई पूरी तरह से मनमाना या आधारहीन नहीं हो.

अदालत ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में सभी उपासना स्थलों को बगैर किसी पाबंदी के खोले जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए यह कहा. ये धार्मिक स्थल कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए लागू किये गये लॉकडाउन के कारण बंद हैं.

पढ़ें - क्यों न जयललिता मौत मामले में गठित आयोग से जल्द रिपोर्ट के लिए कहा जाए : मद्रास उच्च न्यायालय

पीठ ने नियमित बस सेवा बहाल करने का अनुरोध करने वाली एक अन्य पीआईएल का निस्तारण करते हुए कहा कि महामारी की दूसरी लहर अभी तक खत्म नहीं हुई है और तीसरी लहर का भी खतरा है.

(पीटीआई भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.