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धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं : मद्रास हाई कोर्ट

मद्रास उच्च न्यायालय ने यह उल्लेख करते हुए कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु स्थित एक मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बिना धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करें.

madras highcourt
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Published : Jan 7, 2021, 7:14 PM IST

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने यह उल्लेख करते हुए कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु स्थित एक मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बिना धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करें.

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की, धार्मिक रीति-रिवाज जनहित तथा जीवन के अधिकार का विषय होने चाहिए.

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जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं
उन्होंने कहा कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है. यदि सरकार को महामारी की स्थिति में कदम उठाने हैं तो हम हस्तक्षेप नहीं चाहेंगे. न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तिरुचिरापल्ली जिला स्थित श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल और जनस्वास्थ्य से समझौता किए बिना उत्सवों और रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करें.

अदालत ने सरकार को इस संबंध में धार्मिक नेताओं के साथ विमर्श करने तथा एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया. साथ ही मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने यह उल्लेख करते हुए कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है, राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु स्थित एक मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल से समझौता किए बिना धार्मिक रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करें.

मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी ने बुधवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की, धार्मिक रीति-रिवाज जनहित तथा जीवन के अधिकार का विषय होने चाहिए.

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जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं
उन्होंने कहा कि धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बड़ा नहीं है. यदि सरकार को महामारी की स्थिति में कदम उठाने हैं तो हम हस्तक्षेप नहीं चाहेंगे. न्यायमूर्ति बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की प्रथम पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तिरुचिरापल्ली जिला स्थित श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में कोविड-19 प्रोटोकॉल और जनस्वास्थ्य से समझौता किए बिना उत्सवों और रस्मों के आयोजन की संभावना तलाश करें.

अदालत ने सरकार को इस संबंध में धार्मिक नेताओं के साथ विमर्श करने तथा एक विस्तृत रिपोर्ट दायर करने का भी निर्देश दिया. साथ ही मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

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