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आईआईटी-खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने किफायती, जल्द चार्ज होने वाली सोडियम-आयन बैटरी विकसित की

आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने सोडियम-आयन-आधारित बैटरी और सुपरकैपेसिटर विकसित करने को लेकर नैनो-सामग्री का इस्तेमाल किया है. इसका इस्तेमाल ई-वाहनों में किया जा सकेगा.

Researchers at IIT-Kharagpur develop economical, fast-charging sodium-ion battery
आईआईटी-खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने किफायती, जल्द चार्ज होने वाली सोडियम-आयन बैटरी विकसित की
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Published : Aug 8, 2022, 7:48 AM IST

कोलकाता: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-खड़गपुर के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अगली पीढ़ी की ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों और ई-वाहनों में उनके उपयोग के लिए सोडियम-आयन-आधारित बैटरी और सुपरकैपेसिटर विकसित करने को लेकर नैनो-सामग्री का इस्तेमाल किया है. सोडियम-आयन (ना-आयन) बैटरियों ने लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक संभावित पूरक तकनीक के रूप में रुचि पैदा की है क्योंकि सोडियम की प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और ना-आयन बैटरी की कम लागत है.

कम लागत वाली ना-आयन आधारित प्रौद्योगिकियां सस्ती होंगी और इससे ई-साइकिल की लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है. आईआईटी-खड़गपुर के एक बयान में कहा गया है कि ‘ऊर्जा भंडारण कार्यक्रम के लिए सामग्री’ और केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी मिशन डिवीजन (टीएमडी) के समर्थन के तहत, टीम ने सोडियम आयरन फॉस्फेट और सोडियम मैंगनीज फॉस्फेट का इस्तेमाल किया, जिसे उन्होंने ना-आयन-आधारित बैटरी और सुपरकैपेसिटर प्राप्त करने के लिए संश्लेषित किया.

आईआईटी-खड़गपुर, भौतिकी विभाग के प्रोफेसर अमरीश चंद्रा के नेतृत्व में टीम ने ना-आयन आधारित ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए गहन शोध किया है. बयान में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने बड़ी संख्या में नैनोमैटेरियल्स विकसित किए हैं जिन्हें तेजी से चार्ज किया जा सकता है और फिर ई-साइकिल के साथ एकीकृत किया जा सकता है.

प्रोफेसर चंद्रा ने कहा, ‘सोडियम-आयन बैटरी और सुपरकैपेसिटर, लिथियम-आयन आधारित ऊर्जा भंडारण उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। सोडियम-आधारित ऑक्साइड और कार्बन के नए नैनोस्ट्रक्चर के संयोजन से उच्च ऊर्जा और शक्ति घनत्व वाले उपकरण बनते हैं.' उन्होंने कहा, ‘इन ऊर्जा भंडारण उपकरणों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और कई अन्य उपकरणों में आसानी से किया जा सकता है और आयातित लिथियम पर हमारी निर्भरता को खत्म कर देगा, जो दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में ही पाया जाता है.'

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र: डिफेंस कंपनी ने बनाया भारत का पहला मानव ड्रोन, जानें खासियत

सोडियम सामग्री लिथियम-आधारित सामग्री की तुलना में सस्ती होती है, उच्च प्रदर्शन करती है और इसे औद्योगिक स्तर के उत्पादन तक बढ़ाया जा सकता है. सोडियम-आयन बैटरी को कैपेसिटर के समान शून्य वोल्ट में भी डिस्चार्ज किया जा सकता है, जिससे यह कई अन्य भंडारण तकनीकों की तुलना में एक सुरक्षित विकल्प है. आईआईटी-खड़गपुर के निदेशक प्रो वी के तिवारी ने कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सोडियम-आयन बैटरी को तेजी से चार्ज किया जा सकता है, डॉ अमरीश चंद्रा ने इसे ई-साइकिल के साथ जोड़ा है जो लोगों के लिए एक आसान, किफायती विकल्प है.'

उन्होंने कहा कि आगे इसके और विकास के साथ, इन वाहनों की कीमत 10,000-15,000 रुपये के दायरे में लाया जा सकता है जो उन्हें लिथियम-आयन भंडारण प्रौद्योगिकियों-आधारित ई-साइकिलों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक किफायती बनाते हैं. सुपरकैपेसिटर पर शोध ‘जर्नल ऑफ पावर सोर्सेज’ में प्रकाशित हुआ था.

कोलकाता: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-खड़गपुर के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अगली पीढ़ी की ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों और ई-वाहनों में उनके उपयोग के लिए सोडियम-आयन-आधारित बैटरी और सुपरकैपेसिटर विकसित करने को लेकर नैनो-सामग्री का इस्तेमाल किया है. सोडियम-आयन (ना-आयन) बैटरियों ने लिथियम-आयन बैटरी के लिए एक संभावित पूरक तकनीक के रूप में रुचि पैदा की है क्योंकि सोडियम की प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्धता और ना-आयन बैटरी की कम लागत है.

कम लागत वाली ना-आयन आधारित प्रौद्योगिकियां सस्ती होंगी और इससे ई-साइकिल की लागत में काफी कमी आने की उम्मीद है. आईआईटी-खड़गपुर के एक बयान में कहा गया है कि ‘ऊर्जा भंडारण कार्यक्रम के लिए सामग्री’ और केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी मिशन डिवीजन (टीएमडी) के समर्थन के तहत, टीम ने सोडियम आयरन फॉस्फेट और सोडियम मैंगनीज फॉस्फेट का इस्तेमाल किया, जिसे उन्होंने ना-आयन-आधारित बैटरी और सुपरकैपेसिटर प्राप्त करने के लिए संश्लेषित किया.

आईआईटी-खड़गपुर, भौतिकी विभाग के प्रोफेसर अमरीश चंद्रा के नेतृत्व में टीम ने ना-आयन आधारित ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए गहन शोध किया है. बयान में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने बड़ी संख्या में नैनोमैटेरियल्स विकसित किए हैं जिन्हें तेजी से चार्ज किया जा सकता है और फिर ई-साइकिल के साथ एकीकृत किया जा सकता है.

प्रोफेसर चंद्रा ने कहा, ‘सोडियम-आयन बैटरी और सुपरकैपेसिटर, लिथियम-आयन आधारित ऊर्जा भंडारण उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। सोडियम-आधारित ऑक्साइड और कार्बन के नए नैनोस्ट्रक्चर के संयोजन से उच्च ऊर्जा और शक्ति घनत्व वाले उपकरण बनते हैं.' उन्होंने कहा, ‘इन ऊर्जा भंडारण उपकरणों का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों और कई अन्य उपकरणों में आसानी से किया जा सकता है और आयातित लिथियम पर हमारी निर्भरता को खत्म कर देगा, जो दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में ही पाया जाता है.'

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सोडियम सामग्री लिथियम-आधारित सामग्री की तुलना में सस्ती होती है, उच्च प्रदर्शन करती है और इसे औद्योगिक स्तर के उत्पादन तक बढ़ाया जा सकता है. सोडियम-आयन बैटरी को कैपेसिटर के समान शून्य वोल्ट में भी डिस्चार्ज किया जा सकता है, जिससे यह कई अन्य भंडारण तकनीकों की तुलना में एक सुरक्षित विकल्प है. आईआईटी-खड़गपुर के निदेशक प्रो वी के तिवारी ने कहा, ‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सोडियम-आयन बैटरी को तेजी से चार्ज किया जा सकता है, डॉ अमरीश चंद्रा ने इसे ई-साइकिल के साथ जोड़ा है जो लोगों के लिए एक आसान, किफायती विकल्प है.'

उन्होंने कहा कि आगे इसके और विकास के साथ, इन वाहनों की कीमत 10,000-15,000 रुपये के दायरे में लाया जा सकता है जो उन्हें लिथियम-आयन भंडारण प्रौद्योगिकियों-आधारित ई-साइकिलों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत अधिक किफायती बनाते हैं. सुपरकैपेसिटर पर शोध ‘जर्नल ऑफ पावर सोर्सेज’ में प्रकाशित हुआ था.

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