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कश्मीरी पंडितों की वापसी, पुनर्वास नीतियां कभी भी ईमानदारी ने नहीं बनाई गईं: पनुन कश्मीर

पनुन कश्मीर ने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए सरकारों की नीतियां कभी भी ईमानदारी से नहीं बनाई गईं.

पनुन कश्मीर
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Published : Aug 9, 2021, 5:01 AM IST

श्रीनगर : कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन पनुन कश्मीर ने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए सरकारों की नीतियां कभी भी ईमानदारी से नहीं बनाई गईं.

घाटी में समुदाय के लिए केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग को दोहराते हुए, पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय चरूंगू ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को कश्मीर के हिंदुओं की वापसी संभव बनाने के लिए उनकी खातिर रोजगार नीति पर गौर करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि कश्मीर के हिंदुओं की वापसी और पुनर्वास के लिए जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने कभी ईमानदारी से ऐसी नीतियां नहीं बनाई, जिनसे उनकी स्थायी वापसी सुनिश्चित हो सके.'

इससे पहले पनुन कश्मीर ने जम्मू कश्मीर में 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कराये जाने का विरोध किया.

पढ़ें - महबूबा ने कश्मीर मुद्दे के हल के लिए स्व-शासन फॉर्मूले की वकालत की

बता दें कि पनुन कश्मीर संगठन की स्थापना 1990 में कश्मीर के कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के बाद की गई थी. इसमें लगभग 7,00,000 शरणार्थी कश्मीरी पंडित शामिल हैं. इस संगठन की मांग है कि कश्मीर के हिन्दुओं के लिये कश्मीर घाटी में एक अलग राज्य का निर्माण किया जाए.

श्रीनगर : कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन पनुन कश्मीर ने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए सरकारों की नीतियां कभी भी ईमानदारी से नहीं बनाई गईं.

घाटी में समुदाय के लिए केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग को दोहराते हुए, पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय चरूंगू ने कहा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को कश्मीर के हिंदुओं की वापसी संभव बनाने के लिए उनकी खातिर रोजगार नीति पर गौर करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि कश्मीर के हिंदुओं की वापसी और पुनर्वास के लिए जम्मू-कश्मीर की सरकारों ने कभी ईमानदारी से ऐसी नीतियां नहीं बनाई, जिनसे उनकी स्थायी वापसी सुनिश्चित हो सके.'

इससे पहले पनुन कश्मीर ने जम्मू कश्मीर में 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कराये जाने का विरोध किया.

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बता दें कि पनुन कश्मीर संगठन की स्थापना 1990 में कश्मीर के कश्मीरी हिंदुओं के पलायन के बाद की गई थी. इसमें लगभग 7,00,000 शरणार्थी कश्मीरी पंडित शामिल हैं. इस संगठन की मांग है कि कश्मीर के हिन्दुओं के लिये कश्मीर घाटी में एक अलग राज्य का निर्माण किया जाए.

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