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यौन उत्पीड़न के आरोप पर नियमित प्राथमिकी दर्ज की गई: दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें 19 वर्षीय एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह नाबालिग थी तो उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Sep 29, 2021, 9:04 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उस मामले में एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें 19 वर्षीय एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह नाबालिग थी तो उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ को सूचित किया कि महिला आयोग के कार्यालय गई थी और वह वित्तीय मदद मांग रही है.

वकील ने पीठ से कहा कि डीसीडब्ल्यू उसे वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है और उसे कुछ दस्तावेज देने के लिए कहा है ताकि आयोग उचित तरीके से आगे बढ़ सके. उच्चतम न्यायालय महिला द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही था जिसमें उसकी शिकायत पर दर्ज मामले को हरियाणा के अंबाला से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.

महिला की ओर से पेश अधिवक्ता अक्षिता गोयल ने पीठ को बताया कि आरोपी बार-बार याचिकाकर्ता को फोन कर रहा है और उसने यह जानने के बावजूद कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, मंगलवार को व्हाट्सएप पर एक संदेश भी भेजा था. पीठ ने पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा कृपया इस शिकायत पर गौर करें. पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि वे याचिकाकर्ता को समुचित सुरक्षा उपाय प्रदान करेंगे जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मामले में नियमित प्राथमिकी दर्ज की है.

जब गोयल ने कहा कि आरोपी ने महिला से संपर्क किया है तो पीठ ने कहा एक बार जब पुलिस तंत्र हरकत में आ जाएगा तो सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.' पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वे इस संबंध में संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) से संपर्क कर सकते हैं. पीठ ने कहा आपकी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं का समाधान हम यहां नहीं कर सकते. इससे एसीपी और आयोग (डीसीडब्ल्यू) द्वारा जमीनी स्तर पर निपटा जाना है. वे इसे कर रहे हैं. अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो हमारे पास आएं, फिर हम उन अधिकारियों को कानून के मुताबिक निर्देश जारी करेंगे.

इसे भी पढ़ें-साइको किलर रेड्डी की मौत की सजा बरकरार, रेप पीड़िता की लाश से चुराता था पेंटी

डीसीडब्ल्यू ने मंगलवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह समग्र पुनर्वास सुनिश्चित करेगी और महिला को कानूनी सहायता प्रदान करेगी. महिला ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से दाखिल अपनी याचिका में दावा किया है. जब वह नाबालिग थी तब उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था और 2016 में उसकी मां का निधन हो जाने के कारण परिवार में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है.

शुरुआत में महिला की शिकायत पर जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी और अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को देखते हुए इसे अंबाला स्थानांतरित कर दिया गया था. जीरो एफआईआर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है और फिर इसे संबंधित पुलिस थाने को भेज दिया जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उस मामले में एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें 19 वर्षीय एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह नाबालिग थी तो उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था. दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ को सूचित किया कि महिला आयोग के कार्यालय गई थी और वह वित्तीय मदद मांग रही है.

वकील ने पीठ से कहा कि डीसीडब्ल्यू उसे वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है और उसे कुछ दस्तावेज देने के लिए कहा है ताकि आयोग उचित तरीके से आगे बढ़ सके. उच्चतम न्यायालय महिला द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही था जिसमें उसकी शिकायत पर दर्ज मामले को हरियाणा के अंबाला से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है.

महिला की ओर से पेश अधिवक्ता अक्षिता गोयल ने पीठ को बताया कि आरोपी बार-बार याचिकाकर्ता को फोन कर रहा है और उसने यह जानने के बावजूद कि एक प्राथमिकी दर्ज की गई है और मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, मंगलवार को व्हाट्सएप पर एक संदेश भी भेजा था. पीठ ने पुलिस की ओर से पेश वकील से कहा कृपया इस शिकायत पर गौर करें. पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि वे याचिकाकर्ता को समुचित सुरक्षा उपाय प्रदान करेंगे जो उनके अधिकार क्षेत्र में आते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मामले में नियमित प्राथमिकी दर्ज की है.

जब गोयल ने कहा कि आरोपी ने महिला से संपर्क किया है तो पीठ ने कहा एक बार जब पुलिस तंत्र हरकत में आ जाएगा तो सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे.' पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वे इस संबंध में संबंधित सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) से संपर्क कर सकते हैं. पीठ ने कहा आपकी दिन-प्रतिदिन की समस्याओं का समाधान हम यहां नहीं कर सकते. इससे एसीपी और आयोग (डीसीडब्ल्यू) द्वारा जमीनी स्तर पर निपटा जाना है. वे इसे कर रहे हैं. अगर वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो हमारे पास आएं, फिर हम उन अधिकारियों को कानून के मुताबिक निर्देश जारी करेंगे.

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डीसीडब्ल्यू ने मंगलवार को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह समग्र पुनर्वास सुनिश्चित करेगी और महिला को कानूनी सहायता प्रदान करेगी. महिला ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से दाखिल अपनी याचिका में दावा किया है. जब वह नाबालिग थी तब उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था और 2016 में उसकी मां का निधन हो जाने के कारण परिवार में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है.

शुरुआत में महिला की शिकायत पर जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी और अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को देखते हुए इसे अंबाला स्थानांतरित कर दिया गया था. जीरो एफआईआर किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है और फिर इसे संबंधित पुलिस थाने को भेज दिया जाता है.

(पीटीआई-भाषा)

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