जालंधर : विश्व में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बनी रेड क्रॉस सोसाइटी (रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति) ने माना है कि युद्ध के दौरान सबसे पहले मानवीय सेवा करने वाले भाई घनैयाजी थे. भाई घनैया जी फाउंडेशन के संरक्षक बहादुर सिंह सुनीत का कहना है कि जब भी युद्धों के दौरान मानवता की सेवा की बात होती थी, तो सबसे पहले रेड क्रॉस सोसाइटी का जिक्र होता था. उन्होंने आगे कहा कि वह चाहते थे कि रेड क्रॉस सोसाइटी को इसके बारे में जागरूक किया जाए. यद्यपि युद्ध के दौरान मानवता की सेवा प्रथम विश्व युद्ध में सोसायटी द्वारा शुरू की गई थी. लेकिन वास्तव में यह काम भाई घनहैया जी द्वारा किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि उन्होंने इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी और इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी को कई पत्र लिखे.
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इतना ही नहीं इस बारे में सरकारों से संपर्क भी किया गया. जिसके बाद इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ने भाई घनैया की सेवा के बारे में इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी को पत्र लिखा. उनके अनुसार, उनकी कई वर्षों की मेहनत के बाद, पहली बार अंतरराष्ट्रीय सोसाइटी ने भाई घनहैया की सेवाओं को देखते हुए हाल ही में उनकी पूरी जीवनी अपनी वेबसाइट पर डाली. इतना ही नहीं रेड क्रॉस सोसायटी ने यह भी स्वीकार किया है कि रेड क्रॉस सोसायटी युद्ध के दौरान मानवता की सेवा करने वाली दुनिया की पहली ऐसी सोसायटी नहीं है, बल्कि इस तरह का पहला काम भाई घनैया जी ने किया है.
अब भाई घनैया जी फाउंडेशन सरकार से मांग कर रहा है कि भाई घनैया जी द्वारा मानवता के लिए की गई सेवाओं के बारे में स्कूलों में पढ़ाया भी जा रहा है. इतना ही नहीं, वे यह भी मांग करते हैं कि 20 सितंबर को भाई घनैया जी के सेवा दिवस के रूप में एक अंतर्राष्ट्रीय शांति संग्रहालय बनाया जाए, ताकि पूरी दुनिया भाई घनैया जी के बारे में बताया जा सके. भाई घनैया जी, जो गुरु गोबिंद सिंह जी के अत्यंत धर्मपरायण सिख भक्त थे. एक नरम दिल के व्यक्ति थे और उन सभी से प्यार करते थे जो हमेशा गुरुजी के दरबार में काम करने में व्यस्त रहते थे.
जब भी दुश्मन सेना ने सिखों पर हमला किया और सिखों के साथ लड़ाई हुई, भाई घनैयाजी अपने साथियों के साथ घायल सैनिकों को पीने के लिए पानी और उनके लिए इलाज की व्यवस्था करते थे. आज से लगभग 310 वर्ष पहले श्री आनंदपुर साहिब में गुरु गोबिंद सिंह जी की सेना और मुगलों के बीच युद्ध के दौरान, सैनिकों ने गुरु जी से कहा कि उनका एक अनुयायी घायल सैनिकों को पानी दे रहा था. वह न केवल अपने सैनिकों को बल्कि दुश्मन सेना के सैनिकों को भी पानी देकर फिर से लड़ने के लिए तैयार कर रहा था.
तब गुरु जी ने भाई घनैया जी को बुलाया और इस बारे में सवाल किया कि आप दुश्मन सैनिकों को पानी देकर फिर से लड़ने के लिए क्यों तैयार कर रहे हैं. उस समय भाई घनैयाजी ने उत्तर दिया, गुरूजी, मैं आपके द्वारा सिखाई गई मानवता की सेवा कर रहा हूं और केवल लोगों को पानी दे रहा हूं, जिसके कारण मैं खुद को और दुश्मन को अलग नहीं देखता. यह सुनकर गुरु जी ने भाई घनैया जी को गले से लगा लिया और अपना काम जारी रखने को कहा. उस समय भाई घनैयाजी दुनिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल अपनी सेना बल्कि दुश्मन सेना के जवानों को भी पानी देकर मानवता की सेवा की.
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