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शिवसेना के बागी नेता 'सड़े पत्तों' की तरह, जिन्हें गिर ही जाना चाहिए : उद्धव

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के 'सड़े हुए पत्तों' से की. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद पता चल जाएगा कि लोग किसका समर्थन करते हैं.

Uddhav Thackeray on rebel Shiv Sena mla
Uddhav Thackeray on rebel Shiv Sena mla
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Published : Jul 26, 2022, 11:42 AM IST

Updated : Jul 26, 2022, 1:00 PM IST

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के 'सड़े हुए पत्तों' से की. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद पता चल जाएगा कि लोग किसका समर्थन करते हैं. मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साथ पहले साक्षात्कार में उद्धव ने कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं पर अत्यधिक भरोसा करना उनकी गलती थी. महाराष्ट्र में उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के कारण गिर गई थी. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस एमवीए के घटक दल हैं.

पढ़ें: शिवसेना और उसके चुनाव चिह्न पर शिंदे गुट के दावे के खिलाफ SC पहुंचा उद्धव धड़ा

शिंदे ने बाद में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. उद्धव ने कहा कि ये विद्रोही पेड़ के सड़े हुए पत्तों की तरह हैं और इन्हें गिर ही जाना चाहिए. यह पेड़ के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसी के बाद नए पत्ते उगते हैं. बागी नेताओं का दावा है कि वे असली शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बारे में उद्धव ने कहा कि चुनाव होने दीजिए और फिर देखते हैं कि लोग किसे चुनते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग या तो हमारे पक्ष में मतदान करेंगे या फिर उन्हें वोट देंगे. यह हमेशा के लिए स्पष्ट हो जाएगा.

पढ़ें: चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा उद्धव ठाकरे गुट

यह पूछे जाने पर कि बगावत के लिए किसे दोष दिया जा सकता है, उद्धव ने कहा कि ऐसा लगता है कि मैंने शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं पर बहुत अधिक विश्वास कर लिया. इतने लंबे समय तक उन पर भरोसा करना मेरी गलती है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस प्रकार सरदार पटेल की विरासत को कांग्रेस से पृथक करने की कोशिश की, उसी तरह वह शिवसेना की स्थापना करने वाले मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे और पार्टी का नाता तोड़ने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें: निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिह्न को लेकर शिवसेना के दोनों गुटों से आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने को कहा

उद्धव ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये लोग भरोसेमंद नहीं हैं. ये शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच मूल रूप से अंदरूनी कलह पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी गठबंधन राजनीति में एक अच्छी पहल थी. उद्धव ने कहा कि अगर यह गठबंधन लोगों को गलत लगता तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाते. महा विकास आघाड़ी सरकार में हमारे मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान था.

मुंबई: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को पार्टी के बागी नेताओं की तुलना पेड़ के 'सड़े हुए पत्तों' से की. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद पता चल जाएगा कि लोग किसका समर्थन करते हैं. मुख्यमंत्री पद से पिछले महीने इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के साथ पहले साक्षात्कार में उद्धव ने कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं पर अत्यधिक भरोसा करना उनकी गलती थी. महाराष्ट्र में उद्धव के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों के शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह करने के कारण गिर गई थी. शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस एमवीए के घटक दल हैं.

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शिंदे ने बाद में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. उद्धव ने कहा कि ये विद्रोही पेड़ के सड़े हुए पत्तों की तरह हैं और इन्हें गिर ही जाना चाहिए. यह पेड़ के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसी के बाद नए पत्ते उगते हैं. बागी नेताओं का दावा है कि वे असली शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस बारे में उद्धव ने कहा कि चुनाव होने दीजिए और फिर देखते हैं कि लोग किसे चुनते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग या तो हमारे पक्ष में मतदान करेंगे या फिर उन्हें वोट देंगे. यह हमेशा के लिए स्पष्ट हो जाएगा.

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यह पूछे जाने पर कि बगावत के लिए किसे दोष दिया जा सकता है, उद्धव ने कहा कि ऐसा लगता है कि मैंने शिवसेना के कुछ कार्यकर्ताओं और नेताओं पर बहुत अधिक विश्वास कर लिया. इतने लंबे समय तक उन पर भरोसा करना मेरी गलती है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जिस प्रकार सरदार पटेल की विरासत को कांग्रेस से पृथक करने की कोशिश की, उसी तरह वह शिवसेना की स्थापना करने वाले मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे और पार्टी का नाता तोड़ने का प्रयास कर रही है.

पढ़ें: निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिह्न को लेकर शिवसेना के दोनों गुटों से आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने को कहा

उद्धव ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये लोग भरोसेमंद नहीं हैं. ये शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच मूल रूप से अंदरूनी कलह पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महा विकास आघाड़ी गठबंधन राजनीति में एक अच्छी पहल थी. उद्धव ने कहा कि अगर यह गठबंधन लोगों को गलत लगता तो वे इसके खिलाफ आवाज उठाते. महा विकास आघाड़ी सरकार में हमारे मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान था.

Last Updated : Jul 26, 2022, 1:00 PM IST
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