नई दिल्ली : रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने हिंदू ग्रोथ रेट (Hindu rate of growth) को लेकर चिंता जताई है. राजन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि निजी क्षेत्र के निवेश, उच्च ब्याज दरों और धीमी वैश्विक वृद्धि को देखते हुए भारत विकास की हिंदू दर के 'खतरनाक रूप से करीब' है.
राजन ने कहा कि पिछले महीने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी राष्ट्रीय आय के नवीनतम अनुमान से पता चलता है कि तिमाही वृद्धि में क्रमिक मंदी चिंताजनक है.
पहली बार 1978 में हुआ था जिक्र : दरअसल हिंदू विकास दर का सबसे पहले जिक्र 1978 में हुआ था. भारतीय अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने धीमी वृद्धि का वर्णन करने के लिए इस शब्द को चुना था. हिंदू ग्रोथ रेट का मतलब ग्रोथ रेट के लो लेवल से है. विकास की हिंदू दर 1950 से 1980 के दशक तक कम भारतीय आर्थिक विकास दर का वर्णन करने वाला एक शब्द है, जिसका औसत लगभग 4% था.
आजादी के समय कमजोर थी आर्थिक स्थिति : 1947 में जब देश आजाद हुआ तो भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. तब देश की आय का मुख्य जरिया खेती थी, यानी देश मुख्य रूप से कृषि पर ही आधारित था. ढांचागत सुविधाएं नहीं थीं. यही वजह थी कि दशकों तक देश की विकास दर काफी धीमी रही. देश की इसी धीमी गति को हिंदू ग्रोथ रेट का नाम दिया गया.
जीडीपी घटकर 4.4 पहुंची : चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 6.3% और पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 13.2% से घटकर 4.4% हो गया है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर 5.2% थी.
एक विशेष इंटरव्यू में राजन ने कहा कि 'बेशक, आशावादी पिछले जीडीपी नंबरों में ऊपर की ओर संशोधन की ओर इशारा करेंगे, लेकिन मैं क्रमिक मंदी को लेकर चिंतित हूं. प्राइवेट सेक्टर के निवेश करने में रुचि नहीं लेने के साथ, आरबीआई अभी भी दरों में वृद्धि कर रहा है, वैश्विक विकास, साल के अंत में धीमा होने की संभावना है, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि हम अतिरिक्त विकास गति पा सकेंगे.'
हाल ही में, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने पिछले वर्षों के लिए राष्ट्रीय आय के अनुमानों के ऊपर की ओर संशोधन के लिए धीमी तिमाही वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया था. मुख्य सवाल यह है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय विकास क्या होगा.
राजन ने कहा, 'मुझे चिंता है कि अगर हम 5% की वृद्धि दर हासिल करते हैं तो हम भाग्यशाली होंगे. नवीनतम अक्टूबर-दिसंबर भारतीय जीडीपी 4.4% पर है.
राजन ने कहा कि 'मेरा डर गलत नहीं था. आरबीआई ने इस वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के लिए और भी कम 4.2% का अनुमान लगाया है. इस बिंदु पर महामारी के दौरान करीब 3 साल पहले इसी तरह की पूर्व-महामारी तिमाही के सापेक्ष अक्टूबर-दिसंबर तिमाही की औसत वार्षिक वृद्धि 3.7% है. जो पुरानी हिंदू दर के खतरनाक रूप से करीब है! हमें बेहतर करना चाहिए. राजन ने कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश पर अपना काम कर रही है, लेकिन इसके निर्माण पर जोर देने से अभी तक लाभ नहीं मिला है.
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के बारे में राजन ने कहा कि कोई भी योजना जिसमें सरकार पैसे डालती है, रोजगार पैदा करेगी और कोई भी योजना जो भारत में उत्पादित अंतिम इकाइयों के लिए बोनस की पेशकश करते हुए उत्पादन पर शुल्क बढ़ाती है, भारत में उत्पादन और निर्यात पैदा करेगी.