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उत्तराखंड : 50 साल बाद दिखा विलुप्त हो चुका ये सांप, कॉर्बेट प्रशासन मान रहा 'शुभ'

50 साल पहले विलुप्त हो चुका एग ईटर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज में देखा गया है. सांप को नेचुरल हैबिटेट में छोड़ दिया गया है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन की तरफ से इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है.

एग ईटर
एग ईटर
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Published : Jun 8, 2021, 6:56 PM IST

रामनगर : वन्य जीव प्रेमियों के लिए किसी दुर्लभ प्रजाति का दर्शन होना किसी उत्सव से कम नहीं होता है. यदि दुर्लभ प्रजाति 50 साल बाद देखी जाए तो फिर क्या कहना? सांपों की ऐसी ही एक दुर्लभ प्रजाति एग ईटर सांप कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में देखा गया है. कॉर्बेट प्रशासन इसको कॉर्बेट पार्क की जैव विविधता के तहत शुभ मान रहा है.

50 साल बाद देखी गई है सांपों की यह दुर्लभ प्रजाति

सांपों की इस दुर्लभ प्रजाति के बारे में वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिमवाल कहते हैं कि यह इंडियन एग ईटर सांप है. यह केवल चिड़ियों या अन्य चीजों के अंडे खाकर ही जिंदा रहता है, इसलिए इसका नाम एग ईटर रखा गया है. यह अन्य सांपों से बिल्कुल भिन्न होता है. उन्होंने कहा कि यह सांप कई दशक पहले विलुप्त घोषित किया गया था. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में ही 50 वर्ष पहले यह सांप देखा गया था.

50 साल बाद दिखा विलुप्त घोषित सांप.

ये सांप पहले पंजाब, तेलंगाना, मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में देखा गया था. इसके बारे में बहुत कम रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा कि इसको भारतीय एग ईटर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह सांप केवल अंडे ही खाता है. इसकी लंबाई लगभग आधा मीटर तक होती है.

अंडे का केवल भीतरी हिस्सा खाता है ये सांप

इस सांप की एक खासियत है, ये अंडे का केवल भीतरी हिस्सा खाता है. एग ईटर अंडे के अंदर का हिस्सा मुंह के अंदर निगल जाता है और उसका छिलका मुंह से बाहर फेंक देता है. उन्होंने कहा कि इसका देखा जाना कॉर्बेट प्रशासन के लिए एक अच्छा संकेत है.


टाइगर रिजर्व के निदेशक ने दी जानकारी

वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि एग ईटर का रेस्क्यू किया गया था. सांप को उसके नेचुरल हैबिटेट में छोड़ दिया गया है. राहुल कुमार ने बताया कि कॉर्बेट पार्क प्रशासन लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है. पता लगाया जा रहा है कि सांप कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में और कहां-कहां हैं.

पढ़ेंः केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा : घर-घर जाकर बुजुर्गों व दिव्यांगों का टीकाकरण करना संभव नहीं

रामनगर : वन्य जीव प्रेमियों के लिए किसी दुर्लभ प्रजाति का दर्शन होना किसी उत्सव से कम नहीं होता है. यदि दुर्लभ प्रजाति 50 साल बाद देखी जाए तो फिर क्या कहना? सांपों की ऐसी ही एक दुर्लभ प्रजाति एग ईटर सांप कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की कालागढ़ रेंज में देखा गया है. कॉर्बेट प्रशासन इसको कॉर्बेट पार्क की जैव विविधता के तहत शुभ मान रहा है.

50 साल बाद देखी गई है सांपों की यह दुर्लभ प्रजाति

सांपों की इस दुर्लभ प्रजाति के बारे में वन्यजीव विशेषज्ञ संजय छिमवाल कहते हैं कि यह इंडियन एग ईटर सांप है. यह केवल चिड़ियों या अन्य चीजों के अंडे खाकर ही जिंदा रहता है, इसलिए इसका नाम एग ईटर रखा गया है. यह अन्य सांपों से बिल्कुल भिन्न होता है. उन्होंने कहा कि यह सांप कई दशक पहले विलुप्त घोषित किया गया था. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में ही 50 वर्ष पहले यह सांप देखा गया था.

50 साल बाद दिखा विलुप्त घोषित सांप.

ये सांप पहले पंजाब, तेलंगाना, मध्य प्रदेश के क्षेत्रों में देखा गया था. इसके बारे में बहुत कम रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा कि इसको भारतीय एग ईटर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह सांप केवल अंडे ही खाता है. इसकी लंबाई लगभग आधा मीटर तक होती है.

अंडे का केवल भीतरी हिस्सा खाता है ये सांप

इस सांप की एक खासियत है, ये अंडे का केवल भीतरी हिस्सा खाता है. एग ईटर अंडे के अंदर का हिस्सा मुंह के अंदर निगल जाता है और उसका छिलका मुंह से बाहर फेंक देता है. उन्होंने कहा कि इसका देखा जाना कॉर्बेट प्रशासन के लिए एक अच्छा संकेत है.


टाइगर रिजर्व के निदेशक ने दी जानकारी

वहीं कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि एग ईटर का रेस्क्यू किया गया था. सांप को उसके नेचुरल हैबिटेट में छोड़ दिया गया है. राहुल कुमार ने बताया कि कॉर्बेट पार्क प्रशासन लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है. पता लगाया जा रहा है कि सांप कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में और कहां-कहां हैं.

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