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parliament day five : NEET से जुड़े मुद्दे पर विपक्ष का वॉकआउट, तमिलनाडु के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग - अश्विनी वैष्णव ने राज्य सभा में बुल्ली बाई एप

केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्य सभा में बुल्ली बाई एप से जुड़े एक सवाल पर (Bulli Bai app Ashwini Vaishnaw reply) कहा कि साइबर स्पेस सहित हर जगह महिलाओं को सुरक्षित बनाया जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है. इससे पहले तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET मेडिकल परीक्षा से राज्य को छूट देने वाले विधेयक को वापस करने पर नारेबाजी के बाद कांग्रेस, DMK और TMC ने राज्य सभा से वॉकआउट किया.

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राज्य सभा की कार्यवाही
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Published : Feb 4, 2022, 10:09 AM IST

Updated : Feb 4, 2022, 7:43 PM IST

नई दिल्ली : राज्य सभा की कार्यवाही जारी है. तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET मेडिकल परीक्षा से राज्य को छूट देने वाले विधेयक को वापस करने पर नारेबाजी के बाद कांग्रेस, DMK और TMC ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. इसके अलावा एक सवाल के जवाब में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (IT minister Ashwini Vaishnaw) ने कहा कि साइबर स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है.

शुक्रवार को राज्यसभा में बुल्ली बाई एप पर बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (question on Bulli Bai app in Rajya Sabha) के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है. महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. साइबरस्पेस सहित हर जगह महिलाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण है.

बता दें कि सुशील मोदी ने बुल्ली बाई एप सहित विभिन्न वेबसाइटों के जरिए सोशल मीडिया पर महिलाओं की नीलामी के संबंध में सवाल पूछा था. वैष्णव ने बताया कि जब भी सरकार साइबर स्पेस के लिए मजबूत कानून लाने की बात करती है और सोशल मीडिया दिशानिर्देशों को मजबूत करने की बात करती है तो उसे विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया (backlash) का सामना करना पड़ता है. उन्होंने विपक्ष के विरोध को अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता में बाधा डालने का प्रयास करार दिया.

बुल्ली बाई एप पर आईटी मंत्री वैष्णव का जवाब

सुशील मोदी के सवाल के अलावा शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बुल्ली बाई एप के संबंध में आईटी मंत्री को पत्र लिखे हैं. उन्होंने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की नीलामी का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद मुंबई और दिल्ली दोनों जगहों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. बता दें कि बुल्ली बाई एप को जीथब ओपन प्लेटफॉर्म में डाला गया था, जिसने मुस्लिम महिलाओं को उनकी तस्वीरें लगाकर नीलाम किया था.

सदन में शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाया कश्मीरी पंडितों का मुद्दा
बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को, कश्मीरी पंडितों का मामला उठाते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडित पिछले 32 सालों से संघर्ष कर रहे हैं और दो दशकों से अपना घर छोड़कर रह रहे हैं. मोदी सरकार ने 2015 में इनके लिए 6 हजार पारगमन आवास, बनाने की घोषणा की थी लेकिन वो काम भी बहुत धीरे चल रहा है.

बजट सत्र से जुड़ी अन्य खबरें-

DMK और TMC ने राज्यसभा से किया वॉकआउट
तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET मेडिकल परीक्षा से राज्य को छूट देने वाले विधेयक को वापस करने पर नारेबाजी के बाद कांग्रेस, DMK और TMC ने राज्य सभा से वॉकआउट किया. बजट सत्र के पांचवें दिन राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू किया, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य तिरुचि शिवा ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. नायडू ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में सदस्यों की ओर से जो भी नोटिस दिए गए हैं, उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया है. विपक्ष के कुछ सदस्यों ने नियम 267 के तहत इस मामले को उठाने के लिए नोटिस दिया था.

तमिलनाडु के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग
इस बीच, द्रमुक के सदस्यों ने नारेबाजी आरंभ कर दी. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर द्रमुक का साथ दिया. सभापति नायडू ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा कि वह शून्यकाल चलने दें और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वह इस मुद्दे को उठा सकते हैं. हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी और अपनी मांग पर अड़े रहे. कुछ विपक्षी सदस्य सभापति के आसन के निकट भी पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे. इस बीच, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी सीट पर खड़े हो गए और उन्होंने भी इस मुद्दे को उठाना चाहा लेकिन सभापति ने उन्हें भी अनुमति नहीं दी. नारेबाजी कर रहे सदस्य राज्यपाल को वापस बुलाए जाने की मांग करते सुने गए. शोर-शराबे के बीच ही कई सदस्यों ने शून्य काल के तहत अपने मुद्दे उठाए.

बाद में सभापति नायडू ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सदन की कार्यवाही बगैर किसी व्यवधान के और सुचारू रूप से चल रही थी और लोग इसे देखकर प्रसन्न थे. उन्होंने कहा कि आज 30 मिनट के भीतर शून्य काल के तहत 14 सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाए और यदि बाकी के सदस्यों ने साथ दिया होता तो शेष अन्य तीन मुद्दों को लिया जा सकता था.

क्या है तमिलनाडु का मामला
गौरतलब है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य को राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) से छूट देने के प्रावधान वाला विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है. राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने विधेयक और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु को लौटा दी है. उन्होंने तर्क दिया है कि यह विधेयक ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ है.

इससे पहले बजट सत्र के चौथे दिन उच्च सदन में गुरुवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, गरीबों और अमीरों के बीच बढ़ती खाई और पेगासस स्पाइवेयर के मुद्दों पर सरकार को घेरा तथा दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में सामाजिक समरसता को बाधित किया गया और धर्मांधता के नाम पर समाज में कटुता फैलायी गयी.

यह भी पढ़ें- budget session day four : राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा

वहीं सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए दावा किया कि वर्तमान सरकार के शासन में तुष्टिकरण की सियासत और करप्शन (भ्रष्टाचार) की विरासत पर रोक लग गयी है. उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि मोदी सरकार की नीति एक ऐसे संगठन से प्रभावित है, जिसका लोकतांत्रिक मूल्यों व संविधान में विश्वास नहीं है और जिसने तिरंगा व संविधान का विरोध किया था। उन्होंने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि उस संगठन का प्रयास एक वर्ग को राष्ट्रविरोधी बताना तथा देश में वैमनस्य को बढ़ावा देना है.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : राज्य सभा की कार्यवाही जारी है. तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET मेडिकल परीक्षा से राज्य को छूट देने वाले विधेयक को वापस करने पर नारेबाजी के बाद कांग्रेस, DMK और TMC ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. इसके अलावा एक सवाल के जवाब में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (IT minister Ashwini Vaishnaw) ने कहा कि साइबर स्पेस में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है.

शुक्रवार को राज्यसभा में बुल्ली बाई एप पर बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (question on Bulli Bai app in Rajya Sabha) के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, सोशल मीडिया को जवाबदेह बनाना महत्वपूर्ण है. महिलाओं को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. साइबरस्पेस सहित हर जगह महिलाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण है.

बता दें कि सुशील मोदी ने बुल्ली बाई एप सहित विभिन्न वेबसाइटों के जरिए सोशल मीडिया पर महिलाओं की नीलामी के संबंध में सवाल पूछा था. वैष्णव ने बताया कि जब भी सरकार साइबर स्पेस के लिए मजबूत कानून लाने की बात करती है और सोशल मीडिया दिशानिर्देशों को मजबूत करने की बात करती है तो उसे विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया (backlash) का सामना करना पड़ता है. उन्होंने विपक्ष के विरोध को अभिव्यक्ति और भाषण की स्वतंत्रता में बाधा डालने का प्रयास करार दिया.

बुल्ली बाई एप पर आईटी मंत्री वैष्णव का जवाब

सुशील मोदी के सवाल के अलावा शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बुल्ली बाई एप के संबंध में आईटी मंत्री को पत्र लिखे हैं. उन्होंने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं की नीलामी का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद मुंबई और दिल्ली दोनों जगहों पर पुलिस ने कार्रवाई की थी. बता दें कि बुल्ली बाई एप को जीथब ओपन प्लेटफॉर्म में डाला गया था, जिसने मुस्लिम महिलाओं को उनकी तस्वीरें लगाकर नीलाम किया था.

सदन में शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाया कश्मीरी पंडितों का मुद्दा
बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को, कश्मीरी पंडितों का मामला उठाते हुए शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि कश्मीरी पंडित पिछले 32 सालों से संघर्ष कर रहे हैं और दो दशकों से अपना घर छोड़कर रह रहे हैं. मोदी सरकार ने 2015 में इनके लिए 6 हजार पारगमन आवास, बनाने की घोषणा की थी लेकिन वो काम भी बहुत धीरे चल रहा है.

बजट सत्र से जुड़ी अन्य खबरें-

DMK और TMC ने राज्यसभा से किया वॉकआउट
तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET मेडिकल परीक्षा से राज्य को छूट देने वाले विधेयक को वापस करने पर नारेबाजी के बाद कांग्रेस, DMK और TMC ने राज्य सभा से वॉकआउट किया. बजट सत्र के पांचवें दिन राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू किया, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य तिरुचि शिवा ने यह मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी. नायडू ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में सदस्यों की ओर से जो भी नोटिस दिए गए हैं, उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया है. विपक्ष के कुछ सदस्यों ने नियम 267 के तहत इस मामले को उठाने के लिए नोटिस दिया था.

तमिलनाडु के राज्यपाल को वापस बुलाने की मांग
इस बीच, द्रमुक के सदस्यों ने नारेबाजी आरंभ कर दी. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर द्रमुक का साथ दिया. सभापति नायडू ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से कहा कि वह शून्यकाल चलने दें और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वह इस मुद्दे को उठा सकते हैं. हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी जारी रखी और अपनी मांग पर अड़े रहे. कुछ विपक्षी सदस्य सभापति के आसन के निकट भी पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे. इस बीच, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी सीट पर खड़े हो गए और उन्होंने भी इस मुद्दे को उठाना चाहा लेकिन सभापति ने उन्हें भी अनुमति नहीं दी. नारेबाजी कर रहे सदस्य राज्यपाल को वापस बुलाए जाने की मांग करते सुने गए. शोर-शराबे के बीच ही कई सदस्यों ने शून्य काल के तहत अपने मुद्दे उठाए.

बाद में सभापति नायडू ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सदन की कार्यवाही बगैर किसी व्यवधान के और सुचारू रूप से चल रही थी और लोग इसे देखकर प्रसन्न थे. उन्होंने कहा कि आज 30 मिनट के भीतर शून्य काल के तहत 14 सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाए और यदि बाकी के सदस्यों ने साथ दिया होता तो शेष अन्य तीन मुद्दों को लिया जा सकता था.

क्या है तमिलनाडु का मामला
गौरतलब है कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य को राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा (नीट) से छूट देने के प्रावधान वाला विधेयक राज्य सरकार को लौटा दिया है. राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने विधेयक और इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु को लौटा दी है. उन्होंने तर्क दिया है कि यह विधेयक ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के हितों के खिलाफ है.

इससे पहले बजट सत्र के चौथे दिन उच्च सदन में गुरुवार को कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, गरीबों और अमीरों के बीच बढ़ती खाई और पेगासस स्पाइवेयर के मुद्दों पर सरकार को घेरा तथा दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में सामाजिक समरसता को बाधित किया गया और धर्मांधता के नाम पर समाज में कटुता फैलायी गयी.

यह भी पढ़ें- budget session day four : राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा

वहीं सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए दावा किया कि वर्तमान सरकार के शासन में तुष्टिकरण की सियासत और करप्शन (भ्रष्टाचार) की विरासत पर रोक लग गयी है. उच्च सदन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि मोदी सरकार की नीति एक ऐसे संगठन से प्रभावित है, जिसका लोकतांत्रिक मूल्यों व संविधान में विश्वास नहीं है और जिसने तिरंगा व संविधान का विरोध किया था। उन्होंने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि उस संगठन का प्रयास एक वर्ग को राष्ट्रविरोधी बताना तथा देश में वैमनस्य को बढ़ावा देना है.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Feb 4, 2022, 7:43 PM IST
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