जयपुर. राजस्थान शनिवार को गैंगवार के बीच गोलियों की तड़तड़ाहट से दहल गया. सीकर बॉस के नाम से कुख्यात गैंगस्टर राजू ठेहट (Raju theth murder case) की गोली मारकर हत्या कर दी. बदमाशों ने वारदात के दौरान (person killed making video of Raju theth murder) वीडियो बनाने वाले एक अन्य व्यक्ति की भी गोली मारकर हत्या कर दी. बदमाशों ने उसे वीडियो बनाते हुए देख लिया था.
इसके बाद बदमाशों ने वीडियो बनाने वाले व्यक्ति का पीछा किया और गोली मारकर उसकी भी हत्या कर दी. इसके बाद बदमाश मृतक की ऑल्टो कार लूटकर उसी से फरार हो गए. मृतक ताराचंद कड़वासर नागौर का रहने वाला है. इसका किसी भी गैंग से कोई संबंध होना नहीं पाया गया है. मृतक की कार के नंबरों के आधार पर सीकर, चूरू, झुंझुनू व आसपास के जिलों में ए-श्रेणी की नाकाबंदी की गई है.
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मृतक ताराचंद कड़वासरा डेगाना क्षेत्र के दोतिना गांव का रहने वाला था. वह कोचिंग में पढ़ रही अपनी बेटी से मिलने के लिए सीकर आया था. इसी दौरान उसके सामने यह पूरा घटनाक्रम हुआ, जिसे वह अपने मोबाइल में रिकॉर्ड करने लगा. ताराचंद अपनी बेटी की कोचिंग से कुछ ही दूरी पर खड़ी खुद की कार के पीछे जाकर छुप गए थे. तभी बदमाशों ने उसे वीडियो बनाते देख लिया था और फिर उन्हें गोली मार दी फिर उनकी ही कार लूट कर फरार हो गए. मृतक की बेटी अपने पिता के शव के पास बैठकर काफी देर तक बिलखती रही.
पिता के शव के पास बिलखती रही बेटी, तमाशबीन बनाते रहे वीडियो
बदमाशों ने ताराचंद कड़वासर को गोली मारने के बाद उनकी कार लूट ली और मौके से फरार हो गए. ताराचंद की बेटी अपने पिता के शव के पास आकर बैठ गई और बिलखती रही. वह बार-बार अपने पिता को पुकार कर उन्हें आंखें खोलने के लिए कहती रही. उसने आसपास खड़े हुए लोगों से मदद भी मांगी लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. तमाशबीन वहां पर खड़े होकर मोबाइल से वीडियो बनाते रहे. बाद में जब पुलिस वारदात स्थल पर पहुंची तो महिला पुलिसकर्मियों ने ही स्थानीय महिलाओं के साथ मिलकर बेटी को संभाला और उसके पिता के शव को मुर्दाघर के लिए भेजा.
पंजाब या हरियाणा के शूटर होने की आशंकाः डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि इस पूरी गैंगवार को अंजाम देने वाले शूटर पंजाब या हरियाणा के हो सकते हैं. गैंगस्टर राजू ठेहट की आनंदपाल और बानूड़ा गैंग से काफी पुरानी रंजीश चली आ रही थी. जिस तरह से राजू ठेहट ने बीकानेर में बलवीर बानूड़ा की हत्या करवाई थी और इसके साथ ही आनंदपाल के भी कई साथियों को मरवाया था. उसके बाद से ही राजू ठेहट आनंदपाल और बानूड़ा गैंग के निशाने पर था.
वर्तमान में आनंदपाल और बानूड़ा गैंग लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हालांकि बानूड़ा गैंग की ओर से लॉरेंस बिश्नोई गैंग के पंजाब व हरियाणा के शूटरों के जरिए राजू ठेहट की हत्या करने की प्रबल संभावना जताई जा रही है. फिलहाल प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की जा रही है और बदमाशों को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं.
राजू ठेहट की हत्या के बाद जिले में नाकाबंदी
सीकर में हुई गैंगवार में गैंगस्टर राजू ठेहट की हत्या के बाद जिले में नाकाबंदी कर दी गई है. श्रीगंगानगर जिला पंजाब की सीमा से सटा हुआ है. ऐसे में पंजाब सीमा पर हथियार बंद जवानों की ओर से नाकाबंदी की गई है और हर आने-जाने वाले वाहन की गहनता से जांच की जा रही है.
एसपी आनंद शर्मा ने बताया कि श्रीगंगानगर से साधुवाली और सादुलशहर से पतली चेक पोस्ट पर हथियार बंद जवान तैनात किये गए हैं. उन्होंने बताया कि बहुत बार अपराधी वारदात को अंजाम देने के बाद एक राज्य से दूसरे राज्य में भागने का प्रयास करते हैं. ऐसे में दोनों चेक पोस्ट पर नाकबंदी की गई है. इसके साथ साथ राजस्थान से पंजाब जाने वाले कच्चे रास्तों पर भी गश्त की जा रही है.
झुंझुनू के खेतड़ी में फायरिंगः झुंझुनू जिले के खेतड़ी के बवाई में क्रेटा गाड़ी में सवार चार युवकों ने हवाई फायरिंग की. इस दौरान वहां सड़क निर्माण का कार्य चल रहा था. पुलिस की गाड़ी को आती देख आरोपी मौके से फरार हो गए. हमले को सीकर में राजू ठेहठ हत्याकांड से जोड़कर देखा जा रहा है. सड़क का निर्माण कार्य करने वाले लोगों ने बताया कि दोपहर करीब 1 बजे एक सफेद रंग की क्रेटा गाड़ी (Firing in Khetri) में चार युवक तेज गति से आ रहे थे. हरड़िया गांव में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है. सड़क निर्माण के कार्य चलते व रास्ता अवरुद्ध होता देख उन्होंने गाड़ी से ही हवाई फायर कर दी. इससे सड़क निर्माण कार्य में लगे मजदूर वहां से भाग गए. पुलिस की गाड़ी आती देख आरोपी वहां से भाग निकले.
बलवीर बानूड़ा और राजू ठेहट के बीच दोस्ती बदली दुश्मनी मेंः एक दौर था जब बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट बेहद करीबी दोस्त हुआ करते थे, लेकिन एक घटना ने दोनों की दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया. 1995 में राजू ठेहठ ने शराब के कारोबार में कदम रखा था. इसी दौरान उसकी मुलाकात दूध कारोबारी बलबीर बानूड़ा से हुई. राजू ने बलबीर को उसके साथ शराब का (gang war in Rajasthan) धंधा कर मोटे पैसे कमाने का ऑफर दिया. जिसके बाद बलबीर ने राजू से हाथ मिला लिया. इसके बाद दोनों साथ में मिलकर शराब का अवैध कारोबार करने लगे और जिसने भी उनका विरोध किया उसे अपने रास्ते से हटाने लगे. 1998 में बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट ने मिलकर सीकर में भेभाराम हत्याकांड को अंजाम दिया. फिर यहीं से शेखावाटी में गैंगवार का सिलसिला शुरू हो गया. इसके बाद दोनों बदमाशों ने पूरे शेखावाटी में अपनी दहशत इस कदर कायम की कि यदि अवैध शराब का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति इनके साथ शामिल नहीं होता तो उसकी हत्या कर दी जाती थी.
2004 में आबकारी लॉटरी के तहत जीण माता में शराब की एक दुकान अलॉट हुई. जिसे बलबीर बानूड़ा और राजू ठेहट मिलकर चलाने लगे. दुकान की देखभाल व संचालन का पूरा काम बलबीर बानूड़ा के साले विजयपाल को दिया गया. प्रतिदिन शाम को दुकान का हिसाब विजयपाल राजू और बलबीर को दिया करता, जो मुनाफा राजू को दुकान से मिलना चाहिए था वह नहीं मिल रहा था. राजू को यह लगा कि विजयपाल दुकान से शराब बेचने की बजाए ब्लैक में शराब बेच रहा है. जिसे लेकर विजयपाल और राजू की तकरार हुई और विवाद इस कदर बढ़ा कि राजू ने अपने साथियों के साथ मिलकर विजयपाल की हत्या करा दी. विजयपाल की हत्या के बाद राजू ठेहट और बलवीर बानूड़ा की दोस्ती गहरी दुश्मनी में बदल गई. अपने साले की हत्या का बदला लेने के लिए बलवीर बानूड़ा ने आनंदपाल से हाथ मिला लिया. उसके बाद दोनों गैंग के बीच गैंगवार होती रही.